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पीटर गुस्ताफ लजन डीरिक्ले

पीटर गुस्ताफ लजन डीरिक्ले

पीटर गुस्ताफ लजन डीरिक्ले (Peter Gustav Legeune Dirichlet, जर्मन उच्चारण : [ləˈʒœn diʀiˈkleː] / लजन डीरिक्ले या [ləˈʒœn diʀiˈʃleː] / लजन डीरिश्ले ; १३ फ़रवरी १८०५ - ५ मई १८५१ ई०) जर्मनी के महान गणितज्ञ थे। डीरिक्ले ने बर्लिन तथा गोटिंजेन में शिक्षण कार्य किया तथा मुख्यतः गणितीय विश्लेषण एवं संख्या सिद्धान्त के क्षेत्र में कार्य किया।

डीरिक्ले का जन्म १३ फरवरी, १८०५ ई० को द्युरैन में हुआ। प्रारंभिक शिक्षा बॉन और कोलोन में प्राप्त करके ये गणित के अध्ययन के लिये पेरिस गए। वहाँ इन्होंने गाउस की "दिस्कुइजिस्योनेस अरितमेतिके" (Disquisitiones Arithmeticoe) का अध्ययन किया और उसके अनेक स्थलों को गणितज्ञों के लिए सहज बोधगम्य कर दिया। १८२४ ई० में इन्होंने सिद्ध किया कि n = 5 के लिये फेर्मा का अन्तिम प्रमेय सत्य है, अर्थात उन्होने सिद्ध किया कि a, b, c के किसी भी अशून्य पूर्णांक मानों के लिये, a5 + b5 = c5 संतुष्ट नहीं होगा। १८४९ ई० के लेख, इयूबर डी बेस्टिम्मुंग डैर मिट्टेलेरन बैर्थे इन डैर त्स्ह्रोनथेओरी में (Ueber die Bestimmung der mittleren Werthe in der Zahlentheorie), इन्होंने ऐसे व्यापक सिद्धांत दिए जिनपर धनात्मक एवं ऋणात्मक सारणिकों के द्विवर्णक वर्गात्मक रूप की औसत संख्या निर्भर है। अभाज्य संख्याओं की ओर भी इन्होंने ध्यान दिया और सीमान्त मान के प्रश्नों को हल करने के डीरिक्ले नियम का आविष्कार किया, परंतु वायरस्ट्रास की आलोचना के कारण इसका अब केवल ऐतिहासिक महत्व रह गया है। ५ मई, १८५९ ई० को इनका स्वर्गवास हो गया।

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