पृथ्वी नारायण शाह
पृथ्वीनारायण शाह | |||||
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महाराजाधिराज नेपाल के राजा गोरखा राज्य के राजा | |||||
शासनावधि | 25 September 1743 – 11 January 1775 | ||||
राज्याभिषेक | २५ सेप्टेम्बर १७४३[1] | ||||
पूर्ववर्ती | नरभूपाल शाह | ||||
उत्तरवर्ती | प्रताप सिंह शाह | ||||
जन्म | ११ जनवरी १७२४ (२७ पौष, १७७९ वि.सं.)[2] गोरखा पोखरीथोक, गोरखा राज्य | ||||
निधन | ११ जनवरी १७७५ (aged 52) देवीघाट, नुवाकोट, नेपाल अधिराज्य | ||||
जीवनसंगी | इन्द्र कुमारी नरेन्द्र राज्य लक्ष्मी देवी | ||||
संतान | प्रताप सिंह शाह बहादुर शाह | ||||
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वंश | शाह वंश छेत्री | ||||
पिता | नरभूपाल शाह | ||||
माता | कौशल्यावती देवी | ||||
धर्म | हिन्दू |
पृथ्वी नारायण शाह (1722 - 1775) एक गोरखाली राजा थे जिन्होंने विभिन्न ५४ राज्यमें बटे राज्य का पुन एकीकरण करके नेपाल अधिराज्यकी स्थापना किया था।
उनका जन्म गोरखाली राजाओंके शाह वंश में हुआ । उनके पिता गोरखा राज्य के राजा नरभूपाल शाह और माता पाल्पा की राजकुमारी कौशल्यावती देवी थि । उन्होंने सन् १७९९ में राज्यारोहण किया ।
परिचय
पृथ्वीनारायण शाह, राजा नरभूपाल शाह व रानी कौसल्यावती के बेटे थे जो गोरखा नामक एक छोटे से राज्य के शासक थे। उनका जन्म बि सं १७७९ मे हुआ था, उन्हे बीस वर्ष की उम्र में बि सं १७९९ मे गोरखा का राजा बनाया गया था।
पृथ्वीनारायण शाह नाथ संप्रदाय के उन्नायक, हिन्दी के सुपरिचित कवि, उत्तर भारत में हिन्दू संस्कृति एवं धर्म के महान् रक्षक योगी गोरखनाथ के बड़े भक्त ही नहीं, वरन् स्वयं हिन्दी के अच्छे कवि भी थे। उनके भजन अभी भी रेडियो नेपाल से प्राय: सुनाई पड़ते हैं। उदाहरण के लिए उनका एक भजन यहाँ प्रस्तुत है-
- बाबा गोरखनाथ सेवक सुख दाये, भजहुँ तो मन लाये।
- बाबा चेला चतुर मछिन्द्रनाथ को, अधबधु रूप बनाये।।
- शिव में अंश शिवासन कावे, सिद्धि महा बनि आये।। बाबा 1 ।।
- सिंधिनाद जटाकुवरि, तुम्बी बगल दबाये।।
- समरथन बांध बघम्बर बैठे, तिनिहि लोक वरदाये।। 2 ।। बाबा ।।
- मुन्द्रा कान में अति सोभिते, गेरूवा वस्त्र लगाये।
- गलैमाल कद्राच्छे सेली, तन में भसम चढ़ाये।। 3 ।। बाबा ।।
- अगम कथा गोरखनाथ कि महिमा पार न पाये।।
- नरभूपाल साह जिउको नन्दन पृथ्वीनारायण गाये।। 4 ।।
- बाबा गोरखनाथ सेवक सुख दाये, भजहुँ तो मन भाये।।