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नास्त्रेदमस

नोस्त्रदामस
जन्म 14 या 21 दिसम्बर 1503
सैं रेमी द प्रोवाँस, फ्रांस का साम्राज्य
मौत 1 या 2 जुलाई 1566
सालों द प्रोवाँस, फ्रांस का साम्राज्य
पेशा चिकित्सक, लेखक, अनुवादक, ज्योतिष परामर्शदाता
हस्ताक्षर

मिशेल द नोस्त्रदाम (फ़्रान्सीसी: Michel de Nostredame‎) या नोस्त्रदामस (लातिन: Nostradamus) फ़्रान्स के एक १६वीं (१५०३-१५६६) सदी के भविष्यवक्ता थे। नोस्त्रदामस केवल भविष्यवक्ता ही नही, चिकित्सक और शिक्षक भी थे। ये प्लेग जैसी महामारियों का चिकित्सा करते थे। इन्होने ने अपनी कविताओ के द्वारा भविष्य में होने वाली घटनाओ का वर्णन किया था।

अधिकांश शैक्षणिक और वैज्ञानिक सूत्रों का कहना है कि दुनिया की घटनाओं और नोस्त्रदामस के शब्दों के बीच दिखाए गए संबंध काफी हद तक गलत व्याख्याओं या गलत अनुवाद का परिणाम है या फिर इतने कमजोर हैं कि उन्हें वास्तविक भविष्य बताने की शक्ति के साक्ष्य के रूप में प्रस्तुत करना बेकार है। कुछ गलत व्याख्याएँ या गलत अनुवाद तो जानबूझकर भी किए गए हैं।[1] इस के बावजूद है भी, बीसवीं शताब्दी में नास्त्रेदमस की कथित भविष्यवाणियाँ आम लोगों के बीच बहुत लोकप्रिय हो गईं और कई प्रमुख विश्व घटनाओं की भविष्यवाणीयों का श्रेेय उन्हें दिया गया।

भारत के संदर्भ में नोस्त्रदामस की भविष्यवाणियां

10वीं सेंचुरी की 75वीं चौपाई है- 'काफ़ी इंतज़ार के बाद भी वो यूरोप नहीं आएगा, वो एशिया में अवतरित होगा, ईश्वर का अवतार होगा, पूर्व के सभी राजा उसकी सत्ता स्वीकारेंगे.' इसको भारत से जोड़कर देखा गया है. सेंचुरी 10 की 96 वीं चौपाई में कहा गया है- 'सागर के नाम वाले धर्म की जीत होगी, अदुलउनकातिफ़ जाति के लड़के से, जिद्दी और रोने वाली जाति डरेगी, दोनों ही अलेफ़ और अलेफ़ के हाथों घायल होंगे.' सागर के नामवाला धर्म तो हिंदू ही है, तो क्या इस चौपाई में नास्त्रेदमस ने हिंदू और ईसाई धर्म के आपस में लड़ने की बात कही है या किसी अन्य धर्म के हाथों हिंदू धर्म का प्रताड़ित होना बताया है और आख़िर में भारत की जीत बताई है? पहली सेंचुरी की 50वीं चौपाई में ज़िक्र है- 'वो ज़मीन जहां तीन समुद्रों के पानी मिलते हैं वहां एक शख्स पैदा होगा, गुरुवर के रूप में जिसकी पूजा होगी, ज़मीन और समुद्र में उसकी ख्याति, शासन और ताक़त बढ़ेगी. वो दुनिया को अचंभित कर देगा।' इसके समर्थन में वे यह भी कहते हैं कि सिर्फ़ हिंदू धर्म में ही गुरुवर को पूजा जाता है।[2]

नास्त्रेदमस ने 1555 (इ.स) में एक भविष्यवाणी की थी कि आज से 445 साल बाद एक हिंदू संत प्रकट होंगे।[3]

सर्व जगत में उस संत की चर्चा होगी। सतलोक आश्रम की किताबों में साफतौर पर लिखा है कि यह Jagat guru tatav darshi Sant Rampal Ji Maharaj को लेकर भविष्यवाणी थी। Or yahi satya hai, aap ji mano ya na mano , or ak din aapko man na pdega ki is dharti pr Sant Rampal Ji Maharaj he ak aise sant hai jiski kripa se pure world me shaanti hogi

