नागर विमानन मंत्रालय, भारत सरकार
भारत सरकार का नागर विमानन मंत्रालय नोडल प्राधिकरण है, जो देश में नागर विमानन उद्योग के लिए विकास और विनियमन के लिए राष्ट्रीय नीतियां और कार्यक्रम बनाने के लिए जिम्मेदार है। इसके कार्यों का विस्तार हवाई अड्डा सुविधाओं, हवाई यातायात सेवाओं और वायु द्वारा सवारी और माल के आवाजाही का पर्यवेक्षण भी करना है। मंत्रालय के अधीन दो अलग-अलग संगठन क्षेत्रक की निगरानी और इसको विनियमित करते हैं। वे हैं-
- नागर विमानन महानिदेशालय (डीजीसीए) एवं
- नागर विमानन सुरक्षा ब्यूरो (बी सी ए एस)
नागर विमानन महानिदेशालय
नागर विमानन महानिदेशालय (डीजीसीए) विनियामक निकाय है जो भारत के भीतर आने-जाने की हवाई यातायात सेवाओं और सिविल हवाई विमानन के प्रवर्तन, हवाई सुरक्षा और हवाई योग्य मानक के लिए जिम्मेदार है। वायुयान अधिनियम,1934; वायुयान अधिनियम,1937; नागर विमानन अपेक्षाएअपेक्षाएं; और ऐरोनौटिकल सूचना परिपत्र के रूप में होते हैं। इसके अन्य कार्यों में निम्नलिखित शामिल हैं:-
- सिविल वायुयान का पंजीकरण;
- भारत में पंजीकृत सिविल वायुयान के लिए यथा योग्य मानकों का निर्माण और ऐसे वायुयानों को प्रमाणपत्र प्रदान करना ;
- पायलटों, वायुयान इंजीनियरों, उड़ान इंजीनियरों और वायुयान नियंत्रकों को लाइसेंस देना;
- फ्लाइट क्रू की दक्षता की जांच करते रहना और अन्य कार्यरत कार्मिकों की जैसाकि डिस्पैचर्स और केबिन क्रू;
- दुर्घटनाओं/घटनाओं की जांच करना और दुर्घटना से बचाव के उपाय करना;
- वायुयान अधिनियम वायुयान नियामों और नागर विमानन अपेक्षाओं अंतरराष्ट्रीय नागर विमानन संगठन की अपेक्षाओं का पालन करने के लिए संशोधन करना;
- वायुयान रखरखाव, मरम्मत और विनिर्माण संगठनों को अनुमोदित करना;
- द्विपक्षीय हवाई सेवा करारों सहित हवाई परिवहन से संबंधित मामलों पर, आईसीओ मामलों और नागर विमानन से संबंधित सभी तकनीकी मामलों पर सरकार को परामर्श देना।
नागर विमानन सुरक्षा ब्यूरो
नागर विमानन सुरक्षा ब्यूरो (बी सी ए एस) देश में नागर विमानन सुरक्षा का विनियामक है। इसकी मुख्य जिम्मेदारी भारत में अंतरराष्ट्रीय और देशीय हवाई अड्डों पर सिविल उड़ानों की सुरक्षा संबंधी मानक और उपाय निर्धारित करना है। इसमें सभी विमानन सुरक्षा से संबंधित क्रियाकलापों की योजना बनाना और उनका समन्वयन करना, कार्यात्मक आकस्मिकता और संकट प्रबंधन शामिल है। यह भारत के लिए राष्ट्रीय विमानन सुरक्षा कार्यक्रम का विकास, रखरखाव, उन्नयन और क्रियान्वयन करने और इस परिप्रेक्ष्य में सभी अंतरराष्ट्रीय दायित्वों को पूरा करने के लिए उपयुक्त प्राधिकरण है। ब्यूरो के पास चार बम्ब खोजी और निष्क्रिय करने के दस्ते हैं जो दिल्ली, मुंबई, कोलकाता और चेन्नै अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डों पर अद्यतन जटिलतम उपकरणों जैसे रोबोट, रियल टाइम वीविंग सिस्टम (आरटीवीएस) विद्युत स्टेथेस्कॉप, विस्फोटक डिटेक्टर आदि से लैस रखे गए हैं।
नागर विमानन मंत्रालय के प्रशासनिक नियंत्रणाधीन निम्नलिखित सरकारी क्षेत्रक उपक्रम/कंपनियां/स्वायत्तशासी निकाय हैं :-
- एयर इंडिया लिमिटेड :- यह एक कंपनी है जिसका निगमीकरण, कंपनी अधिनियम, 1956 के तहत किया गया है और इसकी जिम्मेदारी सुरक्षित, सक्षम, पर्याप्त, किफायती और समुचित रूप से समन्वित अंतरराष्ट्रीय परिवहन सेवाएं मुहैया कराना है। इसके चार पूर्ण स्वामित्व वाली अनुषंगियां हैं अर्थात होटल कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड, एयर इंडिया चार्टर्स लिमिटेड, एयर इंडिया इंजीनियरिंग सर्विसेज़ लिमिटेड और एयर इंडिया एयर ट्रांसपोर्ट सर्विसेज़ लिमिटेड।
