न्यूक्लियर मेडिसिन
न्यूक्लियर मेडिसिन (गामा स्कैनिंग)
द्वारा- डा۰ मुकेश जैनन्यूक्लियर मेडिसिन विशेषज्ञ
साथ में- संजीव सिंह
अब तक उपलब्ध सभी जाँच जैसे सी.टी. स्कैन, एम. आर. आई. व एक्स रे आदि अंगों के आकार में आयी खराबी को छाया चित्रित करते थे जिससे रोग होने पर ही उसके बारे में पता चल पाता था परन्तु न्यूक्लियर मेडिसिन (गामा स्कैनिंग) द्वारा मालेक्यूल स्तर पर कोशिका की फीजियोलाजी एवं बायोलाजी में आ रहे परिवर्तनों के आधार पर न केवल रोगों की किसी भी अवस्था (प्रारम्भिक अथवा गम्भीर) में गहन जांच व कई रोगों की चिकित्सा भी की जा सकती है। न्यूक्लियर मेडिसिन (गामा स्कैनिंग) में रोगी के शरीर में दवा या इंजेक्शन द्वारा बहुत ही कम मात्रा में रेडियोधर्मी तत्व प्रविष्ट करा दिए जाते हैं जो शरीर की संक्रमित या प्रभावित कोशिकाएँ इस तत्व को अवशोषित कर लेती हैं। इनसे होने वाले विकिरण को गामा कैमरा द्वारा ग्रहण कर सटीक जांच सम्भव हो जाता है। इस जांच में इतनी कम मात्रा में रेडियोधर्मी तत्व का प्रयोग होता है कि इसका विकिरण स्तर एक्स-रे एवं अन्य जांच में होने वाले विकिरण से भी कम होता है एवं कोशिकाओं को जरा भी क्षति नहीं पहुँचती है। यह पूरी तरह ए. ई. आर. बी. (भारत सरकार) के मानक के अनुरुप एवं विशेषज्ञ चिकित्सक की देखरेख में सम्पन्न होता है। इस अत्याधुनिक तकनीक द्वारा पूरे शरीर की गहन एवं सटीक जांच कोशिकाओं के स्तर तक सम्भव है। न्यूक्लियर मेडिसिन (गामा स्कैनिंग) द्वारा विभिन्न प्रकार के रोगों जैसे कैन्सर स्कैन, बोन स्कैन, हृदय स्कैन, थायराइड अपटेक एवं स्कैन, पल्मोनरी स्कैन आदि की जांच की जाती है जो निम्नवत है-
कैंसर (आंकोलाजी स्कैन)- कैंसर की जाँच में यह अति आवश्यक होता है कि यह शरीर के किन भागों में फैला है व कहाँ फैलने की संभावना है। केवल न्यूक्लियर मेडिसिन (गामा स्कैनिंग) द्वारा ही पूरे शरीर में कैन्सर की सही स्थिति, ट्यूमर की गंभीरता व उसके दुष्प्रभाव की जांच संभव है।
हृदय (हार्ट स्कैन)- हृदय के थैलियम परीक्षण द्वारा हृदय की विभिन्न मांसपेशियों के ऊतकों की कार्यक्षमता एवं धमनियों में होने वाले रक्त प्रवाह को जांचा जा सकता है एवं अनावश्यक एन्जियोग्राफी से बचा जा सकता है। इसके द्वारा हृदयाघात की संभावना का बहुत पहले पता लगाया जा सकता है जिससे सही समय पर उचित इलाज द्वारा जीवन की रक्षा की जा सकती है।
अस्थि (बोन स्कैन)- न्यूक्लियर मेडिसिन (गामा स्कैनिंग) द्वारा हडि्डयों व जोड़ों में होने वाले सूक्ष्म से सूक्ष्म परिवर्तन की जांच की जाती है। साथ ही हडि्डयों में होने वाले गाँठों की जांच भी की जाती है। इसके द्वारा छोटे से छोटे फ्रैक्चर की जांच एवं गम्भीर आस्टियोमेलाइटिस की जांच भी की जाती है। साथ ही आज गम्भीर समस्या बन चुके पीठ दर्द निवारण के लिए रीढ़ की सम्पूर्ण जांच सम्भव है।
गुर्दा (रीनल स्कैन)- न्यूक्लियर मेडिसिन (गामा स्कैनिंग) द्वारा शरीर के अत्यन्त महत्वपूर्ण व शोधक अंग, गुर्दों की स्थिति एवं कार्यक्षमता का सही मूल्यांकन किया जा सकता है। गुर्दे के प्रत्यारोपण की आवश्यकता एवं प्रत्यारोपण के पश्चात उसकी कार्यक्षमता की जांच न्यूक्लियर मेडिसिन द्वारा की जाती है।
मस्तिष्क (ब्रेन स्पेक्ट)- मस्तिष्क एवं न्यूरोलाजी से सम्बन्धित गम्भीर बीमारियों जैसे याददाश्त चले जाना, स्ट्रोक, मिर्गी, अल्जाइमर आदि की सही जांच एवं भविष्य में होने वाले परिवर्तनों का पता लगाया जा सकता है।
थायराइड अपटेक एवं स्कैन- गले में स्थित थायराइड ग्रंथि के बढ़ने (घेंघा रोग होने) पर गामा स्कैनिंग द्वारा सटीक जांच सम्भव है जिसके उपरान्त इसका इलाज किया जा सकता है।
पेट सम्बन्धी- न्यूक्लियर मेडिसिन (गामा स्कैनिंग) द्वारा गैस्ट्रो के रोग जैसे पित्त की थैली (गाल ब्लैडर) में संक्रमण एवं उसके कार्यक्षमता की जाँच व पित्त रस के प्रवाह एवं मात्रा की जांच की जाती है। यही नहीं, पेट के अन्य भागों में आपरेशन के पश्चात उनकी कार्यक्षमता का सही आंकलन किया जाता है।
उपरोक्त रोगों के अलावा कई रोगों की जांच न्यूक्लियर मेडिसिन (गामा स्कैनिंग) द्वारा सम्भव है। संजीव सिंह, वाराणसी