नोगाई ख़ान
नोगाई ख़ान (मंगोल: Ногай хан; अंग्रेजी: Nogai Khan;; देहांत: १२९९ ई) एक मंगोल सिपहसालार और सुनहरा उर्दू नामक मंगोल ख़ानत का असली शासक भी था। नोगाई का दादा बाउल ख़ान (उर्फ़ तेवल ख़ान) था जो जोची ख़ान का ७वाँ बेटा था। इस लिहाज़ से नोगाई मंगोल साम्राज्य के मशहूर संस्थापक चंगेज़ ख़ान का पड़-पड़-पोता था।
नाम का अर्थ
'नोगाई' का अर्थ मंगोल भाषा में 'कुत्ता' होता था, लेकिन उस संस्कृति में आदमियों के लिए यह एक अपशब्द के रूप में इस्तेमाल नहीं किया जाता था। मंगोल बहुत से कुत्ते रखते थे और यह शिकार के और ख़तरों में चेतावनी देने के लिए बहुत उपयोगी थे। चंगेज़ ख़ान अक्सर अपने सबसे लायक़ सिपहसालारों को 'लड़ाकू आदमी' या 'लड़ाकू कुत्ते' बुलाया करता था। अन्य मंगोल भी अपने आदमियों के गिरोहों को 'नोख़दूउद' (यानि 'तुम कुत्ते') बुलाया करते थे।[1]
जीवनी
नोगाई के पिता का नाम 'तातार' या 'तुतार' था। यह 'तेवल' या 'तेरवल' का बेटा था जो ख़ुद जोची ख़ान का बेटा था। नोगाई सुनहरा उर्दू नामक ख़ानत (जो पूर्वी यूरोप और रूस के बहुत से हिस्से पर राज करती थी) के संस्थापक बातु ख़ान और बातु के बाद सुनहरा उर्दू पर राज करने वाले बरके ख़ान का भतीजा था (बरके बातु का छोटा भाई था)। सुनहरे उर्दू से दक्षिण में ईरान और उसके पड़ोसी इलाक़ों पर विस्तृत इलख़ानी साम्राज्य स्थित था और यह भी एक मंगोल ख़ानत थी, जिसकी स्थापना चंगेज़ ख़ान के एक अन्य पोते हलाकु ख़ान ने की थी। शुरू में सभी मंगोलों ने एक दूसरे की मदद करी और नोगाई के पिता तातार स्वयं हलाकु ख़ान की सेवा में युद्ध में मारे गए। लेकिन आगे चलकर, जैसे चंगेज़ी परिवार बढ़ा, उनमें आपसी फूट पड़ गई। सुनहरा उर्दू और इलख़ानी साम्राज्य में लड़ाईयां शुरू हो गई। १२५९-१२६० में नूगाई ने प्रसिद्ध मंगोल सिपहसालार बुरूनदाई के नीचे पोलैंड पर दूसरे धावे में भाग लिया और क्रैको जैसे शहरों को लूटा। माना जाता है कि १२५० के ही दशक में नूगाई ने अपने ताऊ बरके ख़ान की तरह इस्लाम अपनाया।[1]
१२६२ में हलाकु ख़ान की फ़ौजें उत्तरी कॉकस क्षेत्र में तेरेक नदी पार करके सुनहरे उर्दू पर हमला करने आई तो नोगाई की फ़ौजों ने उन्हें हैरान कर दिया और उनमें से कई हज़ारों की नदी में डूबकर मौत हो गई। हलाकु की फ़ौजें मैदान छोड़कर अज़रबैजान लौट गई। इस से सुनहरे उर्दू के शासक (और उसके ताऊ) बरके ख़ान की नज़रों में नोगाई की इज़्ज़त बढ़ी। १२६५ में नोगाई ने पश्चिम में सेना लेकर डैन्यूब नदी पार करी और बाईज़न्तानी फ़ौजों को खदेड़कर त्राकया (आधुनिक बुल्गारिया) के शहरों को ध्वस्त कर दिया। १२६६ में बाईज़न्तानी सम्राट मिख़ाईल अष्टम पालायोलोगोस (Μιχαήλ Η΄ Παλαιολόγος) ने हमलावरों से संधि करने के लिए अपनी पुत्री यूफ़्रोसाईनी पालायोलोगीना की शादी नोगाई से करवा दी।[2] उसी साल इलख़ानी साम्राज्य के दूसरे इलख़ान (और हलाकु ख़ान क पुत्र) अबाक़ा ख़ान के साथ तिफ़लिस में मुठभेड़ में नोगाई की एक आँख चली गई। १२७७ में मंगोलों के खिलाफ़ बुल्गारिया में एक जन-विद्रोह हुआ जिसका नेतृत्व इवाईलो (Ивайло) ने किया और मंगोलों को पहले तो हराया लेकिन १२७८-७९ में नोगाई द्वारा हरा दिया गया। बचने के लिए इवाईलो ने मित्रता का हाथ बढ़ाया लेकिन नोगाई ने उसे मरवाकर गेयोर्गी तेरतेर प्रथम (Георги Тертер I) को अपने अधीन बुल्गारिया का नया त्सार बना दिया।
नोगाई ने रूस के कुछ हिस्से, ओसेती लोगों और रूमानिया के कुछ हिस्से पर शासन किया। उसने १२७५ में लिथुआनिया पर और १२८५ में तुलाबुग़ा ख़ान के साथ मिलकर हंगरी पर हमला किया। हंगरी में उनकी हार हुई। १२८७-१२८८ में उन्होंने पोलैंड पर तीसरा धावा किया जिसका नतीजा इतिहासकारों को ठीक से ज्ञात नहीं हालांकि कुछ स्रोतों के अनुसार वे २०,००० बंदियों के साथ लौटे। १२८२ में उसके ससुर मिख़ाईल के खिलाफ़ जब कुस्तुंतुनिया में विद्रोह हुआ तो उसने उसे कुचलने के लिए ४,००० मंगोल योद्धा भेजे लेकिन मिख़ाईल के मरने पर उन्हें सर्बिया के विरुद्ध इस्तेमाल किया गया। १२८६ तक सर्बिया का राजा स्तेफ़ान उरोश द्वितीय मिलुतीन (Стефан Урош II Милутин) नोगाई को अपना सरताज मानने पर मजबूर हो गया।
