नेतरहाट
नेतरहाट Netarhat | |
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नेतरहाट में सूर्यास्त | |
नेतरहाट झारखंड में स्थिति | |
निर्देशांक: 23°29′00″N 84°16′00″E / 23.4833°N 84.2667°Eनिर्देशांक: 23°29′00″N 84°16′00″E / 23.4833°N 84.2667°E | |
देश | भारत |
प्रान्त | झारखण्ड |
ज़िला | लातेहार ज़िला |
जनसंख्या (2011) | |
• कुल | 1,497 |
भाषाएँ | |
• प्रचलित | हिन्दी |
समय मण्डल | भामस (यूटीसी+5:30) |
नेतरहाट (Netarhat) भारत के झारखंड राज्य के लातेहार ज़िले में स्थित एक गाँव है। यह पहाड़ियों में स्थित एक पर्यटक स्थल है, और इसे "छोटानागपुर की रानी" के नाम से जाना जाता है।[1][2]
विवरण
नेतरहाट एक पहाड़ी पर्यटन-स्थल है। यह समुद्र सतह से 3622 फीट की ऊंचाई पर स्थित है। रांची से यह करीब १५० किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। प्रकृति ने इसे बहुत ही खूबसूरती से संवारा है। यहाँ पर लोग सूर्योदय व सूर्यास्त देखने आते हैं। यह नजारा नेतरहाट से करीब १० किमी की दूरी पर आकर्षक ढंग से देखा जा सकता है। इसके अलावा यहाँ घाघरी एवं लोअर घाघरी नमक दो छोटे-छोटे जलप्रपात भी हैं, जो प्रसिद्ध स्थल हैं।
'छोटा नागपुर की रानी' के नाम से प्रसिद्ध नेतरहाट झारखंड की राजधानी रांची से 156 किमी पश्चिम में लातेहार जिले में स्थित है। समुद तल से 3700 फीट की उंचाई पर स्थित नेतरहाट में गर्मी के मौसम में पर्यटकों की भारी भीड़ रहती है। वैसे तो सालो भर यहां ढंड का मौसम बना रहता है। यहां का सूर्योदय और सूर्यास्त देखने के लिए भी लोग आते है। घने जंगल के बीच बसे इस जगह की प्राकृतिक सुन्दरता देखते ही बनती है। पर्यटक यहां आने पर प्रसिद्व नेतरहाट विद्यालय, लोध झरना, उपरी घाघरी झरना तथा निचली घाघरी झरना देखना नही भूलते है। झारखंड का दूसरा सबसे बड़ा फाल बरहा घाघ (466 फुट) नेतरहाट के पास ही है। नेतरहाट में वन विभाग की अनुमति के साथ शूटिंग भी किया जाता है। यहाँ कुछ भागों में बाघ बहुतों की संख्या में है। नेतरहाट के विकास के साथ यहाँ पर्यटक, शिकारी काफी आकर्षित हो रहे हैं। नेतरहाट एक बहुत महत्वपूर्ण पर्यटन स्थल है।
एक झलक
- क्षेत्रफल: 2479 वर्ग कि.मी.
- आबादी: 93.3113
- अनुसूचित जाति:12.76%
- अनुसूचित जनजाति: 12.4%
- पिछड़ा वर्ग: 47.24%
- अल्पसंख्यक : 19.1718.21%
- लिंग अनुपात :911
- प्रमण्डल: पलामू प्रमण्डल
प्रमुख आकर्षण
नेतरहाट विद्यालय
प्रसिद्व नेतरहाट विद्यालय की स्थापना नवम्बर 1954 में हुई थी। राज्य सरकार द्वारा स्थापित और गुरुकुल की तर्ज पर बने इस स्कूल में अभी भी प्रतियोगिता परीक्षा के आधार पर नामांकन होता है। यहां के अनेक छात्र ने हरेक क्षेत्र में इस विद्यालय का नाम रौशन किया है। अभी भी छात्र के आय के हिसाब से ही इस विद्यालय में फीस ली जाती है। हिन्दी माध्यम के इस विद्यालय में अग्रेंजी और संस्कृत भी पढाया जाता है।
उपरी घाघरी झरना
नेतरहाट से 4 किमी दूर यह जगह प्रसिद्व पिकनिक स्थल के रूप में जाना जाता है। यहां की प्राकृतिक सुन्दरता के बीच पिकनिक मनाने का अपना अलग ही मजा है।
निचली घाघरी झरना