- इंडियन एयरलाइंस लिमिटेड :- इसे भी कंपनी अधिनियम के तहत निगमित किया गया है और इसका गठन करने के मुख्य उद्देश्य हैं सुरक्षित सक्षम, पर्याप्त, किफायती और समुचित रूप से समन्वित परिवहन सेवाएं मुहैया कराना है। यह देश का मुख्य घरेलू हवाई कैरियर है।
- भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण (ए ए आई) :- का गठन वर्ष 1995 में देश की सतह और असमान दोनों मे सिविल विमानन मूल संरचना के सृजन उन्नयन, रखरखाव और प्रबंधन के उद्देश्य से किया गया है। इसका लक्ष्य देश में सक्षम प्रचालन के लिए विश्वस्तरीय हवाई अड्डा सेवाएं मुहैया कराना है। यह 127 हवाई अड्डों का प्रबंधन करता है जिनमें 15 अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे (12 ए ए आई और 3 सिविल एन्क्लेव); 8 सीमा शुल्क और 78 घरेलू हवाई अड्डे औररक्षा हवाई क्षेत्र में 25 सिविल इन्क्लेव। यह 2.8 मिलियन नौटिकल मील का समस्त भारतीय वायु क्षेत्र पर नियंत्रण रखता है।
- पवन हंस हेलीकॉप्टर लिमिटेड (पीएचएचएल) :- इसकी स्थापना वर्ष 1985 में तेल क्षेत्रक को हेलीकाप्टर सहायता सेवाएं मुहैया कराने के लिए देश की राष्ट्रीय हेलीकाप्टर कंपनी के रूप में की गई थी इसके कार्य दूरस्थ दुर्गम क्षेत्रों में और मुश्किल भूभागों में अनुसूचित/गैर - अनुसूचित हेलीकाप्टर सेवाओं का संचालन करने के लिए तथा यात्रा और पर्यटन के लिए चार्टर मुहैया कराने के लिए की गई है। इसके पास सुसंतुलित 33 हेलीकाप्टरों का बेड़ा है जिनमें रॉबिन्सन, बेल 206 एल4, बेल 407, डाउफिन एएस 365 एन एवं ए एस 365 एन 3 और एम आई - 172 एस हैं जो बहुआयामी कार्य के लिए अत्यन्त उपयुक्त हैं। यह भारत में एकमात्र विमानन कंपनी हैं जिसे आईएसओ 9001:2000 प्रमाणपत्र इसके समस्त कार्यकलापों के लिए दिया गया है।
- इंदिरा गांधी राष्ट्रीय उड़ान अकादमी :- इसकी स्थापना सरकार द्वारा नागर विमानन में उड़ान प्रशिक्षण स्तर में सुधार लाने और अंतरराष्ट्रीय स्तरों का इसी तरह की उन्मुखी उड़ान प्रशिक्षण शामिल करने के उद्देश्य से की गई है। इसकी स्थापना फुरसगंज, रायबरेली, उत्तर प्रदेश में की गई है। यह आधुनिक और उन्नत तकनीकी वाले प्रशिक्षक, वायुयान, उड़ान अनुरूपक, कम्प्यूटर आधरित प्रशिक्षण प्रणाली, आधुनिक नेविगेशनल और लैंडिंग आधार के साथ रनवे और अपना स्वयं के एयरस्पेस से लैस है। इसका संचालन उच्च योग्यता प्राप्त उड़ान और भू-अनुदेशकों द्वारा किया जाता है जिनका विमानन और उड़ान के क्षेत्र में लंबा अनुभव हैं।
कार्य प्रणाली
भारतीय अर्थव्यवस्था के उदारीकरण के साथ और इसके वैश्विक एकीकरण, निरंतर उन्नयन और विमानन क्षेत्रक के आधुनिकीकरण से यह अति महत्वपूर्ण हो गया है। तद्नुसार सरकार का वर्तमान नीति संकेंद्रण मौजूदा हवाई अड्डों का आधुनिकीकरण तथा नए हवाई अड्डों का निर्माण करना है। उदाहरण के लिए दिल्ली और मुंबई में स्थित अंतरराष्ट्रीय हवाई अडडों का पुनर्गठन सरकारी निजी भागीदारी के जरिए किया जा रहा है। बैंगलोर और हैदराबाद में दो हरित पट्टी हवाई अड्डों का क्रियान्वयन निर्माण, स्वामित्व संचालन अंतरण (बीओओटी) आधार पर किया जा रहा है। ए ए आई ने 35 गैर मैट्रो हवाई अड्डों को विश्वस्तरीय बनाने के लिए विकसित और आधुनिक बनाने का निर्णय लिया है। बेहतर अंतरराष्ट्रीय संपर्क सुनिश्चित करने के लिए द्विपक्षीय करारों को सुदृढ़ किया जा रहा है।