पश्चिमी यमुना नहर
पश्चिमी यमुना नहर Western Yamuna Canal | |
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इतिहास | |
मुख्य अभियंता | जी आर ब्लेन[1] |
नवीनीकरण तिथि | 1817[1] |
Geography | |
आरम्भबिन्दु | ताजेवाला बराज (अवसादन की समस्या के कारण हथिनीकुंड बराज बनाया गया) |
शाखाएँ | सिरसा शाखा, हन्सी शाखा, बुताना शाखा, सुंदर शाखा, जिन्द शाखा, मुनक नहर, दिल्ली शाखा |
मातृधारा | यमुना नदी |
पश्चिमी यमुना नहर (Western Yamuna Canal) भारत की यमुना नदी से निकाली जाने वाली एक नहर है। इसका निर्माण सन् 1335 में हुआ था, लेकिन 1750 तक इसमें हुए अवसादन से इसमें पानी बहना बन्द हो गया। 1817 में ब्रिटिश राज काल में इसमें खुदाई से जलप्रवाह फिर बहाल करा गया और बहाव की मात्रा नियंत्रित करने के लिए इसपर 1832-33 में ताजेवाला बराज (बाँध) बनाया गया। 1875-76 में दादुपुर में पथराला बराज और यमुना की एक उपनदी, सोम्ब नदी, पर बाँध बनाया गया। 1889-95 में नहर की सिरसा शाखा बनाई गई, जो इसकी सबसे बड़ी शाखा है। समय के साथ ताजेवाला बराज पर भी अवसादन हो गया और 1999 में हथिनीकुंड बराज बनाया गया। आधुनिक काल में इस नहर की अपनी शाखाओ सहित कुल लम्बाई 3,226 किलोमीटर है। इसके द्वारा अंबाला, करनाल, सोनीपत, रोहतक, हिसार और सिरसा जिलों तथा दिल्ली और राजस्थान के कुछ भागों की लगभग 5 लाख हेक्टेयर भूमि में सिंचाई की जाती है।[2]
इन्हें भी देखें
सन्दर्भ
- ↑ अ आ GR Blane obituary
- ↑ "Western yaumna Canal Project". मूल से 13 नवंबर 2017 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 10 नवंबर 2022.