पद्मप्रभ
| पद्मप्रभ | |
|---|---|
| छटवें जैन तीर्थंकर | |
पद्मप्रभ भगवान की प्रतिमा | |
| विवरण | |
| अन्य नाम | पद्मप्रभ जिन |
| एतिहासिक काल | १ × १०२२१ वर्ष पूर्व |
| शिक्षाएं | अहिंसा |
| पूर्व तीर्थंकर | सुमतिनाथ |
| अगले तीर्थंकर | सुपार्श्वनाथ |
| गृहस्थ जीवन | |
| वंश | इक्ष्वाकुवंशी क्षत्रिय |
| पिता | श्रीधर धरण राज |
| माता | सुसीमा |
| पंच कल्याणक | |
| च्यवन स्थान | उपरिम ग्रैयेवक के प्रतिकर विमान से |
| जन्म कल्याणक | कार्तिक कृष्ण १३ |
| जन्म स्थान | कोशाम्बी |
| दीक्षा कल्याणक | कार्तिक कृष्ण १३ |
| दीक्षा स्थान | कोशाम्बी |
| केवल ज्ञान कल्याणक | चैत्र शुक्ला पूर्णिमा |
| केवल ज्ञान स्थान | कोशाम्बी मनोहर वन |
| मोक्ष | फागुन कृष्ण ४ |
| मोक्ष स्थान | सम्मेद शिखर |
| लक्षण | |
| रंग | लाल |
| चिन्ह | कमल |
| ऊंचाई | २५० धनुष (७५० मीटर) |
| आयु | ३०,००,००० पूर्व (२११.६८ × १०१८ वर्ष) |
| वृक्ष | प्रियंगु |
| शासक देव | |
| यक्ष | कुसुम |
| यक्षिणी | अच्युता |
| गणधर | |
| प्रथम गणधर | वज्र चमर जी |
| गणधरों की संख्य | १११ |
पद्मप्रभ जी वर्तमान अवसर्पिणी काल के छठे तीर्थंकर है। कालचक्र के दो भाग है - उत्सर्पिणी और अवसर्पिणी। एक कालचक्र के दोनों भागों में २४-२४ तीर्थंकरों का जन्म होता है। वर्तमान अवसर्पिणी काल की चौबीसी के ऋषभदेव प्रथम और भगवान महावीर अंतिम तीर्थंकर थे।[1]
इन्हें भी देखें
सन्दर्भ सूची
सन्दर्भ
- मुनि श्री प्रमाणसागर (2008), जैन तत्त्वविद्या, भारतीय ज्ञानपीठ, आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-81-263-1480-5, Wikidata Q41794338