धृति
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धृति का शाब्दिक अर्थ है : मन की द्दढ़ता, चित्त की अविचलता, धैर्य, धीरता, धीरज।
योग के सभी ग्रन्थों ने धृति को एक प्रमुख यम माना है। मनु ने धर्म के दस लक्षणों में धृति को भी स्थान दिया है। साहित्यपदर्पण के अनुसार यह व्यभिचारी भावों में से एक है।[1][2][3]
- अन्य अर्थ-
१. धारण । धरने या पकड़ने की क्रिया ।
२. स्थिर रहने की क्रिया या भाव । ठहराव ।
३. मन की द्दढ़ता चित्त की अविचलता । धैर्य । धीरता ।
४. सोलह मातृकाओं में से एक ।
५. अठारह अक्षरों के वृत्तों की संज्ञा ।
६. दक्ष की एक कन्या और धर्म की पत्नी ।
७. अश्वमेध की एक आहुति का नाम ।
८. फलित ज्योतिष में एक योग ।
९. चंद्रमा की सोलह कलाओं में से एक ।
१०. सन्तोष । आनन्द (को॰) ।
११. विचार । सावधानता (को॰) ।
१२. अठारह (१८) की संख्या (को॰) ।
१३. यज्ञ (को॰) ।
धृति ^२ संज्ञा पु॰
- १. जयद्रथ राजा का पौत्र ।
- २. एक विश्वदेव का नाम ।
- ३. यदुवंशीय वभु का पुत्र ।
सन्दर्भ
- ↑ Shabdkosh.com. "धृति - dhriti का अर्थ, मतलब, अनुवाद, उच्चारण". SHABDKOSH. अभिगमन तिथि 2023-10-11.
- ↑ "श्रीमद् भगवद्गीता | Gita Supersite". www.gitasupersite.iitk.ac.in. अभिगमन तिथि 2023-10-11.
- ↑ www.wisdomlib.org (2015-07-28). "Dhriti, Dhṛti: 38 definitions". www.wisdomlib.org (अंग्रेज़ी में). अभिगमन तिथि 2023-10-11.