नोवैटोर के १०० प्रक्षेपास्त्र
के-१००-१ | |
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![]() सुखोई-३० के सामने के एस १७२ का प्रतिरूप (१९९४) | |
प्रकार | हवा से हवा प्रक्षेपास्त्र |
उत्पत्ति का मूल स्थान | रूस एवम भारत |
उत्पादन इतिहास | |
निर्माता | एन पी ओ नोवैटोर & डीआरडीओ |
निर्दिष्टीकरण | |
वजन | ७४८ किलोग्राम[1] |
लंबाई | ६.०१ मी + १.४ मी[1] |
व्यास | ४० सेमी[1] |
वारहेड | विखंडन उच्च विस्फोटक (KS–172)[1] |
वारहेड वजन | ५० किग्रा |
इंजन | ठोस प्रणोदक राकेट बूस्टर अग्रानुक्रम[1] |
पंख सीमा | 61 से॰मी॰ (24 इंच) (KS–172)[1] |
परिचालन सीमा | कम से कम २०० किमी,[2]शायद ३०० किमी–४०० किमी (१६०-२१० समुद्री मील) |
उड़ान ऊंचाई | 3 मी॰ (9.8 फीट)–30,000 मी॰ (98,000 फीट) (KS–172)[1] |
गति | "up to" 4,000 किमी/घंटा (2,500 मील/घंटा) (KS–172)[1] |
मार्गदर्शन प्रणाली | टर्मिनल के लिए मध्य मार्ग मार्गदर्शन और सक्रिय राडार से इनरशियल नेविगेशन[1] |
प्रक्षेपण मंच | सुखोई-27, सुखोई-30, सुखोई-35,[3] सुखोई-30MKI[1] |
नोवैटोर के-१०० एक रूसी हवा से हवा प्रक्षेपास्त्र है जो 300-400 किमी (160-210 मील) तक की सीमा मे अवाक्स घातक भूमिका के लिये तैयार किया गया है। मिसाइल अपने विकास के दौरान विभिन्न नामों से जाना गया है 172 Izdeliye (172 अनुच्छेद), ए ए एम - एल (RVV-L), के एस-172, के एस-1, 172S-1 और आर 172। इसका ढांचा 9K37 Buk सतह से हवा (एसएएम) मिसाइल से प्राप्त किया गया है लेकिन विकास कोष की कमी की वजह से 1990 के दशक मे विकास कार्य रुक गया। यह 2004 में भारत के साथ एक समझौते के बाद पुनः शुरू किया गया है, जो अपने सुखोई ३० लड़ाकू विमानों के लिए भारत में मिसाइल का उत्पादन करना चाहता है।