इतना ही नहीं, नास्त्रेदमस की भविष्यवाणी को विस्तार से समझाया है और उनकी सत्यता को प्रमाणित करने के लिए उदाहरण भी दिए हैं। इस कड़ी में इंदिरा गांधी का भारत की प्रथम महिला प्रधानमंत्री बनना और उनकी हत्या निकटतम लोगों से होना का उदाहरण है। फिर राजीव गांधी का प्रधानमंत्री बनना और आकस्मिक घटना में मृत्यु होने का उल्लेख है।[4]

जीवनी

भविष्य की बातों को हजारों साल पहले घोषणा करने के लिए मशहूर नास्त्रेदमस का जन्म १४ दिसम्बर १५०३ को फ्रांस के एक छोटे से गांव सेंट रेमी में हुआ। उनका नाम मिशेल दि नास्त्रेदमस था बचपन से ही उनकी अध्ययन में खास दिलचस्पी रही और उन्होनें लैटिन, यूनानी और हीब्रू भाषाओं के अलावा गणित, शरीर विज्ञान एवं ज्योतिष शास्त्र जैसे गूढ विषयों पर विशेष महारत हासिल कर ली।

नास्त्रेदमस ने किशोरावस्था से ही भविष्यवाणियां करना शुरू कर दी थी। ज्योतिष में उनकी बढती दिलचस्पी ने माता-पिता को चिंता में डाल दिया क्योंकि उस समय कट्टरपंथी ईसाई इस विद्या को अच्छी नजर से नहीं देखते थे। ज्योतिष से उनका ध्यान हटाने के लिए उन्हे चिकित्सा विज्ञान पढने मांट पेलियर भेज दिया गया जिसके बाद तीन वर्ष की पढाई पूरी कर नास्त्रेदमस चिकित्सक बन गए।

२३ अक्टूबर १५२९ को उन्होने मांट पोलियर से ही डॉक्टरेट की उपाधि ली और उसी विश्वविद्यालय में शिक्षक बन गए। पहली पत्नी के देहांत के बाद १५४७ में यूरोप जाकर उन्होने ऐन से दूसरी शादी कर ली। इस दौरान उन्होनें भविष्यवक्ता के रूप में खास नाम कमाया।

एक किंवदंती के अनुसार एक बार नास्त्रेदमस अपने मित्र के साथ इटली की सड़कों पर टहल रहे थे, उन्होनें भीड़ में एक युवक को देखा और जब वह युवक पास आया तो उसे आदर से सिर झुकाकर नमस्कार किया। मित्र ने आश्चर्यचकित होते हुए इसका कारण पुछा तो उन्होने कहा कि यह व्यक्ति आगे जाकर पोप का आसन ग्रहण करेगा। किंवदंती के अनुसार वास्तव में वह व्यक्ति फेलिस पेरेती था जिसने १५८५ में पोप चुना गया। नास्त्रेदमस के बारे में ऐसी कई कहानियाँ हैं, लेकिन इनमें से किसी के लिए कोई सबूत नहीं है।[5]

नास्त्रेदमस की भविष्यवाणियां की ख्याति सुन फ्रांस की महारानी कैथरीन ने अपने बच्चों का भविष्य जानने की इच्छा जाहिर की। नास्त्रेदमस अपनी इच्छा से यह जान चुके थे कि महारानी के दोनो बच्चे अल्पायु में ही पूरे हो जाएंगे, लेकिन सच कहने की हिम्मत नहीं हो पायी और उन्होंने अपनी बात को प्रतीकात्मक छंदों में पेश किया। इसक प्रकार वह अपनी बात भी कह गए और महारानी के मन को कोई चोट भी नहीं पहुंची। तभी से नास्त्रेदमस ने यह तय कर लिया कि वे अपनी भविष्यवाणीयां को इसी तरह छंदो में ही व्यक्त करेंगें।

१५५० के बाद नास्त्रेदमस ने चिकित्सक के पेशे को छोड़ अपना पूरा ध्यान ज्योतिष विद्या की साधना पर लगा दिया। उसी साल से अन्होंने अपना वार्षिक पंचाग भी निकालना शुरू कर दिया। उसमें ग्रहों की स्थिति, मौसम और फसलों आदि के बारे में पूर्वानुमान होते थे। कहा जाता है कि उनमें से ज्यादातर सत्य साबित हुई। नास्त्रेदमस ज्योतिष के साथ ही जादू से जुड़ी किताबों में घंटों डूबे रहते थे।

