नेपाल की व्यवस्थापिका संसद
नेपाल की व्यवस्थापिका संसद नेपालको व्यवस्थापिका संसद | |
---|---|
प्रकार | |
प्रकार | |
सदन | प्रतिनिधि सभा (२७५ स०) राष्ट्रीय सभा (५९ स०) |
सीटें | ३३४ सदस्य (२७५ और ५९) |
चुनाव | |
एकल-सीट निर्वाचन | |
बैठक स्थान | |
काठमांडु | |
जालस्थल | |
www |
नेपाल की राजनीति और सरकार पर एक श्रेणी का भाग |
१९ नवम्बर २०१३ के दूसरी संविधान सभा के निर्वाचन के फलस्वरूप एकसदनीय ६०१ सदस्यों की दूसरी संविधान सभा स्थापित हुई।
२० सितम्बर २०१५ को नये संविधान की घोषणा के साथ ही दूसरी संविधान सभा को व्यवस्थापिका संसद में बदल दिया गया। पहली संविधान सभा के असफल होने के बाद दूसरी संविधान सभा का गठन किया गया था। दूसरी संविधान सभा नया संविधान बनाने में सफल रही। २० सितम्बर २०१५ को नए संविधान के घोषणा के साथ ही दूसरी संविधान सभा का कार्य सम्पन्न हो गया और दूसरी संविधान सभा व्यवस्थापिका संसद में परिणत हो गई, जिसका कार्यकाल २१ जनवरी २०१८ को खत्म होगा।
नई व्यस्थापिका संसद
वर्तमान एकसदनीय व्यस्थापिका संसद का कार्यकाल २१ जनवरी २०१८ को खत्म होगा। २०१५ के नेपाल के नए संविधान के अनुसार अब नेपाल में द्विसदनीय संसद होंगे। प्रतिनिधि सभा और राष्ट्रीय सभा इस नए व्यवस्थापिका संसद के दो सदन होंगे।
प्रतिनिधि सभा
प्रतिनिधि सभा में २७५ सदस्य पांच वर्षों के लिए चुने जाएंगे, १६५ सदस्य एकल सीट निर्वाचन क्षेत्रों से और ११० अनुपातिक पार्टी सूची से।
राष्ट्रिय सभा
राष्ट्रीय सभा में ५९ सदस्य ६ वर्षों के लिए चुने जाएंगे ५९ सदस्यों में से ३ राष्ट्रपति के द्वारा नामित किये जायेंगे। बाँकी बचे ५६ सदस्य नेपाल के सातों राज्यों से ८ - ८ की संख्या में चुने जाएंगे। ८ सदस्यों में ३ महिलाएं होंगी, १ दलित होगा और १ अन्य योग्य वर्ग से होगा।
इतिहास
इस से पहले की व्यवस्थापिका संसद राजा ज्ञानेंद्र के द्वारा २००२ में भंग कर दिया गया था, बावजूद इस के वह माओवादी विद्रोह दबाने में असमर्थ रहें। देश की पांच बड़ी पार्टियों ने राजा के विरोध में प्रदर्शन किया। उनका तर्क था कि या तो राजा नया चुनाव करवायें या निर्वाचित विधान-मंडल को बहाल करें।
२००४ में राजा ने घोषणा किया कि १२ महीनों के अंदर ही संसदीय चुनाव कराए जाएंगे; अप्रैल २००६ में, प्रमुख लोकतांत्रिक समर्थक विरोध प्रदर्शन के जवाब में घोषणा किया गया कि संसद को पुनर्स्थापित किया जाएगा। १५ जनवरी, २००७ को अंतरिम संविधान के द्वारा विघटित संसद को पुनर्स्थापित किया गया। ७ जून २००७ को संविधान सभा निर्वाचन की तारीख रखी गई किन्तु निर्वाचन नही हो सकी फिर २२ नवम्बर २००७ की तारीख भी असफल हो गई। १० अप्रैल २००८ को नेपाल की पहली संविधान सभा निर्वाचन की तारीख रखी गई और दो साल में नया संविधान बनाने की शर्त रखी गई। २८ मई २०१२ को नेपाल की पहली संविधान सभा को भंग कर दिया गया जब यह सभा निर्धारित समय और विस्तारित समय ४ वर्ष में भी संविधान बनाने में असफल रही।
१९ नवंबर २०१३ को दूसरी संविधान सभा निर्वाचन हुई और २० सितम्बर २०१५ को नया संविधान बनाने में सफल रही। नए संविधान के जारी होते ही २००७ में बनी अंतरिम संविधान निष्क्रिय हो गई।