नन्दिनागरी
, लिपि है जो नागरी लिपि और ब्राह्मी से व्युत्पन्न है। नन्दिनागरी, नागरी लिपि की पश्चिमी शैली है। नन्दिनागरी में लिखित शिलालेख और पाण्डुलिपियाँ दक्षिण भारत के कुछ प्रदेशों के पश्चिमी भागों में भी प्राप्त हुए हैं। (महाराष्ट्र, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश आदि)। इस कारण नन्दिनागरी को नागरी की दक्षिणी शैली भी कहते हैं। मध्वाचार्य की कुछ पाण्डुलिपियाँ नन्दिनागरी में हैं।