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पुरुषोत्तम लक्ष्मण देशपांडे

पुरुषोत्तम लक्ष्मण देशपांडे

पुरुषोत्तम लक्षमण देशपाण्डे (8 नवम्बर 1919 – 12 जून 2000) लोकप्रिय मराठी लेखक, नाटककार, हास्यकार, अभिनेता, कथाकार और पटकथाकार, फिल्म निर्देशक और संगीतकार एवं गायक थे। उन्हें "महाराष्ट्राचे लाडके व्यक्तिमत्त्व" (महाराष्ट्र का लाड़ला व्यक्तित्व) कहा जाता है। महाराष्ट्र में उन्हें प्रेम से पु. ल. कहा जाता है। उन्होंने अनेक वर्षों तक अध्यापन भी किया। ‘दूरदर्शन’ की स्थापना के समय उसके साथ संबद्ध रहे।

उन्हें भारत सरकार द्वारा सन 1990 में कला के क्षेत्र में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था। साथ ही पुण्यभूषण, महाराष्ट्र्र गौरव, पद्मश्री, साहित्य अकादेमी सम्मान, संगीत नाटक अकादेमी सम्मान, संगीत नाटक अकादेमी फैलोशिप, महाराष्ट्र भूषण सम्मान, कालिदास सम्मान आदि अनेक सम्मानों से अलंकृत हुए। मराठी साहित्य को दिए उनके अपूर्व योगदान को रेखांकित करने के लिए महाराष्ट्र सरकार ने वर्ष 2002 में ‘पु.ल. देशपांडे महाराष्ट्र कला अकादमी’ की स्थापना की। मराठी के अलावा देशपांडे का साहित्य अंग्रेजी और कन्नड़ समेत कई भाषाओं में है।

पुरुषोत्तम लक्ष्मण देशपाण्डे का जन्म 8 नवम्बर 1919 को मुंबई में हुआ था। उनके परिवार की एक गौरवमयी साहित्यिक विरासत थी, उनके दादा ने रवीन्द्रनाथ ठाकुर की गीतांजलि का मराठी में अनुवाद किया था। उनकी आरम्भिक शिक्षा मुंबई के पार्ले तिलक स्कूल से हुई। हाई स्कूल के बाद उन्होंने एलएलबी के लिए इस्मेल युसुफ कॉलेज में प्रवेश लिया था। 1950 में एमए की डिग्री पुणे के फार्गुसन कॉलेज से ली थी। उन्होंने भास्कर संगीतालय के दत्तोपन राजोपाध्याय से हारमोनियम बजाने में भी शिक्षा ली थी।

1940 के दशक की शुरुआत में देशपांड की पहली पत्नी का विवाह के तुरन्त बाद निधन हो गया। 12 जून 1946 को अपने सहयोगी और मराठी रंगमंच से जुड़ी सुनीता ठाकुर से उन्होंने विवाह किया। इस दंपति की कोई संतान नहीं थी, वे अपने भतीजे दिनेश ठाकुर को अपने बेटे की तरह प्यार करते थे।

पुरुषोत्तम देशपाण्डे का व्यक्तित्व हंसी-ठिठोली का था। वे रोते हुए व्यक्ति को भी हंसा देते थे। बड़ी से बड़ी समस्या, तनाव परेशानी को तो ऐसे दूर करते जैसे कि जादू। सिनेमा में उनका यह व्यक्तित्व काफी काम आई और इसकी पूरी झलक उनके काम में थी। रंगमंच की सजीवता, डॉयलॉग में सहज ही हंसी-ठिठोली यह उनकी विशेषता थी। यहां तक कि लेखन में भी यही प्रवाह बना होता था।

देशपाण्डे ने कुछ सालों तक कर्नाटक के रानी पार्वती देवी और मुंबई के कीर्ति कॉलेज में बतौर प्रोफेसर भी अपनी सेवाएं दी है। देशपांडे ने विदेशों में भी अपनी कला का प्रचार किया है। उन्होंने पश्चिमी जर्मनी और फ्रांस में भी काम किया है।

पुरुषोत्तम लक्ष्मण देशपाण्डे ने हिंदी और अंग्रेजी फिल्मों में भी काम किया है। कला में योगदान के लिए उन्हें 1990 में पद्मभूषण से सम्मानित किया गया था। इसके अलावा देशपांडे को 1987 में कालिदास सम्मान, 1996 में महाराष्ट्र भूषण अवॉर्ड, 1979 में संगीत नाटक अकादमी फेलोशिप, 1965 में साहित्य अकादमी पुरस्कार,1993 में पुण्य भूषण, 1996 में पद्म श्री से सम्मानित किया गया था।

देशपाण्डे की मशहूर मराठी फिल्म कुबेर, भाग्यरेखा, वंदे मातरम थी। देशपाण्डे ने 'भाड्याने देणे अहे', 'मानाचे पान' में पटकथा और संवाद भी लिखा था। पुरुषोत्तम लक्ष्मण देशपाण्डे का निधन 12 जून 2000 को पुणे में हुआ था।

कार्य

चित्रपट

वर्ष चित्रपट भाषा सहभाग
१९४७कुबेरमराठीअभिनय
१९४८भाग्यरेषामराठीअभिनय
१९४८वंदे मातरम्मराठीअभिनय
१९४९जागा भाड्याने देणे आहेमराठीपटकथा, संवाद
१९४९मानाचे पानमराठीकथा-पटकथा-संवाद (ग.दि.माडगूळकरांसह); संगीत
१९४९मोठी माणसेमराठीसंगीत
१९५०गोकुळचा राजामराठीकथा, पटकथा, संवाद
१९५०जरा जपूनमराठीपटकथा, संवाद
१९५०जोहार मायबापमराठीअभिनय
१९५०नवरा बायकोमराठीकथा, पटकथा, संवाद, संगीत
१९५०पुढचं पाऊलमराठीपटकथा, संवाद(ग.दि.माडगूळकरांसह); अभिनय
१९५०वर पाहिजेमराठीकथा (अच्युत रानडे यांच्यासह); संवाद
१९५०देव पावलामराठीसंगीत
१९५२दूधभातमराठीकथा, पटकथा, संवाद, गीतरचना, संगीत
१९५२घरधनीमराठीपटकथा, संवाद, गीतरचना, संगीत
१९५२संदेशहिंदीकथा, पटकथा, संवाद (संवादाचे हिंदी भाषांतर: मीर असगर अली)
१९५३देवबाप्पामराठीपटकथा, संवाद, संगीत, गीतरचना(ग.दि.माडगूळकरांसह)
१९५३नवे बिऱ्हाडमराठीसंवाद, संगीत
१९५३गुळाचा गणपतीमराठीकथा, पटकथा, संवाद, संगीत, अभिनय, दिग्दर्शन
१९५३महात्मामराठी, हिंदी, इंग्रजीकथा
१९५३अंमलदारमराठीपटकथा, संवाद, संगीत, अभिनय
१९५३माईसाहेबमराठीपटकथा, संवाद
१९६०फूल और कलियाँहिंदीकथा, पटकथा
१९६३आज और कलहिंदीकथा, पटकथा