धर्माशोक
धर्माशोक (ईपू १४४८-१४००) कश्मीर का राजवंश का शासक था। कल्हण की राजतरंगिणी के अनुसार कश्मीर के राजाओं की सूची में ४८ वें राजा का नाम ' अशोक ' था , वह यही धर्माशोक है, जो कि कनिष्क से तीन पीढ़ी ऊपर था । अपने राज्यारोहण के कुछ समय बाद इस ने बौद्ध धर्म के प्रचार के लिये अनथक यत्न किया । लोगों को सन्मार्ग पर चलाने तथा उन्हें आराम देने के लिए इस ने हज़ारों स्तूप , विहार और भवन आदि बनवाए । राजतरंगिणी से ज्ञात होता है कि वर्तमान श्रीनगर की आधारशिला भी इसी धर्माशोक ने ही रखी थी ।[1][2][3][4][5] राजतरंगिणी के ब्योरों के अनुसार कनिष्क ने कश्मीर में राज्य किया था।[6][7][8] प्रो. आचार्य रामदेव लिखते हैं - बौद्ध साहित्य बड़े विस्तार तथा प्रशंसा के साथ जिस अशोक का वर्णन करता है वह वास्तव में यही धर्माशोक है ।
अशोकावदान धर्म अशोक का कुछ इस प्रकार वर्णन करता है -
राज्ञाशोकेन चतुरशीतिधर्मराजिकासहस्रं प्रतिष्ठापितं धार्मिको धर्मराजा संवृत्तस्तस्य धर्माशोक इति संज्ञा जाता । वक्ष्यति च । आर्यो मौर्यश्रीः स प्रजानां हितार्थं कृत्स्ने स्तूपान् यः कारयामास लोके । चण्डाशोकत्वं प्राप्य पूर्वं पृथिव्यां धर्माशोकत्वं कर्मणा तेन लेभे ॥[9]
हिन्दी अनुवाद - जब राजा अशोक ने चौरासी हजार स्तूपों की स्थापना की, तब उन्हें धर्मअशोक के नाम से जाना जाने लगा। वह आर्य मौर्यश्री अशोक ने प्रजा के लाभ के लिए दुनिया भर में स्तूपों का निर्माण किया । इस तरह पूर्व काल में पृथ्वी पर जिसे (क्रूरता के कारण) चंडअशोक कहा जाता था । वह सम्पूर्ण पृथिवी पर अपने किए गए सत्कार्मो से धर्मअशोक बन गया ।
कल्हण ने अशोक और भगवान बुद्ध के समयकाल के बीच 150 वर्ष का अन्तराल बताया है -
तदा भगवतः शाक्यसिंहस्य परनिवृर्तेः ।। अस्मिन्महीलोकधातो सार्धवर्षशंत हगात ।।[10] -राजतरंगिणी 1:172
हिन्दी अनुवाद - उस समय भगवान् शाक्य सिंह का इस महीलोक में परिनिर्वाण हुए 150 वर्ष व्यतीत हो चुके थे।
राजतरंगिणी मे धर्माशोक का उल्लेख इस प्रकार हुआ है -
प्रपौत्रः शकुनेस्तस्य भूपतेः प्रपितृव्यजः। अथावहदशोकाख्यः सत्यसंघो वसुन्धराम्॥१०१॥[11][12]
संदर्भ
- ↑ शर्मा, रघुनन्दन प्रसाद. भारतीय इतिहास का विकृतीकरण (Hindi में). 129 बी . एम.आई.जी. फ्लेट्स , राजौरी गार्डन , नई दिल्ली - 110027: हिन्दू राइटर्स फोरम. पपृ॰ 65–66. अभिगमन तिथि 2020-07-02.सीएस1 रखरखाव: स्थान (link) सीएस1 रखरखाव: नामालूम भाषा (link)
- ↑ "The Astrological Magazine". The Astrological Magazine. Raman Publications. 71: 189.
- ↑ उपाध्याय, अरुण कुमार (2006). सांख्य सिद्धान्त सांख्य-दर्शन का वैज्ञानिक आधार. Nāga Pabliśarsa. पृ॰ 72. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 9788170816386.
जनक के भाई का पौत्र ( ४८ ) अशोक १४४८ ई . पू . में राजा हुआ । लोकधातु बुद्ध के प्रभाव में यह बौद्ध हुआ
- ↑ Glorious Epoch (Svayambhuva Manu to Shakari Shalivahan, 29000 B.C to 135 A.D.). Shri Bhagavan Vedavyasa Itihas Samshodhana Mandir (BHISHMA). 1994. पृ॰ 199. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 9788190027243.
Ashoka called Dharmashoka by the Buddhists succeeded to Shachinara , as 48th in the line of the Gonandiya dynasty in 1448 B.C. He came under the spell of the Bikhu called Lokadhatu Buddha and embraced the Buddhist faith .
- ↑ आचार्य रामदेव, प्रो. आचार्य; विद्यालंकार, सत्यकेतु. भारतवर्ष का इतिहास ( तृतीय खण्ड : बौद्ध काल ) (Hindi में). 3. हरिद्वार: गुरुकुल विश्वविद्यालय. पृ॰ 41.
यह काश्मीर का राजा हुआ है । इस का दूसरा नाम ' धर्माशोक ' है । कल्हण की राजतरंगिणी में इस का वर्णन प्राप्त होता है । यह गोनन्द वंश में पैदा हुआ था | अपने राज्यारोहण के कुछ समय बाद इस ने बौद्ध धर्म के प्रचार के लिये अनथक यत्न किया । लोगों को सन्मार्ग पर चलाने तथा उन्हें आराम देने के लिए इस ने हज़ारों स्तूप , विहार और भवन आदि बनवाए । राजतरंगिणी से ज्ञात होता है कि वर्तमान श्रीनगर की आधारशिला भी इसी धर्मा शोक ने ही रखी थी ।
सीएस1 रखरखाव: नामालूम भाषा (link) - ↑ Ramachandran, Velandai Gopalayyar; Mahalingam, N. (1991). Historic Dates. International Society for the Investigation of Ancient Civilizations. पृ॰ 49.
- ↑ Sathe, Shriram (1987). Dates of the Buddha (English में). Bharatiya Itihasa Sankalana Samiti. पृ॰ 140.सीएस1 रखरखाव: नामालूम भाषा (link)
- ↑ Tamil Studies. 3. International Institute of Tamil Historical Studies. 1983. पृ॰ 41.
The Kushan King Kanishka was given a new date as if he was alive in 78 A.D. As of fact he ruled only from 1294 to 1234 B.C. ( vide Raja Tarangani and Kota Venkatachalam's treatise on Kashmir Chronology p . 157 ) .
- ↑ "अशोकावदानम् - विकिस्रोतः". sa.wikisource.org (संस्कृत में). अभिगमन तिथि 2023-08-28.
- ↑ रघुनाथ सिंह (1970-01-01). Raja Tarangini कल्हण कृत राजतरंगिणी.
- ↑ कह्नणकृता राजतरङ्गिणी (PDF) (Sanskrit में). 1. government of india - central - IGNCA. पृ॰ 10.सीएस1 रखरखाव: नामालूम भाषा (link)
- ↑ रामदेव, प्रो. आचार्य. भारतवर्ष का इतिहास ( तृतीय खण्ड : बौद्ध काल ). 3. हरिद्वार: गुरुकुल विश्वविद्यालय. पृ॰ 41.