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निचली दिबांग घाटी जिला

निचली दिबांग घाटी
—  city  —
समय मंडल: आईएसटी (यूटीसी+५:३०)
देश भारत
राज्यअरुणाचल प्रदेश
मुख्यालयरोइंग


जनसंख्या
घनत्व
50,438 (2001 के अनुसार )
• 13/किमी2 (34/मील2)
लिंगानुपात856 /
क्षेत्रफल
ऊँचाई (AMSL)
3,900 कि.मी² (1,506 वर्ग मील)
• 390 मीटर (1,280 फी॰)
आधिकारिक जालस्थल: www.roing.nic.in/

निर्देशांक: 28°8′34″N 95°50′34″E / 28.14278°N 95.84278°E / 28.14278; 95.84278निचली दिबांग घाटी भारतीय राज्य अरुणाचल प्रदेश का एक जिला है। जिले का मुख्यालय है रोइंग[1] निचली दिबांग घाटी अरूणाचल प्रदेश की पूर्वी दिशा में स्थित है। यह अरूणाचल प्रदेश का पन्द्रहवां जिला है। इसका मुख्यालय रेइग में है। इसका नाम दिबांग नदी के नाम पर रखा गया है। दिबांग नदी के अलावा यहां कई और नदियां हैं। इन नदियों में ब्रह्मपुत्र नदी सबसे बडी है। दिबांग नदी ब्रह्मपुत्र की सहायक नदी है। इसकी उत्तर दिशा में दिबांग घाटी जिला, पूर्व में लोहित और मैक मोहन लाईन, पश्चिम में पूर्वी सियांग और दक्षिण में असम का तिनसुकिया स्थित है। यह हिमालय की तराई में बसा हुआ है और समुद्रतल से 2655 मी. की ऊंचाई पर स्थित है। निचली दिबांग घाटी बहुत खूबसूरत पर्यटन स्‍थल है। पर्यटक यहां पर बर्फ से ढ़की चोटियां, उफनती नदियां, गहरी घाटियां और खूबसूरत जंगलों को देख सकते हैं। अपने खूबसूरत जंगलों के लिए यह स्थान जगप्रसिद्ध है। अरूणाचल प्रदेश का लगभग 80 प्रतिशत भाग घने जंगलों से ढ़का हुआ है। इन जंगलों में पर्यटक अनेक खूबसूरत पेड-पौधे और जीव-जन्तु देख सकते हैं। अरूणाचल प्रदेश सरकार ने यहां पर कई वन्य जीव अभ्यारणों की स्थापना भी की है।

प्राकृतिक सुन्दरता के अलावा पर्यटक यहां के स्थानीय निवासियों से भी भेंट कर सकते हैं। यहां के अधिकतर निवासी आदिवासी जातियों से संबंध रखते हैं। इनकी संस्कृति के खूबसूरत दृश्य देखना और उनसे भेंट करना पर्यटकों को बहुत पसंद आता है। आदिवासियों से मिलने के बाद पर्यटक यहां के पहाड़ों पर सैर का आनंद ले सकते हैं। युवा पर्यटक इन पहाड़ों पर रोमांचकारी यात्राओं का आनंद भी ले सकते हैं। इसके अलावा यहां की नदियों में वाटर स्पोर्टस का आनंद भी लिया जा सकता है। पर्यटकों के साथ यह स्थान इतिहासकारों और प्रकृतिप्रेमियों में भी समान रूप से लोकप्रिय है क्योंकि उनके करने के लिए यहां बहुत कुछ है।

प्रशासनिक मंडल

प्रमूख आकर्षण

मायुदिया

यह हिमालय के रेइग से लगभग 56 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। पर्यटकों को यह जगह बहुत पसंद आती है क्योंकि इसके दूर तक फैले हर घास के मैदान पर्यटकों के मन को मोह लेते हैं। सर्दियों में यहां पर बर्फबारी का आनंद भी लिया जा सकता है। दिसम्बर-मार्च में यहां पर भारी बर्फबारी होती है। उस समय इस क्षेत्र में हर जगह शांति होती है। बर्फबारी के समय इसकी खूबसूरती देखने लायक होती है। रेइग से यहां तक केवल आधे घंटे में पहुंचा जा सकता है। पर्यटकों के ठहरने के लिए यहां पर कई गेस्ट हाऊस भी बनाए गए हैं। इन गेस्ट हाऊसों से थोडी दूरी पर पर्यटक भालू, जंगली बकरी और उडने वाली गिलहरी भी देख सकते हैं।

मिहाओ झील

यह अरूणाचल प्रदेश का बहुत खूबसूरत पर्यटन स्थल है। समुद्रतल से इसकी ऊंचाई 3000 फीट है। रेइग से यहां तक आसानी से पहुंचा जा सकता है। यह रोईग से 14 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। इस झील का पानी बिल्कुल साफ है। झील में पर्यटक अनेक जंगली बतखों को देख सकते हैं। यह झील लगभग 4 किलोमीटर के क्षेत्र में फैली हुई है। झील के आस-पास का क्षेत्र भी काफी खूबसूरत है। झील में पर्यटक नौकायन का आनंद भी ले सकते हैं। झील के पास ही जंगल स्थित है। इसमें पर्यटक ट्रैकिंग का आनंद ले सकते हैं। इस झील में एक भी मछली नहीं हैं। इस संबंध में भूगर्भशास्त्रियों का मानना है कि इस झील में पोषक तत्व नहीं हैं। इस कारण इसमें मछलियां जीवित नहीं रह पाती।

