निवाई, टोंक
निवाई Niwai | |
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निवाई के समीप रेल से दृश्य | |
निवाई राजस्थान में स्थिति | |
निर्देशांक: 26°21′29″N 75°55′44″E / 26.358°N 75.929°Eनिर्देशांक: 26°21′29″N 75°55′44″E / 26.358°N 75.929°E | |
देश | भारत |
प्रान्त | राजस्थान |
ज़िला | टोंक ज़िला |
जनसंख्या (2011) | |
• कुल | 37,765 |
भाषा | |
• प्रचलित | हिन्दी, ढूंढाड़ी |
समय मण्डल | भामस (यूटीसी+5:30) |
पिनकोड | 304021 |
दूरभाष कोड | 01438 |
निवाई (Niwai) भारत के राजस्थान राज्य के टोंक ज़िले में स्थित एक नगर है।[1][2]
विवरण
निवाई के उत्तर में जयपुर, पूर्व में सवाई माधोपुर, दक्षिण में बूंदी और भीलवाड़ा जिले तथा पश्चिम में अजमेर जिले हैं। निवाई चारो तरफ से रक्ताचल पर्वत से घिरा हुआ है। इसके चारों तरफ बालू रेत के टीले हुआ करते थे। जिससे निवाई नगर घिरा हुआ था। यहां इस पर्वत पर गोरखनाथ जी ने तपस्या कि थी। ओर उनके शिष्य जालन्धरनाथ ने यहां महल बनवाया है। जो बहुत विख्यात है। इस भूमी को देवो की भूमी भी से जाना जाता है। वर्तमान में आप जो निवाई नगर देखते है असल में वो नगर तो इस रक्ताचल पर्वत के पीछे थी। जहा आज रेत के टीले नजर आते है। सवत 1543 में जगनाथ नाम का साधु यहां तपस्या करने आया उसने बहुत तपस्या की। उस समय इस निवाई नगर के वासी बहुत संपन थे। उनके पास कोई कमी नहीं थी। वो इस जग्नाथ साधु का बहुत आदर व इसकी सेवा किया कि करते थे। जालंधरनाथ के बहुत सारे चेले चौपाटी थे जो उनका आदर और सत्कार करते थे।
महत्वपूर्ण पर्यटन स्थल
- ज्वाला माता मंदिर भी है बडी बरथल मीणा समाज में मरमट गोत्र की कुलदेवी है
- देव धाम जोधपुरिया - राजस्थान के प्रसिद्ध लोकदेवता व गुर्जरों के कुलदेवता देवनारायण जी का विशाल मंदिर। जंहा प्रतिवर्ष भाद्रपद शुक्ल 4 को मेला भरता है।
- श्याम मंदिर निवाई, सीकर के खाटू श्याम मंदिर की अन्य शाखा है। मंदिर अपनी भव्यता और अद्भुत कलाकृति के कारण दूर दराज में प्रसिद्ध है। यहां जन्मास्टमी और होली पर भव्य कार्यक्रम आयोजित होते हैं। अगर कभी आपका निवाई आना हो तो मंदिर के दर्शन जरूर करें।
- जालंधरनाथ का मंदिर - वैष्णव धर्म की स्थापना दक्षिणभारत मे हुई थी। यही वैष्णव सम्प्रदाय के एक प्रवक्ता गुरु गोरखनाथ निवाई आये थे। रक्तचंल पर्वत के पीछे इन्होंने ये पंथ चलाया था। सीधे तौर में कहा जा सकता है की यहां वैष्णव धर्म के साथ शेव सम्प्रदाय को भी प्रमुखता दी गई। यहां जालंधरनाथ का मंदिर वाकई देखने योग्य है जो पत्थरों की शिलाओं के मध्य स्थित है।