नास्त्रेदमस ने १५५५ में भविष्यवाणियों से संबंधित अपने पहले ग्रंथ सेंचुरी के प्रथम भाग का लेखन पूरा किया, जो सबसे पहले फ्रेंच और बाद में अंग्रेजी, जर्मन, इटालवी, रोमन, ग्रीक भाषाओं में प्रकाशित हुआ। इस पुस्तक ने फ्रांस में इतना तहलका मचाया कि यह उस समय महंगी होने के बाद भी हाथों-हाथ बिक गई। उनके कुछ व्याख्याकारों क मानना है कि इस किताब के कई छंदो में प्रथम विश्व युद्ध, नेपोलियन, हिटलर और कैनेडी आदि से संबंद्ध घटनाएं स्पष्ट रूप से देखी जा सकती हैं। व्याख्याकारों ने नास्त्रेदमस के अनेक छंदो में तीसरे विश्वयुद्ध का पूर्वानुमान और दुनिया के विनाश के संकेत को भी समझ लेने में सफलता प्राप्त कर लेने का दावा किया है। अधिकांश शैक्षणिक और वैज्ञानिक सूत्रों का कहना है कि ये व्याख्याएँ गलत अनुवाद या गलतफ़हमी का परिणाम हैं और कुछ गलतियाँ तो जानबूझकर भी की गईं हैं।[1]

नास्त्रेदमस के जीवन के अंतिम साल बहुत कष्ट से गुजरे। फ्रांस का न्याय विभाग उनके विरूद्ध यह जांच कर रहा था कि क्या वह वास्ताव में जादू-टोने का सहारा लेते थे। यदि यह आरोप सिद्ध हो जाता, तो वे दंड के अधिकारी हो जाते। लेकिन जांच का निष्कर्ष यह निकला कि वे कोई जादूगर नहीं बल्कि ज्योतिष विद्या में पारंगत है। उन्हीं दिनों जलोदर रोग से ग्रस्त हो गए। शरीर में एक फोड़ा हो गया जो लाख उपाचार के बाद भी ठीक नहीं हो पाया। उन्हें अपनी मृत्यु का पूर्वाभास हो गया था, इसलिए उन्होंने १७ जून १५६६ को अपनी वसीयत तैयार करवाई। एक जुलाई को पादरी को बुलाकर अपने अंतिम संस्कार के निर्देश दिए। २ जूलाई १५६६ को इस मशहूर भविष्यवक्ता का निधन हो गया। कहा जाता है कि अपनी मृत्यु की तिथि और समय की भविष्यवाणी वे पहले ही कर चुके थे।

एक व्याख्या के अनुसार "नास्त्रेदमस ने अपने संबंध मे जो कुछ गिनी-चुनी भविष्यवाणियां की थी, उनमें से एक यह भी थी कि उनकी मौत के २२५ साल बाद कुछ समाजविरोधी तत्व उनकी कब्र खोदेंगे और उनके अवशेषों को निकालने का प्रयास करेंगे लेकिन तुरंत ही उनकी मौत हो जाएगी। वास्तव मे ऐसी ही हुआ। फ्रांसिसी क्रांति के बाद १७९१ में तीन लोगों ने नास्त्रेदमस की कब्र को खोदा, जिनकी तुरंत मौत हो गयी।" यह केवल एक शहरी मिथक .[6]

सन्दर्भ

  1. पीटर लेमेसुरिअर, द अन्नोन नास्त्रेदमस, 2003
  2. "Nostradamus 2020 predictions WAR, Trump impeachment India Super Power नास्त्रेदमस के मुताबिक भारत बड़ी शक्ति बनकर उभरेगा, तीसरा विश्वयुद्ध आसन्न!". News Nation. अभिगमन तिथि 2021-06-13.
  3. Today, Helpline (2018-10-17). "खुद को कबीर का अवतार बताता था आरोपी संत रामपाल उसके जन्म लेने की भविष्यवाणी नास्त्रेदमस ने की". Helpline Today (अंग्रेज़ी में). मूल से 13 जून 2021 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 2021-06-13.
  4. "नास्त्रेदमस की भविष्यवाणी को रामपाल ने खूब भुनाया, कहा मैं हूं वह महान संत". Dainik Bhaskar. अभिगमन तिथि 2021-06-13.
  5. एडगर लिओनी, नास्त्रेदमस ऐन्ड हिज़् प्रॉफ़ेसीज़'. कूरियर डोवर पब्लिकेशन, 2000. Page 20. ISBN 978-0-486-41468-3.
  6. "Did Nostradamus predict the day his tomb would be discovered?". मूल से 21 मई 2011 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 16 मार्च 2011.

इन्हें भी देखें