नीहाररंजन राय
नीहाररंजन राय | |
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पेशा | साहित्यकार |
भाषा | अंग्रेज़ी भाषा |
राष्ट्रीयता | भारतीय |
विषय | रवीन्द्रनाथ का अध्ययन |
उल्लेखनीय कामs | एन आर्टिस्ट इन लाइफ़ |
नीहाररंजन राय (1903–1981) भारत के एक इतिहाकार थे। वे कला एवं बौद्ध धर्म सम्बन्धी इतिहासलेखन के लिए प्रसिद्ध हैं। इनके द्वारा रचित एक रवीन्द्रनाथ का अध्ययन एन आर्टिस्ट इन लाइफ़ के लिये उन्हें सन् 1969 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया।[1]
कृतियाँ
- बाङ्गालीर इतिहास : आदि पर्ब (१९४१) (१९५० में रबीन्द्र पुरस्कारप्राप्त)
- रबीन्द्र-साहित्येर भूमिका (१९४१)
- कृष्टि कालचार संस्कृति (१९७९)
- बांलार नद-नदी (१३५४)
- बाङाली हिन्दुर बर्णभेद (१३५४)
- प्राचीन बांलार दैनन्दिन जीबन (१३५४)
- Brahminical Gods in Burma (1932)
- Sanskrit Buddhism in Burma (1936)
- Maurya and Sunga Art (1947)
- Theravada Buddhism in Burma (1946)
- An Artist in Life (1967) (१९६९ में साहित्य अकादमी पुरस्कारप्राप्त)
- Idea and Image in Indian Art (1973)
- An Approach to Indian Art (1974)
- Mughal Court Painting (1974)
- The Sikh Gurus and The Sikh Society (1975)
- Maurya and Post-Maurya Art (1976)
- Eastern Indian Bronzes (1986)
सन्दर्भ
- ↑ "अकादमी पुरस्कार". साहित्य अकादमी. मूल से 15 सितंबर 2016 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 11 सितंबर 2016.