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परमेश्वर

कबीर साहेब पूर्ण परमेश्वर है पवित्र वेदों में प्रमाण

वेदों में प्रमाण है कि कबीर परमेश्वर प्रत्येक युग में आते हैं। परमेश्वर कबीर का माता के गर्भ से जन्म नहीं होता है तथा उनका पोषण कुंवारी गायों के दूध से होता है। अपने तत्वज्ञान को अपनी प्यारी आत्माओं तक वाणियों के माध्यम से कहने के कारण परमेश्वर एक कवि की उपाधि भी धारण करता है।

आइए वेदों में प्रमाण जानें

यजुर्वेद अध्याय 29 मन्त्र 25

ऋग्वेद मंडल 9 सूक्त 96 मन्त्र 17

ऋग्वेद मंडल 9 सूक्त 96 मन्त्र 18

ऋग्वेद मंडल 9 सूक्त 1 मन्त्र 9

यजुर्वेद अध्याय 29 मन्त्र 25

यजुर्वेद में स्पष्ट प्रमाण है कि कबीर परमेश्वर अपने तत्वज्ञान के प्रचार के लिए पृथ्वी पर स्वयं अवतरित होते हैं। वेदों में परमेश्वर कबीर का नाम कविर्देव वर्णित है।

समिद्धोऽअद्य मनुषो दुरोणे देवो देवान्यजसि जातवेदः।आ च वह मित्रामहश्चिकित्वान्त्वं दूतः कविरसि प्रचेताः।।25।।

भावार्थ- जिस समय भक्त समाज को शास्त्रविधि त्यागकर मनमाना आचरण (पूजा) कराया जा रहा होता है। उस समय कविर्देव (कबीर परमेश्वर) तत्वज्ञान को प्रकट करता है।

ऋग्वेद मंडल 9 सूक्त 96 मन्त्र 17

यह उधृत है कि पूर्ण परमेश्वर शिशु रूप में प्रकट होकर अपनी प्यारी आत्माओं को अपना तत्वज्ञान प्रचार कविर्गीर्भि यानी कबीर वाणी से पूर्ण परमेश्वर करते हैं।

ऋग्वेद मण्डल 9 सूक्त 96 मंत्र 17

शिशुम् जज्ञानम् हर्य तम् मृजन्ति शुम्भन्ति वह्निमरूतः गणेन।कविर्गीर्भि काव्येना कविर् सन्त् सोमः पवित्राम् अत्येति रेभन्।।17।।

भावार्थ - वेद बोलने वाला ब्रह्म कह रहा है कि विलक्षण मनुष्य के बच्चे के रूप में प्रकट होकर पूर्ण परमेश्वर कविर्देव अपने वास्तविक ज्ञान को अपनी कविर्गिभिः अर्थात कबीर वाणी द्वारा निर्मल ज्ञान अपने हंसात्माओं अर्थात् पुण्यात्मा अनुयायियों को कवि रूप में कविताओं, लोकोक्तियों के द्वारा सम्बोधन करके अर्थात उच्चारण करके वर्णन करता है। वह स्वयं सतपुरुष कबीर ही होता है।

ऋग्वेद मंडल 9 सूक्त 96 मन्त्र 18

पूर्ण परमेश्वर कबीर साहेब जब तक पृथ्वी पर रहे उन्होंने ढेरों वाणियां अपने मुख कमल से उच्चारित की जिन्हें उनके शिष्य आदरणीय धर्मदास जी ने जिल्द किया। आज ये हमारे समक्ष कबीर सागर और कबीर बीजक के रूप में मौजूद हैं जिनमें कबीर परमेश्वर की वाणियों का संकलन है। आम जन के बीच कबीर परमेश्वर एक साधारण कवि के रूप में प्रचलित थे जबकि वे स्वयं सारी सृष्टि के रचनाकार है। परमेश्वर की इस लीला का वर्णन हमें ऋग्वेद में भी मिलता है।

ऋग्वेद मण्डल 9 सूक्त 96 मंत्र 18

ऋषिमना य ऋषिकृत् स्वर्षाः सहस्त्रणीथः पदवीः कवीनाम्।तृतीयम् धाम महिषः सिषा सन्त् सोमः विराजमानु राजति स्टुप्।।18।।

भावार्थ- वेद बोलने वाला ब्रह्म कह रहा है कि जो पूर्ण परमेश्वर विलक्षण बच्चे के रूप में आकर प्रसिद्ध कवियों की उपाधि प्राप्त करके अर्थात एक संत या ऋषि की भूमिका करता है उस संत रूप में प्रकट हुए प्रभु द्वारा रची  हजारों वाणी संत स्वभाव वाले व्यक्तियों अर्थात् भक्तों के लिए स्वर्ग तुल्य आनन्द दायक होती हैं। वह अमर पुरुष अर्थात् सतपुरुष तीसरे मुक्तिलोक अर्थात सत्यलोक पर सुदृढ़ पृथ्वी को स्थापित करने के पश्चात् मानव सदृश संत रूप में होता हुआ गुबंद अर्थात गुम्बज में ऊंचे टीले रूपी सिंहासन पर उज्जवल स्थूल आकार में अर्थात मानव सदृश तेजोमय शरीर में विराजमान है।

ऋग्वेद मंडल 9 सूक्त 1 मंत्र 9


अभी इमं अध्न्या उत श्रीणन्ति धेनवः शिशुम्। सोममिन्द्राय पातवे।।9।।

भावार्थ - पूर्ण परमेश्वर अमर पुरुष जब लीला करता हुआ बालक रूप धारण करके स्वयं प्रकट होता है उस समय कंवारी गाय अपने आप दूध देती है जिससे उस पूर्ण प्रभु की परवरिश होती है।

