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परिनालिका

परिनालिका
परिनालिका द्वारा उत्पादित चुम्बकीय क्षेत्र

परिनालिका (solenoid) एक त्रिविमीय (three-dimensional) कुण्डली (coil) को कहते हैं। भौतिकी में परिनालिका स्प्रिंग की भांति बनाये गये तार की संरचना को कहते हैं जिसमें से धारा प्रवाहित करने पर चुम्बकीय क्षेत्र निर्मित होता है। प्राय: ये तार किसी अचुम्बकीय पदार्थ (जैसे प्लास्टिक) के बेलनाकार आधार पर लिपटे रहते हैं जिसके अन्दर कोई अचुम्बकीय क्रोड, (जैसे हवा) या चुम्बकीय क्रोड (जैसे लोहा) हो सकता है। परिनालिकाएँ इसलिये महत्वपूर्ण हैं क्योंकि उनकी सहायता से नियंत्रित चुम्बकीय क्षेत्र का निर्माण किया जा सकता है तथा वे विद्युतचुम्बकों की तरह प्रयोग की जा सकती हैं।

परिनालिका का चुम्बकीय field

I धारा वहन कर रही, N फेरों वाली, l लम्बाई तथा r त्रिज्या वाली परिनालिका के अक्ष पर चुम्बकीय क्षेत्र H :

जहाँ x परिनालिका के अक्ष के मध्य बिन्दु से नापी गयी दूरी है।

यदि परिनालिका की लम्बाई उसकी त्रिज्या की तुलना में बहुत बड़ी हो, अर्थात् तो परिनालिका के अन्दर सम्पूर्ण अक्ष पर लगभग समान (constant) चुम्बकीय क्षेत्र होता है, जिसका मान

यह चुम्बकीय क्षेत्र परिनालिका के बाहर जाते ही बहुत तेजी से शून्य हो जाता है।

परिनालिका का प्रेरकत्व (इंडक्टैंस)

हवा या निर्वात के कोर वाली बहुत लम्बी परिनालिका का प्रेरकत्व (लगभग) निम्नलिखित सूत्र से दिया जाता है:

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जहाँ परिनालिका का अनुप्रस्थ क्षेत्रफल () है तथा निर्वात की पारगम्यता है।

छोटी लम्बाई की परिनलिकाओं का प्रेरकत्व निम्नलिखित सूत्र से निकाला जा सकता है:

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परिनालिका के उपयोग

  • विद्युतयांत्रिक परिनालिका - प्रायः एलेक्ट्रॉनिक पेंटबाल मार्कर, पिनबाल मशीन, डॉट-मैट्रिक्स प्रिंटर तथा ईंधन-इंजेक्टर में प्रयुक्त
  • घूर्णी परिनालिका - किसी रैचेटयुक्त मेकेनिज्म को घुमाने के लिये प्रयुक्त
  • घूर्णी वाक्-क्वायल (रोटरी व्यायस क्वायल)
  • न्यूमैटिक परिनालिका वाल्व
  • हाइड्रालिक परिनालिका वाल्व
  • गाड़ियों को स्टार्ट करने वाली परिनालिका

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