नौकासन
नौका आसन: इस आसन की अंतिम अवस्था में हमारे शरीर की आकृति नौका समान दिखाई देती है, इसी कारण इसे नौकासन कहते है। इस आसन की गिनती पीठ के बल लेटकर किए जाने वाले आसनों में मानी जाती है।
विधि
पीठ के बल लेट जाएँ! जैसे दंडवत प्रणाम करते हैं!
इसी मुद्रा मे दोनों हथेलियाँ परस्पर जुडी (नमस्कार की तरह) रख कर दोनों बाहें तथा सिर व दोनों पैरो को (एक साथ जोड़े हुए) एक साथ उपर की और उठाना है
जितना देर रुक सकें रुकें!
लाभ
इससे पाचन क्रिया, छोटी-बड़ी आँत में लाभ मिलता है। अँगूठे से अँगुलियों तक खिंचाव होने के कारण शुद्ध रक्त तीव्र गति से प्रवाहित होता है, जिससे काया निरोगी बनी रहती है। हर्निया रोग में भी यह आसन लाभदायक माना गया है। निद्रा अधिक आती हो तो उसे नियंत्रित करने मे ये नौका आसन सहायक है!
नोट:- विशेष लाभ हेतु - आसन करते समय अपना गुरुमंत्र का जप करें! यदि दुर्भाग्य से गुरुमंत्र नहीं मिला है तो ॐ नमः शिवाय मंत्र का ही जप करें! अथवा जो भी मन्त्र मन को भाता हो, आसन के साथ - साथ उसीका जप करें!