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नारायण सीताराम फड़के

नारायण सीताराम फड़के (1894 - 1978) मराठी के साहित्यकार (उपन्यासकार, कहानीकार एवं नाटककार) थे। उन्हे साहित्य एवं शिक्षा के क्षेत्र में सन १९६२ में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था।

परिचय

कलासम्राट् ना. सी. फड़के की शिक्षा पूना में हुई। ये मेधावी विद्यार्थी थे। 1917 ई. में इनका पहला उपन्यास "अल्ला हो अकबर" प्रकाशित हुआ जो मेरी कॉरेली के "टेंपोरल पावर" उपन्यास के आधार पर रचा गया था। इसी समय इनको दादाभाई नौरोजी की जीवनी लिखने पर बंबई विश्वविद्यालय की ओर से पुरस्कार दिया गया। कलापूर्ण वक्ता होने के कारण इनकी भाषाशैली प्रसादयुक्त है। एम. ए. होते ही ये पूना कालेज में तर्कशास्त्र के प्राध्यापक बने और इन्होंने अंग्रेजी उपन्यास साहित्य का गहरा अध्ययन कर मराठी में उपन्यासों की रचना करना प्रारंभ किया। इनके अभी तक पचास उपन्यास प्रकाशित हुए और इधर पाँच वर्षों से ये प्रति वर्ष दो उपन्यासों की रचना करते हैं। इनके 49 उपन्यासों में निम्नलिखत विशेष उल्लेखनीय हैं - जादूगर, दौलत, आशा, प्रवासी, समरभूमि, शाकुंतल, झंझावात, उद्धार, शोनान तूफान।

फड़के के उपन्यास प्रणयप्रधान एवं कलापूर्ण हैं। ललित भाषा, युवक युवतियों के मोहक चित्र, प्रेम का सुहावना चित्रण, कथानक का विन्यास और प्रकृति के मनोहर वर्णन से वे ओतप्रोत हैं। इनमें प्रणयपिपासु, सुखी, विलासी एवं सौंदर्यपूर्ण जीवन के आकर्षक चित्र हैं। लगभग आठ दस उपन्यासों में भारत के सामयिक राजनीतिक आंदोलनों का चित्रण भी किया है। तीन उपन्यासों में नेताजी सुभाषचंद्र बोस के पराक्रमों का वर्णन है। यह सब होते हुए भी ये प्रधानतया कलावादी उपन्यासकार हैं।

इसके अतिरिक्त फड़के सफल कहानीकार भी हैं। अभी तक इनके बीस कहानीसंग्रह प्रकाशित हुए हैं। इसी प्रकार ये निबंधकार भी हैं और सफल जीवनीलेखक भी। इनकी लिखी अभी तक सात जीवनियाँ प्रकाशित हुई हैं जिनमें दादाभाई नौरोजी, डीवेलरा, लोकमान्य तिलक तथा महात्मा गांधी की जीवनियाँ विशेष प्रसिद्ध हैं। इनके 12 प्रबंधग्रंथ प्रकाशित हुए जिनमें विशेष उल्लेखनीय, प्रतिभासाधन, वांमयविहार, साहित्य व संसार हैं। इन्होंने चार समीक्षा ग्रंथ भी लिखे हैं। इन्होंने चार समीक्षा ग्रंथ भी लिखे हैं। इन्होंने अपने साहित्यशास्त्रविषयक प्रबंधों में "कला के लिए कला" सिद्धांत का तर्कपूर्ण प्रतिपादन किया है।

पश्चिमी साहित्य का मंथन कर इन्होंने कला एवं सौंदर्यवाद की मराठी में प्रभावकारी स्थापना की। उपन्यास तथा कहानी की मध्यवर्ती कल्पना, कथानक रचना, पात्र, कथोपकथन रहस्य, योगायोग, उलझन और सुलझाव तथा भाषाशैली इत्यादि पर इन्होंने मौलिक तथा सूक्ष्म विचार प्रकट किए हैं जो "प्रतिभा साधन" और "लघुकथेचे" तंत्र व मंत्र" दो मौलिक ग्रंथों में समाविष्ट हैं।

प्रकाशित साहित्य

नाम साहित्यप्रकार प्रकाशन प्रकाशन वर्ष (इ.सन्.)
अखेरचे बंडकादंबरीद्वितीय आवृत्ति १९४४
अटकेपारकादंबरी१९३१
अल्ला हो अकबर !कादंबरी१९१७
असाही एक त्रिकोण !कादंबरी१९७४
इंद्रधनुष्य
उजाडलं पण सूर्य कोठे आहे?१९५०
उद्धारकादंबरी१९३५
ऋतुसंहार१९५८
एक होता युवराज१९६४
कलंकशोभाकादंबरी१९३३
कलंदरकादंबरी
किती जवळ किती दूरकादंबरी१९७२
कुहू ! कुहू !१९६०
कुलाब्याची दांडीकादंबरी१९२५
गुजगोष्टीलघुनिबंध संग्रह१९३३
जादूगारकादंबरी१९२८
झंझावातकादंबरी१९४८
झेलमकादंबरी१९४८
दौलतकादंबरी१९२९
धूम्रवलयेलघुनिबंध संग्रह१९४१
नव्या गुजगोष्टीलघु्निबंध संग्रह१९३७
निबंध सुगंधलघुनिबंध संग्रह
निरंजनकादंबरी१९३२
पाप असो पुण्य असो
प्रतिभासाधनवैचारिक
प्रवासी१९३७
बावनकशीलघुकथासंग्रह१९६२
भोवराकादंबरीग.पां. परचुरे प्रकाशन मंदिर, मुंबई४द्वितीयावृत्ति १९७३
लग्नगाठी पडतात स्वर्गात
लहरी
वेडे वारे
सरिता सागर
साहित्यगंगेच्या काठी
हिरा जो भंगला
ही का कल्पद्रुमांची फळे ?१९६१
हेमू भूपाली१९७८

बाहरी कड़ियाँ