पचमढ़ी के दर्शनीय स्थल
मध्य प्रदेश के होशंगाबाद जिले में स्थित पंचमढ़ी मध्य भारत के सबसे खूबसूरत पर्यटन स्थलों में एक है। सतपुड़ा की पहाड़ियों के बीच समुद्र तल से 3550 फीट की ऊंचाई पर बसा पंचमढ़ी मध्य प्रदेश का यह एकमात्र हिल स्टेशन है। हरे-भरे और शांत पंचमढ़ी में बहुत-सी नदियों और झरनों के गीत सैलानियों में मंत्रमुग्ध कर देते हैं। पंचमढ़ी घाटी की खोज 1857 में बंगाल लान्सर के कैप्टन जेम्स फोरसिथ ने की थी। इस स्थान को अंग्रेजों ने सेना की छावनी के रूप में विकसित किया। पंचमढ़ी में आज भी ब्रिटिश काल के अनेक चर्च और इमारतें देखी जा सकती हैं।
मुख्य पर्यटन स्थलों में निम्न हैं:-
जटाशंकर-
पचमढ़ी नगर से डेढ किलोमीटर की दूरी पर स्थित जटाशंकर एक पवित्र गुफा है इसके ऊपर एक बिना किसी सहार का झूलता हुआ विशाल शिलाखंड रखा है। यहां शिव का एक प्राकृतिक शिवलिंग बना हुआ है। जटाशंकर मार्ग पर एक हनुमान मंदिर है जहां हनुमान की मूर्ति एक शिलाखंड पर उकेरी गई है। जटाशंकर गुफा के नजदीक ही हारपर्स गुफा है। इस गुफा में वीणा बजाते हुए एक व्यक्ति का चित्र है।
पांडव गुफाएं-
एक छोटी पहाड़ी पर यह पांच प्राचीन गुफाएं बनी हैं। इन्हीं पांच गुफाएं के कारण की इस स्थान को पंचमढ़ी कहा जाता है। कहा जाता है पांडव अपने वनवास के दौरान यहां ठहर थे। सबसे साफ सुथरी और हवादार गुफा को द्रोपदी कुटी कहा जाता है जबकि सबसे अंधेरी गुफा भीम कोठरी के नाम से लोकप्रिय है। पुरातत्वेत्ताओं का मानना है कि इन गुफाओं को 9वीं और 10 वीं शताब्दी में गुप्त काल के दौरान बौद्धों द्वारा बनवाया गया था।
अप्सरा विहार-
पांडव गुफा के साथ ही अप्सरा विहार या परी ताल को मार्ग जाता है जहां पैदल चाल द्वारा ही पहुंचा जा सकता है। यह तालाब एक छोटे झरने से बना है जो 30 फीट ऊंचा है। अधिक गहरा न होने की वजह से यह तालाब तैराकी और ग़ोताख़ोरी के लिए बिल्कुल उपयुक्त है। इस तालाब को पंचमढ़ी का सबसे सुन्दर ताल माना जाता है।
महादेव गुफा
नगर से 10 किलोमीटर दूर स्थित महादेव हिन्दुओं के लिए पूजनीय स्थल है। यह पवित्र गुफा भगवान शिव को समर्पित है। यह गुफा 30 मीटर लंबी है और यहां सदैव पानी बहता रहता है। कहा जाता है कि भस्मासुर से बचने के लिए भगवान शिव यहीं पर छिपे थे। भगवान शिव ने भस्मासुर को वरदान दिया था कि वह जिस के सिर पर हाथ रख देगा वह भस्म हो जाएगा। गुफा के भीतर एक शिवलिंग बना हुआ है। शिवरात्रि यहां पूर जोश के साथ मनाई जाती है। महादेव पहुंचने का मार्ग काफी दुर्गम है।
प्रियदर्शिनी प्वाइंट
यह सतपुड़ा की पहाड़ियों का सबसे ऊंचा प्वाइंट है। इसी स्थान से कैप्टन जेम्स फोरसिथ ने 1857 में इस खूबसूरत हिल स्टेशन की खोज की गई थी। इस प्वाइंट का मूल नाम फोरसिथ प्वाइंट था लेकिन बाद में इसका नाम बदलकर प्रियदर्शिनी प्वाइंट रख दिया गया। यहां से सूर्यास्त का नजारा बेहद मनमोहक लगता है। चौरादेव, महादेव, धूपगढ़ नामक सतपुड़ा की तीन प्रमुख चोटियां यहां से देखी जा सकती हैं।
रजत प्रपात-