यहां से 10 किमी की दूरी पर घने जंगलों के बीच से गुजरती इस झरने की सुन्दरता देखते ही बनती है। 32 फीट की उंचाई से गिरते हुए इस झरने को देखने हजारों की संख्या पर्यटक गर्मी के दिनों में यहां आते है। यहां के आस-पास के जंगल इतने घने है कि सूर्य की किरणें भी इसको पार नही कर पाती है।
लोध झरना
नेतरहाट से 60 किमी दूर स्थित यह झरना बुरहा नदी के पास स्थित है। 468 की उंचाई पर स्थित यह झरना झारखंड का सबसे उंचा झरना माना जाता है। कहा जाता है कि इस झरने की गिरने की आवाज आस-पास के 10 किमी दूर तक सुनाई देती है।
चीड़ वन
नेतरहाट में चीड़ वन के बीच एक अभयारण्य है जो लोगों को इस भाग में आने के लिए उत्साहित करता है। कुछ समय पहले तक राज्यपाल इसे गर्मियों के स्थायी स्टेशन के रूप में इस्तेमाल किया करते थे। नेतरहाट का तापमान रांची की तुलना में पूरे वर्ष अच्छा रहता है। यह कहा जा सकता है कि यह स्थान पूरे झारखंड राज्य में सबसे ठंडा है। इस स्थान में की कृषि फार्म भी हैं।
आवागमन
- वायुयान
निकटतम हवाई अड्डा रांची (156 किलोमीटर) इंडियन एयरलाइंस के विमान के साथ मुंबई, पटना, कोलकाता और नई दिल्ली से जुड़ा हुआ है। वायु मार्ग- बिरसा मुडा अंतर्राष्ट्रीय हवाई अडडा यहां से 154 किमी दूर रांची में है। जहां से पटना, दिल्ली समेत अन्य जगहों के लिए उडाने उपलब्ध है।
- रेल
निकटतम रेलवे स्टेशन रांची १५६ किलोमीटर रांची रेलवे स्टेशन से टैक्सी द्वारा यहां जाया जा सकता है।
- सड़क
रांची से नेतरहाट के लिए प्रतिदिन बस सुविधा उपलब्ध है। रांची से रोजाना नेतरहाट के बस सेवा उपलब्ध है।
जलवायु
नेतरहाट की जलवायु जुलाई और अगस्त में बहुत अच्छी रहती है ओर नम नहीं होती है |गर्मियों के दिनों में नेतरहाट की जलवायु बहुत ठण्ड रहती है। यह पठार जंगलों से घिरा हुआ है और यहाँ 60 इंच से अधिक वर्षा प्रति वर्ष नहीं होती है। यहाँ वन में पाइन के पेड़ हैं। सेब और आड़ू के फल यहाँ हैं, लेकिन बहुत बड़े नहीं हैं |यह स्थान मलेरिया से मुक्त कर दिया गया है। यहाँ कई फूलों के पेड़ हैं विशेष रूप से कचनार और कैसिया प्रजाति के। सीजनल फूलों को पूरे वर्ष विकसित किया जा सकता है |
नदियाँ
नदियों की मुख्य धारा उत्तर से दक्षिण की ओर सोन नदी की ओर है, जो सीमा के उत्तरी भाग के जिलों में है |प्रमुख नदी कोयल और उसकी सहायक नदियाँ औरंगा और अमानत है। इनमे कई छोटी शाखाएं भी हैं, जिनमें से अधिकांश हैं जो केवल पहाड़ ओर पत्थरों के बीच से गुजरती हैं।
शिक्षण संस्थान
नेतरहाट विद्यालय
नवंबर,1954 में राज्य सरकार द्वारा इस स्थान पर एक पब्लिक स्कूल शुरू किया गया था, जहाँ प्रवेश सिर्फ योग्यता के आधार पर लिया जाता है। यहाँ माता- पिता के आय के अनुसार प्रवेश शुल्क लिया जाता है। यहाँ प्रवेश सीमा 10 -12 वर्ष है और लड़कों को उच्चतर माध्यमिक परीक्षा के लिए तैयार किया जाता है। यहाँ शिक्षा का माध्यम हिन्दी है लेकिन अंग्रेजी और संस्कृत में भी शिक्षा दी जाती है। कई शीर्ष के नौकरशाह और टेक्नोक्रेट इसी विद्यालय से पढ़ कर निकले है।
इन्हें भी देखें
बाहरी कड़ियाँ
सन्दर्भ
- ↑ "Tourism and Its Prospects in Bihar and Jharkhand Archived 2013-04-11 at the वेबैक मशीन," Kamal Shankar Srivastava, Sangeeta Prakashan, 2003
- ↑ "The district gazetteer of Jharkhand," SC Bhatt, Gyan Publishing House, 2002