ऋग्वेद  मंडल 9 सूक्त 94 मन्त्र 1 में परमात्मा की अन्य लीलाओं का भी वर्णन है कि पूर्ण परमेश्वर भ्रमण करते हुए अपने तत्वज्ञान का प्रचार करते हैं और कवि की उपाधि धारण करते हैं।

परमात्मा के अन्य अनेकों गुणों का वर्णन इन अध्याय में है

ऋग्वेद मंडल 9 सूक्त 96 मन्त्र 19,20

ऋग्वेद मंडल 10 सूक्त 90 मन्त्र 3,4,5,15,16

यजुर्वेद अध्याय 19 मन्त्र 26,30

यजुर्वेद अध्याय 29 मंत्र 25

सामवेद संख्या नं. 359, अध्याय 4 खंड 25, श्लोक 8

सामवेद संख्या नं. 1400, अध्याय 12, कांड 3, श्लोक 8

अथर्वेद कांड नं. 4, अनुवाक 1, मन्त्र 1,2,3,4,5,6,7

कबीर साहेब पूर्ण परमेश्वर है कुरान शरीफ में प्रमाण

पवित्र कुरान शरीफ, सूरत फुरकान 25, आयत 52 से 59 में कहा गया है कि "तुम काफिरों का कहा न मानना क्योंकि वे कबीर को अल्लाह नहीं मानते। कुरान में विश्वास रखो और अल्लाह के लिए संघर्ष करो, अल्लाह की बड़ाई करो। "साथ ही आयात 25:59 में कुरान का ज्ञानदाता कहता है कि कबीर ही अल्लाह है जिसने धरती और आकाश तथा इनके बीच जो कुछ है की छः दिनों में रचना की और सातवें दिन तख्त पर जा विराजा, उसके बारे में किसी बाख़बर से पूछो। बाख़बर/ धीराणाम/ तत्वदर्शी सन्त एक ही होता है।

परमात्मा कबीर हैं पवित्र बाइबल में प्रमाण

पवित्र बाइबल में भी प्रमाण है कि परमेश्वर कबीर साकार है। वह निराकार नहीं है।

पवित्र बाइबल के उत्पत्ति ग्रन्थ के अध्याय 1:26 और 1:27 में प्रमाण है कि परमेश्वर ने 6 दिनों में सृष्टि रचना की। बाइबल के अध्याय 3 के 3:8,3:9,3:10 में प्रमाण है कि परमात्मा सशरीर है।

बाइबल के उत्पत्ति ग्रन्थ 18:1 में प्रमाण है कि परमेश्वर अब्राहम के समक्ष प्रकट हुए इससे प्रमाणित होता है कि परमेश्वर सशरीर है।ऑर्थोडॉक्स यहूदी बाइबल के अय्यूब 36:5 में प्रमाण है कि "परमेश्वर कबीर (शक्तिशाली) है, किन्तु वह लोगों से घृणा नहीं करता है। परमेश्वर कबीर (सामर्थी) है और विवेकपूर्ण है।"

कबीर साहेब परमात्मा हैं गुरु ग्रन्थ साहेब में प्रमाण

गुरु ग्रन्थ साहेब में प्रमाण है कि कबीर साहेब ही वह परमात्मा हैं जिसने सर्व ब्रह्मांडों की रचना की। वह साकार है और उसी परमेश्वर कबीर ने काशी, उत्तर प्रदेश में जुलाहे की भूमिका भी निभाई।

गुरु ग्रन्थ साहेब के पृष्ठ 24 राग सिरी, महला 1, शब्द संख्या 9; गुरु ग्रंथ साहेब पृष्ठ 721 महला 1 तथा गुरु ग्रंथ साहेब, राग असावरी, महला 1 के अन्य भागों में प्रमाण है.

शैव सिद्धांत

भगवान शिव परमेश्वर की परिपूर्णता में

शैव सम्प्रदाय, हिंदू धर्म के 4 मुख्य सम्प्रदाय में से एक है। हिंदू धर्म की अन्य मुख्य सम्प्रदाय: वैष्णव सम्प्रदाय, स्मार्त सम्प्रदायशाक्त सम्प्रदाय हैं। शैव सम्प्रदाय में भगवान शिव को सर्वोच्च इश्वर माना जाता है। शैव सिद्धांत, शैव सम्प्रदाय के 6 मुख्य विचारधारा विद्यालयों में से एक है। शैव सिद्धांत के अनुसार भगवान शिव की 3 परिपूर्णता या पहलु हैं। यह तीन परिपूर्णता:- परशिव, पराशक्ति एवं परमेश्वर हैं। परमेश्वर व पराशक्ति की परिपूर्णता में भगवान शिव का आकार होता है परन्तु परशिव की परिपूर्णता में भगवान शिव निराकार हैं। परमेश्वर की परिपूर्णता में वह मनुष्य के शरीर जैसा आकार लेते हैं जिसमें उनके हाथ में त्रिशूल, गले में सांप और हाथ आशीर्वाद की मुद्रा में होता है।

परमेश्वर की परिपूर्णता में शिव में यह पाँच रूप या शक्तियाँ होती हैं:

परमेश्वर को शैव सिद्धांत में 'मूल आत्मा' भी कहा जाता है क्यों कि इस परिपूर्णता में भगवान शिव अपनी छवि और समानता में आत्माओं की रचना करते हैं और यह समस्त आत्माओं का प्रोटोटाइप है।[1] [2]

इन्हें भी देखें

संदर्भ

  1. "Dancing with Siva". www.himalayanacademy.com. मूल से 1 मई 2018 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 2018-05-15.
  2. Subramanuyamswami, Sivaya (1997). Dancing with Siva (अंग्रेज़ी में). Himalayan Accademy. मूल से 1 मई 2018 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 15 मई 2018.