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नवकार महामंत्र

नवकार महामंत्र (जैन धर्म)

नवकार महामंत्र जैन धर्म मौलिक मंत्र है। इसे श्री नमस्कार महामंत्र भी कहते हैं। इसके पंचनमस्कार, पंचनमोकारो, पंचपरमेष्ठि नमस्कार और पंचमंगल महाश्रुत स्कंध भी अन्य उपनाम है। इस मंत्र में एक –2 पद के 5 अध्ययन एवं 4 पदो की एक चुलिका है। इस मंत्र में अरिहंत, सिद्ध, आचार्य, उपाध्याय एवं सर्व साधुओं जैन मुनि को नमस्कार किया गया है [1] सूत्र और अर्थ से नवकार महामंत्र शाश्वत है। महामहोपाध्याय श्री यशोविजय जी जैन मुनि ने पंचपरमेष्ठि गीता नामक पुस्तक में इस मंत्र के बारे में लिखा है।[2] रत्न तनी जिम पेटी, भार अल्प बहुमूल्य चौदह पूर्वनो सार छे, मंत्र ए तेहने तुल्य सकल समय अभयंतर, ए पद पंच प्रमाण महसूह खंध ते जानो, चूला सहित सुजान[2]

साँचा:नवकार मंत्र

इन्हें भी देखें

सन्दर्भ

  1. प्रशमिता श्रीजी (2012). सूत्र संवेदना (PDF) (प्रथम संस्करण). अहमदावाद: सन्मार्ग प्रकाशन. पृ॰ 34.
  2. यशोविजय जी, महामहोपाध्याय. पंचपरमेष्ठि गीता.