मिहाओ वन्य जीव अभ्यारण

यह अभ्यारण पर्वत श्रृंखलाओं के बीच में स्थित है। इसकी यात्रा करने के लिए हर वर्ष हजारों की संख्या में पर्यटक आते हैं क्योंकि यह बहुत खूबसूरत है। इसकी खूबसूरती का बखान करना मुश्किल है। पर्यटकों के अलावा यहां अनेक पक्षी विज्ञानी, वनस्पति विज्ञानी और जन्तु विज्ञानी भी आते हैं। इनके आने का मुख्य कारण यहां पाई जाने वाली प्रजातियों हैं, जो बहुत खूबसूरत हैं और वैज्ञानिकों के आकर्षण का केन्द्र हैं। समुद्रतल से इस अभयारण्य की ऊंचाई 400-3568 मी. है। रेइग से इस अभयारण्य तक आसानी से पहुंचा जा सकता है। इस अभयारण्य का क्षेत्रफल लगभग 281.5 वर्ग किलोमीटर है।

सली

सली खारे पानी की झील है। झील के आस-पास का इलाका हरा-भरा है और काफी शांतिपूर्ण भी है। इस झील से दिबांग नदी और इसकी घाटी के खूबसूरत दृश्य देख जा सकते हैं। इसका पानी बिल्कुल साफ है और इसमें मछलियां भी देखी जा सकती हैं। पर्यटकों के ठहरने के लिए इस झील के पास एक गेस्ट हाऊस का निर्माण भी किया गया है। पर्यटक इस गेस्ट हाऊस में आसानी से रूक सकते हैं।

नेहरू वन उद्यान

रेइग से एक किलोमीटर की दूरी पर स्थित यह उद्यान बहुत खूबसूरत है। इस उद्यान का निर्माण जंगल में किया गया है। यह उद्यान देवपानी नदी के किनारे पर स्थित है। पर्यटकों के ठहरने के लिए इसमें एक शानदार गेस्ट हाऊस का निर्माण भी किया गया है। इसका नाम ईजी-ब्रीज है। गेस्ट हाऊस से देवपानी नदी के खूबसूरत नजार भी देखे जा सकते हैं। यहां से थोडी दूरी पर ईजी और ईमी नदी का संगम स्थल भी है। पिकनिक मनाने के लिए यह बेहद उत्तम स्थान है।

इफीपानी

रेइग से 10 किलोमीटर की दूरी पर इफीपानी स्थित है। यहां से दिबांग नदी के खूबसूरत दृश्य देखे जा सकते हैं। नदी की कल-कल करती धारा पर्यटकों को मंत्रमुग्ध कर देती है। इसके अलावा यहां पर मछली पकडने का आंनद भी लिया जा सकता है। यहां पर खाने-पीने का उचित साधन नहीं है। अत: पर्यटकों को अपना खाना साथ लाना चाहिए।

निजामाघाट

रेइग से 15 किलोमीटर की दूरी पर निजामघाट है। यह अरूणाचल प्रदेश का प्रसिद्ध ऐतिहासिक पर्यटन स्थल है। इसका निर्माण 19 वीं शताब्दी में ब्रिटिश शासकों ने कराया था। ब्रिटिश अधिकारी जे. एफ. निधम के नाम पर इसका नामकरण किया गया था। निजामघाट बहुत ही खूबसूरत है। यहां पर पहाड़ियों के बीच से होकर नदियां बहती हैं। साथ ही इसके आस-पास का क्षेत्र भी काफी हरा-भरा है जो इसे पिकनिक मनाने के लिए बेहद आदर्श स्थान बनाते हैं। यहां से हिमालय की पर्वत श्रृंखलाओं के खूबसूरत दृश्य भी देखे जा सकते हैं। यहां से नौका द्वारा दामबुक और रेइग तक भी आसानी से पहुंचा जा सकता है।

हुनली

हुनली एक खूबसूरत घाटी है। यह समुद्रतल से 5000 फीट की ऊंचाई पर स्थित है। हुनली के पास कूपुन्ली स्थित है। कूपुन्ली में पर्यटक शानदार गुफा मन्दिर देख सकते हैं। पर्यटकों के लिए यहां पर इंटरनेट सुविधा भी उपलब्ध है।

भीष्मक नगर

भीष्मक नगर एक ऐतिहासिक पर्यटन स्थल है। यह रेइग से 30 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यहां एक किला है। अनुमानत: इसका निर्माण 8वी. शताब्दी के आस-पास किया गया था। इसकी खोज आई. ब्लॉक ने 1848 ई. में की थी। इसका क्षेत्रफल लगभग 1860.52 वर्ग मी. है। इसमें तीन हॉल और छह प्रवेश द्वार हैं।

रूक्‍मणी नाती

रूक्‍मणी नाती एक किला है। यह चिमीरी गांव के हृदय में स्थित है और इस स्थान से राजकुमारी रूक्‍मणी की गाथा जुडी हुई है। रेइग से यह स्थान 12 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। इस किले का निर्माण 14-15 शताब्दी में किया गया था। अब यहां पर इस किले के केवल अवशेष ही देख जा सकते हैं।

ईटा और पदम पूखुरि

यह एक ऐतिहासिक जलाशय है। इस जलाशय के निर्माण में ईंटों का प्रयोग किया गया है। रेइग से इस जलाशय की दूरी 14 किलोमीटर है। इससे थोडी दूरी पर पदम पूखुरि स्थित है। यह दोनों जलाशय बहुत खूबसूरत हैं। यहां आने का सबसे उत्तम समय अक्टूबर-नवम्बर है। उस समय यहां पर हजारों कमल के फूल भी खिले होते हैं।

सन्दर्भ

  1. "National Portal of India : Know India : Districts of India". मूल से 18 फ़रवरी 2008 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 21 मई 2009.

बाहरी कड़ियाँ