नीलाभ अश्क
नीलाभ अश्क | |
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जन्म | १६ अगस्त १९४५ मुम्बई |
मौत | जुलाई 23, 2016 दिल्ली | (उम्र 70)
पेशा | हिंदी कवि, पत्रकार और अनुवादक |
भाषा | अंग्रेजी, हिंदी, उर्दू, और पंजाबी |
राष्ट्रीयता | भारतीय |
काल | आधुनिक काल |
विधा | हिन्दी कविता, आलोचना, अनुवाद |
रिश्तेदार | उपेन्द्रनाथ अश्क के पुत्र |
नीलाभ अश्क (१६ अगस्त १९४५ - २३ जुलाई २०१६) एक भारतीय हिंदी कवि, आलोचक, पत्रकार एवं अनुवादक थे।[1][2] उनके अनेक कविता संग्रह प्रकाशित हैं। कविता के अतिरिक्त उन्होंने आलोचना भी लिखी है। मौलिक लेखन के अतिरिक्त वे अनेक उल्लेखनीय लेखकों के साहित्य के अनुवाद के लिए विशेष रूप से जाने जाते हैं। उन्होंने विलियम शेक्सपीयर, बर्तोल्त ब्रेख्त, मिखाइल लर्मोन्टोव, अरुंधति राय, सलमान रुश्दी, एवं वी. एस. नायपाल जैसे लेखकों की पुस्तकों का अनुवाद किया है।[3]
व्यक्तिगत जीवन
नीलाभ का जन्म १६ अगस्त १९४५ को मुम्बई में हुआ।[4] उनके पिता उपेन्द्रनाथ अश्क हिन्दी एवं उर्दू के नाटककार, उपन्यासकार तथा कहानीकार थे। नीलाभ ने इलाहाबाद विश्वविद्यालय से अपनी मास्टर की डिग्री पूरी की। १९८० में उन्होंने अगले चार साल तक एक निर्माता के रूप में हिंदी के बीबीसी लंदन के विदेशी प्रसारण विभाग के साथ काम करना शुरू किया।[4][5] उन्होंने लंदन में अपने अनुभवों पर २४ कविताओं का संग्रह लंदन डायरी सीरीज़ प्रकाशित किया।[5] वे १९८४ में भारत लौट आये और उन्होंने एक कवि, लेखक और अनुवादक के रूप में काम करना जारी रखा।[6]'नीलाभ प्रकाशन'किसी महिला द्वारा स्थापित स्वतंत्र भारत का वो पहला प्रकाशन संस्थान बना, जिसे उनकी माता श्रीमती कौशल्या अश्क ने सन् 1948 में स्थापित एवं संचालित किया । जिसका नाम उन्होंने अपनी इकलौती संतान नीलाभ के नाम परनीलाभ प्रकाशनरखा। कालान्तर में नीलाभ आजीवन उसे चलाते रहे। [7]
नीलाभ ने दो शादियाँ कीं। वे अपनी पहली पत्नी से अलग हो गये थे तथा उनकी मृत्यु हो गयी। जिसके बाद उन्होंने दूसरी शादी लेखिका और संस्कृतिसेवी भूमिका द्विवेदी से की। उन्होंने इलाहाबाद के अपने पैतृक घर को छोड़ दिया और दिल्ली में बस गये।[8] अश्क की मृत्यु २३ जुलाई २०१६ की सुबह ७० वर्ष की आयु में लंबी बीमारी के बाद हुई थी।[3] निगम बोध घाट पर दोपहर बाद उनके चचेरे भाईयों द्वारा उनका अंतिम संस्कार किया गया। विभिन्न लेखकों और लेखक के संगठनों ने उनकी मृत्यु पर गहरा दु:ख व्यक्त किया।[7] उनकी मृत्यु पर, समकालीन हिंदी कवि मंगलेश डबराल ने कहा कि वे "अधूरी ज़िंदगी" जी सके और अंग्रेजी, हिंदी, उर्दू, और पंजाबी भाषाओं के उनके गहन ज्ञान की प्रशंसा की।[8] साहित्य अकादमी के अध्यक्ष विश्वनाथ प्रसाद तिवारी ने उन्हें एक "क्रांतिकारी कवि" बताया।[3]
लेखन एवं अनुवाद कार्य
अश्क ने अरुन्धति राय के बुकर पुरस्कार विजेता उपन्यास द गॉड ऑफ स्मॉल थिंग्स का हिंदी में मामूली चीजों का देवता नाम से अनुवाद किया है।[3] इस अनूदित कृति के लिए उन्हे २००८ में 'साहित्य अकादमी हिन्दी अनुवाद पुरस्कार मिला।[9] उन्होंने सलमान रुश्दी की द एन्चान्ट्रेस ऑफ फ्लोरेंस का भी अनुवाद किया, साथ ही विलियम शेक्सपीयर और जर्मन नाटककार बर्तोल्त ब्रेख्त के विभिन्न कार्यों का भी अनुवाद किया।[1][3][5] मूल रूप से रूसी लेखक मिखाइल लर्मोन्टोव द्वारा लिखे गये ए हीरो ऑफ आवर टाइम का उनका अनुवाद, हमारे युग का एक नायक के रूप में प्रकाशित हुआ और शेक्सपीयर के 'किंग लीयर' का अनुवाद 'पगला राजा' के नाम से प्रकाशित हुआ।[4] ब्रेख्त के लोकप्रिय नाटक मदर करेज एन्ड हर चिल्ड्रन का हिम्मत माई के रूप में हिन्दी में अनुवाद किया। नीलाभ ने भारतीय कवि, जैसे जीवनानंद दास और सुकान्त भट्टाचार्य, तथा विदेशी कवि जैसे नाज़िम हिक़मत, अर्नेस्टो कार्डेनल, पाब्लो नेरूदा, निकानोर पैरा, और एजरा पाउंड के साहित्य का अनुवाद किया हैं।[5]
