नागपाश
'नागपाश' प्राचीनकाल में उपयोग किये जाने वाला अस्त्र का नाम है। इसका उपयोग शत्रु को बंधक बनाने के लिए किया जाता था ।
नागपाश का वर्णन रामायण में ( महर्षि वाल्मीकि जी द्वारा ) , और अन्य वेद पुराणों में किया गया हैं।
इस अस्त्र को पहली और आखिर बार उपयोग मेघनाद द्वारा राम और लक्ष्मण पर किया गया था।
नागपाश से जब किसी लक्ष्य पर भेदा गया तब उसमें से हजारों लाखों की संख्या में साँप निकलकर लक्ष्य को पुरी तरह जकड़ लेते है जिससे सामने वाला इन्सान मूर्छित हो जाता है और इसकी मृत्यु हो जाती हैं।
हम जब नागपाश के बारे में जानने की कोशिश करते हैं तो इन्द्रजीत की पत्नी सुलोचना सांपो के राजा दक्ष की बेटी थी और इसी कारण इन्द्रजीत की पहुँच दुनिया के महाभयानक सांपो तक थी। इन्ही विशिष्ट महाभयानक सांपो के बिज से उसने नागपाश का निर्माण किया था। नागपाश का उपयोग इन्द्रजीत के सिवा कभी किसी ने नहीं किया और शायद इन्द्रजीत की मृत्यु के साथ इस अस्र की जानकारी भी समाप्त हो गयी हैं। लंका की और से अगर किसी एक का नाम सर्वश्रेष्ट योद्धा कहकर लिया जा सकता था, तो वो था इन्द्रजीत, क्योंकि इन्द्रजीत को ब्रम्हदंड, पाशुपतास्त्र के साथ सैकड़ो दैवी अस्त्र पता थे. युद्धभूमि पर वो अपने पिता रावण से कई गुना ज्यादा खतरनाक था. रामायण युद्ध में जब इन्द्रजीत जब युद्धभूमि पर आता हे तो वो हजारों वानरों का संहार करने लगता हे, तब प्रभु राम और लक्ष्मण उसके सामने युद्ध करने हेतु उतर जाते हे. दोनों और से घमासान युद्ध शुरू होता हे. इन्द्रजीत के हर बाण का जवाब प्रभु राम और लक्ष्मण के पास होता हे तो प्रभु राम और लक्ष्मण के हर बाण का तोड़ इन्द्रजीत के पास. शायद इन्द्रजीत उस दिन अपने पराक्रम के चरम पर था, दोनों महाप्रतापी योद्धा प्रभु राम और लक्ष्मण मिलकर भी उसके हरा नहीं पा रहे होते.
हर अस्र का जवाब किसी दूसरे अस्र से दिया जा रहा था, कोई भी हारने को या पीछे हटने को तैयार नहीं था तब उस हालत में इन्द्रजीत नागपाश का उपयोग करता है। ऊपर से साधारण दिखने वाले इस बाण को प्रभु राम भांप नहीं पाते और मेघनाद का ये अस्त्र प्रभु राम और लक्ष्मण को जकड़ लेता है।
जब कोई भी इस अस्र का तोड़ नहीं निकाल पाता तब भगवान् श्रीराम की मुक्ति के लिए खुद भगवान् गरुड़ को अपने परिजनों को भेजना पड़ता हे.