ध्यान की लालसा
ध्यान की लालसा अथवा अवधान पिपासा (अंग्रेज़ी: Attention Seeking) ऐसा मानव व्यवहार है जिसमेंं व्यक्ति किंचित क्रिया कलापों अथवा हाव-भाव के माध्यम से लोगों का ध्यान अपनी ओर आकर्षित करना चाहता है। जहाँ ऐसा व्यवहार अयाचित एवं अनुपयुक्त माना जाता है वहीं इस पद को निंदात्मक अथवा नकारात्मक ढंग से शिष्टजनों के समक्ष बच्चों के व्यवहार अथवा बचकाने व्यवहार से संबद्ध किया जाता है। यह व्यवहार प्रायः दूसरों से वैधता पाने के लिए स्वयं को चर्चा में बनाए रखने की लालसा में आत्मश्लाघा को प्रश्रय देता है। कुछ स्थितियों में दूसरों के ध्यानाकर्षण का सुख सामाजिक तौर पर स्वीकार्य है।[1]
कारण
यदि बचपन में किसी को अपने माता-पिता अथवा बड़ों से अधिक ध्यान नहीं मिला हो तो वह स्वयं को उपेक्षित महसूस करते हुए बड़ा हो सकता है। तब वो अहसास व्यक्ति के अवधान पिपासु व्यवहार के मुख्य वाहक होंगे। दुर्व्यवहारपूर्ण माता-पिता अथवा वे माता-पिता जो बहुधा अपने बच्चों को समय नहीं देते उनके बच्चें उपेक्षित महसूस कर सकते हैं, और इस तरह बच्चा वयस्क के रूप में अवधान पिपासु हो सकता है। आत्मप्रेमी लोग भी अवधान पिपासु होते हैं। उनके अनुसार ध्यान आकर्षण भी आत्मरति को पुष्ट करने का माध्यम हो सकता है इसलिए वे उसे पाने के लिए उत्सुक रहते हैं।[2]
सन्दर्भ
- ↑ Burns, Robert B. Essential Psychology Archived 2013-12-31 at the वेबैक मशीन, Kluwer Academic Publishers, 1991; ISBN 0-7923-8957-3
- ↑ M.Farouk Radwan, The Psychology of Attraction Explained, www.2knowmyself.com/Attention_seeker_psychology/attention_seeking_behaviour_personality