पद्मनाभ (कवि)
पद्मनाभ 15 वीं शताब्दी के भारतीय कवि और इतिहासकार थे। [1]1455 में लिखे इनके प्रसिद्ध ग्रंथ "कान्हड़दे प्रबन्ध" की रचना के लिए इन्हें 'युग-चारण' की संज्ञा दी जाती है।[2][3] डिंगल (पुरानी गुजराती या पुरानी राजस्थानी) की यह श्रेष्ठ कृति मानी जाती है। मुनि जिनविजय, कन्हैयालाल माणिकलाल मुंशी, दशरथ शर्मा और मुनि जिनविजय जैसे प्रसिद्ध विद्वानों ने इसे मध्यकाल में रचित महान कृतियों में इसकी गणना की है।[4] जर्मनी के भारतविद् जॉर्ज बुहलर पहले पश्चिमी विद्वान थे जिन्होंने इस ग्रंथ के बारे में लिखा था। [5] राजस्थान विश्वविद्यालय, जयपुर में इतिहास के प्रोफेसर वीएस भटनागर द्वारा इस कृति का अंग्रेजी में अनुवाद किया गया था।[6]
सम्बन्धित पठनीय सामग्री
- पद्मनाभकृत कान्हाडे प्रबन्ध: भटनागर एवं वीएस (1991): मध्ययुगीन काल की भारत की सबसे बड़ी देशभक्ति गाथा : पद्मनाभ का कान्हाडे का महाकाव्य। नई दिल्ली: वॉयस ऑफ इंडिया ।
संदर्भ
- ↑ Gujarat Unknown: Hindu-Muslim Syncretism and Humanistic Forays By J. J. Roy Burman
- ↑ Śrīmālī, Rāmeśvaradayāla (1993). Padmanābha. Sāhitya Akādemī. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-81-7201-340-0.
कहने की आवश्यकता नहीं कि पद्मनाभ जैसे युग चारण कवि कभी-कभी ही पैदा होते हैं और अपने समय के काव्य ही नहीं, इतिहास को भी धार देते हैं। सुप्रसिद्ध इतिहासकार डॉ. दशरथ शर्मा ने कान्हडदे प्रबन्ध एवं पद्मनाभ के सम-सामयिक रचनाकारों के प्रबन्ध - काव्यों का गम्भीरतापूर्वक अध्ययन किया है ।
- ↑ Gujarat Unknown: Hindu-Muslim Syncretism and Humanistic Forays By J. J. Roy Burman
- ↑ Foreword in: Padmanābha, ., & Bhatnagar, V. S. (1991). Kānhaḍade prabandha: India's greatest patriotic saga of medieval times : Padmanābha's epic account of Kānhaḍade. New Delhi: Voice of India.
- ↑ Foreword in: Padmanābha, ., & Bhatnagar, V. S. (1991). Kānhaḍade prabandha: India's greatest patriotic saga of medieval times : Padmanābha's epic account of Kānhaḍade. New Delhi: Voice of India.
- ↑ Padmanābha, ., & Bhatnagar, V. S. (1991). Kānhaḍade prabandha: India's greatest patriotic saga of medieval times : Padmanābha's epic account of Kānhaḍade. New Delhi: Voice of India.