अप्सरा विहार से आधा किलोमीटर पूर्व दिशा में रजत प्रपात है। इस प्रपात की ऊंचाई 350 फीट है। झरने से गिरता जल यहां तरल चांदी के समान प्रतीत होता है। झरने तक पहुंचने का मार्ग काफी दुर्गम है। केवल साहसिक पर्यटक ही ट्रैकिंग के माध्यम से झरने तक पहुंच सकते हैं।
राजेन्द्र गिरी-
इस पहाड़ी ने भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ॰ राजेन्द्र प्रसाद को बहुत लुभाया था। वे यहां की खूबसूरती से प्रभावित होकर कई बार आए थे। उनके नाम पर ही इस पहाड़ी नाम रखा गया है। उनके ठहरने के यहां रवि शंकर भवन बनवाया गया था। पहाड़ी के चारों ओर की दृश्यावली सैलानियों को मंत्रमुग्ध कर देती है।
हन्डी खो-
यह पंचमढ़ी की सबसे गहरी और तंग घाटी है जिसकी गहराई 300 फीट है। दोनों ओर घने जंगलों से घिरी इस घाटी के नीचे बहते पानी की स्पष्ट आवाज सुनी जा सकती है। कहा जाता है कि भगवान शिव ने यहां एक असुर सर्प को दफनाया था। स्थानीय लोगों में यह घाटी अंधी खो के नाम से जानी जाती है।
चौरागढ़-
महादेव से 4 किलोमीटर की खड़ी चढाई से चौरागढ़ पहुंचा जा सकता है। पहाड़ी के आयताकार शिखर पर एक मंदिर है जहां भगवान शिव की प्रतिमा स्थापित है। भगवान शिव को त्रिशूल भेंट करने के लिए श्रद्धालु बड़े जोश के साथ मंदिर जाते हैं। आराम करने के लिए यहां एक धर्मशाला भी बनी है।
मुधमक्खी झरना-
नगर से 3 किलोमीटर दूर स्थित मधुमक्खी झरना यमुना प्रपात के नाम से भी जाना जाता है। नदी में गिरते इस खूबसूरत झरने से पंचमढ़ी को पानी की आपूर्ति की जाती है। नहाने के लिए यह झरना काफी लोकप्रिय है। इस झरने तक आसानी से पहुंचा जा सकता है।
तामिया
हमेशा पर्यटकों से भरा-पूरा रहने वाला तामिया खूबसूरती के मामले में पंचमढ़ी से कम नहीं है। तामिया के सनसेट प्वाइंट में घंटों बैठकर सूर्यास्त की खूबसूरती देखी जा सकती है। सतपुड़ी की पहाड़ियों यहां अपने सुन्दरतम रूप में दिखाई देती हैं। तामिया पंचमढ़ी से 81 किलोमीटर की दूरी पर है और यहां जीप या बसों के माध्यम से पहुंचा जा सकता है।
सतपुड़ा राष्टीय पार्क
1981 में स्थापित सतपुड़ा राष्ट्रीय पार्क 524 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में फैला है। यह पार्क असंख्य दुर्लभ पक्षियों का घर है। यहां बिसन, टाइगर, तेन्दुए और चार सींग वाले हिरन जसे जानवरों को देखा जा सकता है। यह पार्क सदाबहार साल, टीक और बांस के पेड़ों से भरपूर है। पार्क के आसपास ठहरने की उत्तम व्यवस्था है।
आवागमन
- वायु मार्ग-
पंचमढ़ी से 120 किलोमीटर की दूरी पर स्थित भोपाल नजदीकी एयरपोर्ट है। यह एयरपोर्ट दिल्ली, मुम्बई, ग्वालियर, इंदौर, रायपुर और जबलपुर से नियमित फ्लाइटों से जुड़ा है।
- रेल मार्ग-
47 किलोमीटर की दूरी पर स्थित पिपरिया निकटतम रेलवे स्टेशन है। पिपरिया मुम्बई-हावड़ा मार्ग पर स्थित है। यहां से पंचमढ़ी पहुंचने के लिए टैक्सी या बसों की सेवाएं ली जा सकती हैं।
- सड़क मार्ग-
पंचमढ़ी के लिए भोपाल, इंदौर, नागपुर, होशंगाबाद, छिंदवाड़ा, जुन्नारदेव और पिपरिया से नियमित बस सेवाएं हैं।