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पुरोहिताभिषेक

एक कैथोलिक उपयाजक का अभिषेक, 1520 ई.: बिशप पवित्र परिधान प्रदान करता है।

पुरोहिताभिषेक (Ordination) वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा व्यक्तियों का पवित्रीकरण किया जाता है, अर्थात, सामान्य वर्ग से अलग करके याजक वर्ग में उत्थित किया जाता है, जिन्हें इस प्रकार विभिन्न धार्मिक संस्कारों और अनुष्ठान करने के लिए अधिकृत किया जाता है (आमतौर पर अन्य याजक वर्ग से बने सांप्रदायिक पदानुक्रम द्वारा)। [1] पुरोहिताभिषेक की प्रक्रिया और समारोह धर्म और संप्रदाय के अनुसार अलग-अलग होते हैं। जो व्यक्ति पुरोहिताभिषेक की तैयारी में है, या जो पुरोहिताभिषेक की प्रक्रिया से गुजर रहा है, उसे कभी-कभी पुरोहिताभिषेष्य (ordinand) कहा जाता है। किसी पुरोहिताभिषेक में उपयोग की जाने वाली पूजा-विधि को कभी-कभी पावन पुरोहिताभिषेक के रूप में जाना जाता है।

सन्दर्भ

  1. From a sociological perspective, ordination legitimates the ordinand's role as clergy and performance of rituals. Pogorelc, Anthony J. (21 April 2021). "Social Construction of the Sacrament of Orders". Religions. 12 (5): 290. आइ॰एस॰एस॰एन॰ 2077-1444. डीओआइ:10.3390/rel12050290.