नीलाभ की लोकप्रिय हिन्दी किताब हिन्दी साहित्य का मौखिक इतिहास का प्रकाशन महात्मा गान्धी अन्तर्राष्ट्रीय हिन्दी विश्वविद्यालय ने किया है।[3][8] उन्होंने एक ब्लॉग "नीलाभ का मोर्चा" भी बनाया।[4] उन्होंने नटरंग[10] और रंग-प्रसंग पत्रिकाओं को संपादित किया, जिसमें रंग-प्रसंग का प्रकाशन राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय करता हैं।[4] उन्होंने टेलीविजन, रेडियो और नाटकों के लिए कथानक भी लिखा हैं।[5]
उनका पहला कविता संग्रह संस्मरणारम्भ, १९७० के दशक में प्रकाशित हुआ था और अच्छी तरह से सराहा गया था।[4][5][8]
प्रकाशित कृतियाँ
- कविता-संग्रह-
- संस्मरणारम्भ
- अपने आप से लम्बी बातचीत
- जंगल ख़ामोश है
- उत्तराधिकार
- चीज़ें उपस्थित हैं
- शब्दों से नाता अटूट हैं
- शोक का सुख
- ख़तरा अगले मोड़ की उस तरफ़ हैं
- ईश्वर को मोक्ष
- जहाँ मैं साँस ले रहा हूँ अभी
- काव्य समग्र-
- कुल ज़मा (तीन खण्डों में) - 2012 (शब्द प्रकाशन, लूकरगंज, इलाहाबाद से प्रकाशित)
- उपन्यास-
- हिचकी
- साहित्येतिहास-
- हिन्दी साहित्य का मौखिक इतिहास (चार खण्डों में; महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिन्दी विश्वविद्यालय वर्धा द्वारा प्रकाशित)
- आलोचना-
- प्रतिमानों की पुरोहिती
- पूरा घर है कविता
- संस्मरण
- ज्ञानरंजन के बहाने
- अनुवाद-
- पगला राजा (शेक्सपियर कृत किंग लीयर)
- हिम्मत माई (ब्रेख्त कृत 'मदर करेज एंड हर चिल्ड्रन')
- मि० बिस्वास का मकान (वी एस नायपाल कृत)
- इज्जत के नाम पर (मुख्तारन माई की आपबीती)
- हमारे युग का एक नायक (मिखाइल लर्मोन्टोव कृत 'ए हीरो ऑफ आवर टाइम')
- मामूली चीज़ों का देवता (अरुंधति राय कृत 'द गॉड ऑफ स्माल थिंग्स')
- फ़्लोरेन्स की जादूगरनी (सलमान रुश्दी कृत 'द एन्चान्ट्रेस ऑफ फ्लोरेंस')
सन्दर्भ
- ↑ अ आ "Tongue Twisters – Indian Express". archive.indianexpress.com. अभिगमन तिथि 2016-07-23.
- ↑ "Found in translation". The Hindu. 2013-06-05. आइ॰एस॰एस॰एन॰ 0971-751X. मूल से 7 अगस्त 2017 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 2016-07-23.
- ↑ अ आ इ ई उ ऊ "Popular Hindi Poet Neelabh Ashk Dead At 70". NDTV. New Delhi. 23 July 2016. मूल से 16 अगस्त 2016 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 28 July 2016.
- ↑ अ आ इ ई उ ऊ "मशहूर कवि और पत्रकार नीलाभ अश्क का निधन". दैनिक भास्कर. New Delhi. 23 July 2016. मूल से 16 अगस्त 2016 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 28 July 2016.
- ↑ अ आ इ ई उ ऊ "नहीं रहे हिंदी के मशहूर कवि, पत्रकार और अनुवादक नीलाभ अश्क". Live Hindustan. New Delhi. 23 July 2016. मूल से 24 जुलाई 2016 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 23 July 2016.
- ↑ "कवि और पत्रकार नीलाभ अश्क नहीं रहे". Catch News. मूल से 7 अगस्त 2017 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 2016-07-23.
- ↑ अ आ "अलविदा नीलाभ अश्क! मशहूर कवि व अनुवादक नहीं रहे". Allahabad: Live Hindustan. 23 July 2016. मूल से 24 जुलाई 2016 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 29 July 2016.
- ↑ अ आ इ ई मंगलेश डबराल (25 July 2016). "अधूरी ज़िंदगी ही जी पाए नीलाभ." बीबीसी. मूल से 28 जुलाई 2016 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 29 July 2016.
- ↑ "अकादमी अनुवाद पुरस्कार (१९८९-२०१६)" [अकादमी अनुवाद पुरस्कार (१९८९-२०१६)]. साहित्य अकादमी (अंग्रेज़ी में). १९ जुलाई २०१७. मूल से 23 जून 2017 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि २५ जुलाई २०१७.
- ↑ "वरिष्ठ पत्रकार और कवि नीलाभ अश्क का निधन". Outlook Hindi. 23 July 2016. मूल से 20 अगस्त 2016 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 28 July 2016.