हालांकि नोगाई चंगेज़ ख़ान का वंशज था लेकिन उस ज़माने की तुर्की-मंगोल व्यवस्था में केवल पत्नियों से जन्में पुत्रों को ही अपने अलग 'उलुस' (राज्यों) का ख़ान बनाने का अवसर दिया जाता था। शायद इसीलिए अधिकतर समकालीन स्रोतों में उसे 'तूमेन बेग़' (यानि 'दस हज़ार सैनिकों का नेता') या 'सिपहसालार' का ही ख़िताब दिया जाता है। युद्ध में निपुण होने और अपनी शक्ति के बावजूद नोगाई ने कभी भी सुनहरे उर्दू की सत्ता छीनने की कोशिश नहीं की, बल्कि दूसरे उस गद्दी पर बैठने के लिए नोगाई का समर्थन माँगा करते थे। अगर कोई ख़ान उसे पसंद नहीं आता था तो वह उसे मरवा देता या गद्दी छोड़ने पर मजबूर कर देता। १२९१ में किशोर उम्र का तोख़्ता नोगाई की मदद से सुनहरे उर्दू का ख़ान बना। नोगाई ने समझा की वह उसे भी पहले के ख़ानों की तरह नियंत्रित रखेगा। लेकिन तोख़्ता एक दृढ़-संकल्प शासक निकला जो जल्दी ही नोगाई से टकराया। इन दोनों की पहली जंग में नोगाई की जीत हुई लेकिन उसी समय नोगाई के पोते का [[क्राइमिया] में इतालवी लोगों ने ख़ून कर दिया और नोगाई की फ़ौज वहाँ इतालवी बंदरगाहों को ध्वस्त करने में लग गई।[3] १२९९ में तोख़्ता के वफ़ादार मंगोलों से द्नीपर नदी के पास लड़ाई में नोगाई मारा गया। उसे एक साधारण रूसी सैनिक ने मारा और जब नोगाई का सिर तोख़्ता के पास लाया गया तो उसने उस रूसी सैनिक को मरवा दिया क्योंकि उसके हिसाब से 'एक साधारण आदमी एक राजकुंवर को मारने के लायक़ नहीं था।' नोगाई की चीनी नामक एक पत्नी नोगाई के एक पुत्र ('तूरी' नामक) इलख़ानी साम्राज्य के शासक ग़ाज़ान के पास शरण मांगने भाग गई। ग़ाज़ान ने उन्हें आदर के साथ शरण दी। नोगाई की मुख्य ख़ातून अलग़ (Алаг) का पुत्र चाका (Чака) कुछ महीनो के लिए बुल्गारिया का त्सार (शासक) बना लेकिन फिर हटा दिया गया। यूराल पर्वतों से पूर्व राज करने वाले मंगोल अपने आपको 'नोगाई उर्दू' (Ногайн Орд, Nogai Horde), यानि 'नोगाई झुण्ड' कहने लगे।[4]
इन्हें भी देखें
सन्दर्भ
- ↑ अ आ Cumans And Tatars: Oriental Military In The Pre-Ottoman Balkans, 1185-1365, István Vásáry, Cambridge University Press, 2005, ISBN 978-0-521-83756-9, ... For his name (< Mong. noqai, 'dog') ... only those born to legal wives were given appanages (ulus) ... commander-in-chief and ... tumen begi ... embraced Islam ...
- ↑ Byzantium and the Rise of Russia: A Study of Byzantino-Russian Relations in the Fourteenth Century, John Meyendorff, Cambridge University Press, 2010, ISBN 978-0-521-13533-7, ... thus Euphrosyne, daughter of Michael VIII, became the wife of Khan Nogay ...
- ↑ The Mongols and Russia, George Vernadsky, Yale University Press, 1953, ... The battle ended in a victory for Nogay. Tokhta fled eastward with the remnants of his troops, pursued by Nogay's army as far as the Don River. Nogay's promise came true: his soldiers actually watered their horses in the Don ...
- ↑ The Caucasus: an introduction Archived 2016-01-01 at the वेबैक मशीन, Frederik Coene, Taylor & Francis, 2009, ISBN 978-0-415-48660-6, ... This ethnic group received its name from Nogay, the grandson of Genghis Khan and ruler of the Nogay Horde between the Dnepr and Danube rivers ...