- रेढ - निवाई से थोड़ी दूरी पर स्थित रेढ़ सभ्यता जंहा ढील नदी किनारे 3075 चांदी की सिक्के मील थे। इसलिए इस स्थान को प्राचीन भारत का टाटानगर कहा गया। यह सभ्यता 4000 साल पुरानी है।
- शिवाजी पार्क : ये निवाई का सबसे आकर्षक स्थल है जो पर्यटकों को अपनी खूबसूरती से लुभाता है। ये मुम्बई के शिवजी पार्क की तर्ज पर बनाया गया है। यहां भी मराठा शासक शिवाजी की पत्थर की बड़ी मूर्ति स्थापित है।
- पटेल हवेली - निवाई से 25 km दूर पीपलू नामक स्थान पर।
- बुढ़ला बालाजी : निवाई से 10 km दूर रजवास गांव के जंगलों में स्थित एक विशाल मंदिर जो अपनी ऐतिहासिक जगह के लिए जाना जाता है। यहां हजारों साल पुरानी पत्थर की शिलाएं है। यहां हनुमान मंदिर काफी प्रसिद्ध है, आज तक ये पता नहीं लग पाया कि ये मूर्ति कहाँ से आई है। इसी गांव में 2500 साल पुरानी एक सभ्यता के अवशेष मिले है, जिसे नरसिंह जी का कुंड कहा गया। यहां गया व बछड़े की आकृति उकेरी हुई मिली है। साथ ही कई प्रमाण मील हैं।
- ब्राह्मणी माता मंदिर: अगर आप ट्रेकिंग के शौकीन धार्मिक व्यक्ति है तो ये स्थान आपके लिए उपयुक्त है। रक्तांचल पर्वत के शीर्ष पर बसा ये मंदिर बहुत पुराना है। पहाड़ पर बसे होने के कारण ये मंदिर पर्यटकों को और निवाई की धार्मिक जनता को अपनी और खींचता है।
- निवाई फोर्ट: रक्तांचल पर्वत के ठीक ऊपर बसा ये दुर्ग अपनी स्थापत्य का अनूठा नमूना है। यहां जाने के लिए प्रशासन ने पर्याप्त इंतजाम किये है। लेकिन बेहतर होगा कि आप अपने साथ पानी जरूर लेके जाएं। साथ ही ये बताना भी आवश्यक होगा कि नवरात्रि में निवाई रानी की तरह सज जाती है। पर्वत पर डेकोरेशन किया जाता है, जो दूर दराज के पर्यटकों को आकर्षित करता है। साथ ही मुख्य मार्ग को सजाया जाता है। दशहरे पर सैकड़ों झांकिया निकलती है, और दशहरा मैदान पर जमकर महोत्सव मनाया जाता है। कोटा के बाद अगर कहीं दशहरा मैला प्रसिद्ध है तो वो निवाई का है।
जनसांख्यिकी
2011 की जनगणना के अनुसार निवाई की जनसंख्या 37765 थी, जिनमे पुरुष 19692 और महिलाओं की जनसंख्या 18073 थी। निवाई की कुल जनसंख्या के लगभग 13% बच्चे थे जिनकी आयु 0-6 वर्ष थी। निवाई सिटी की साक्षरता 80.29% था। लिंगानुपात 847 व घरों की कुल संख्या 6739 थी। कुल जनसंख्या में 75.57% हिन्दू, 14.95% मुस्लिम, 9% जैन, तथा 1% अन्य धर्म थे।
आवागमन
राष्ट्रीय राजमार्ग 52 यहाँ से गुज़रता है और इसे कई अन्य स्थानों से जोड़ता है।
इन्हें भी देखें
सन्दर्भ
- ↑ "Lonely Planet Rajasthan, Delhi & Agra," Michael Benanav, Abigail Blasi, Lindsay Brown, Lonely Planet, 2017, ISBN 9781787012332
- ↑ "Berlitz Pocket Guide Rajasthan," Insight Guides, Apa Publications (UK) Limited, 2019, ISBN 9781785731990