धर्मरक्ष
धर्मरक्ष (चीनी: 竺法護; pinyin: Zhú Fǎhù) एक बौद्ध विद्वान थे जिन्होने महायान सम्रदाय के सूत्रों का संस्कृत से चीनी भाषा में अनुवाद किया। इसका पूर्वी देशों में प्रचलित बौद्ध धर्म पर विशेष प्रभाव पड़ा।
धर्मरक्ष ने सन २६६ से सन ३०८ के कालावधि में १५९ संस्कृत ग्रन्थों का चीनी भाषा में अनुवाद किया। [1]
अनूदित ग्रन्थ
- तथागत-गुह्य-सूत्र
- स्वप्न-निर्देशसूत्र
- रत्नचूड(परिपृच्छा)सूत्र
- समन्तमुख-परिपृच्छा(सूत्र) (287 ई.)
- गर्भावक्रान्ति-निर्देश(सूत्र) (287 ई.)
- मञ्जूश्री-बुद्धक्षेत्र-गुण-व्यूह(सूत्र) (290 ई.)
- उग्र(दत्त)परिपृच्छा(सूत्र)
- भद्रमायाकार-परिपृच्छा(सूत्र)
- सुमतिदारिका-परिपृच्छा(सूत्र)
- अशोकदत्त-व्यकरण(सूत्र) (317 ई.)
- विमलदत्त-परिपृच्छा(सूत्र) (289 ई.)
- सुस्थितमति(देवपुत्र)परिपृच्छा(सूत्र)
- सिंहपरिपृच्छासूत्र
- (उपायकौशल्य)ज्ञानोत्तर-बोधिसत्त्व-परिपृच्छा(सूत्र) (285 ई.)
- मैत्रेय-परिपृच्छा(सूत्र) (303 ई.)
- अक्षयमति(निर्देश)-सूत्र (308 ई.)
- तथागत-महाकरुणा-निर्देश(सूत्र) (291 ई.)
- महायानोपदेश(सूत्र) (287 ई.)
- Wuyan tongzi jing
- दशभूमिकासूत्र (297 ई.)
- Pusa shizhu xingdaopin
- तथागतोत्पत्ति-सम्भव-निर्देश(सूत्र) (292 ई.)
- Dengmu pusa suowen sanmei jing
- Dushipin jing (291)
- चतुर्दारकसमाधि-सूत्र (269)
- ललितविस्तर(सूत्र) (308)
- सद्धर्मपुण्डरीक-सूत्र (286)
- विमलकीर्ति-निर्देश-सूत्र (308)
- Fosheng daolitian weimushuo fa jing (pom. 280 a 290)
- अवैवर्तिकचक्र-सूत्र (284)
- सर्वपुण्य-समुच्चय-समाधि-सूत्र (लगभग 266 से 313)
- ब्रह्मविशेषचिन्ती-परिपृच्छा-सूत्र (286)
- लोकधारा-परिपृच्छा-सूत्र (लगभग 266 से 313)
- सर्ववैदल्य-संग्रह-सूत्र (लगभग 266 से 313)
- रत्न-कारण्ड(क)(व्यूह)-सूत्र (270)
- Wuji baosanmei jing (307) (T 636, K 170)
- अजातशत्रुकौकृत्य-विनोदन-सूत्र (287)
- हस्तिकक्षय-सूत्र (pom. 265 a 313)
- मञ्जूश्री-विक्रीदित-सूत्र (314)
- Mile xiasheng jing (303)
- Taizimupo jing (pom. 265 a 313)
- चन्द्रप्रभ-कुमार-सूत्र (लगभग 266 से 313)
- वत्स-सूत्र (pom. 265 a 313)
- स्त्रीविवर्त-व्याकरण-सूत्र (pom. 280 a 290)
- बुद्धक्षेपण (लगभग 266 से 313)
- Julai duzheng zishi sanmei jing (लगभग 266 से 313)
- Longshi pusa benqi jing (लगभग 266 से 313)
- अष्टबुद्धक-(सूत्र) (लगभग 266 से 313)
- Yulanpen jing (लगभग 266 से 313)
- Ratnajālī-परिपृच्छा-सूत्र (लगभग 266 से 313)
- Pusaxing wushi yuanshen jing (लगभग 266 से 313)
- Śrimatī-brāmani-paripṛcchā-sūtra (लगभग 266 से 313)
- Sibu kede jing (लगभग 266 से 313)
- सुविक्रान्त-(चिन्त)-देवपुत्र-परिपृच्छा-सूत्र (लगभग 266 से 313)
- सागरनागराज-परिपृच्छा-सूत्र (285)
- बुद्धसङ्गीति-सूत्र (लगभग 266 से 313)
- भद्रकल्पिक-सूत्र (300)
- शार्दूलकर्णावदान
सन्दर्भ
- ↑ चीन का इतिहास, पृष्ट २२ Archived 2016-08-21 at the वेबैक मशीन (लेखक- प्रोफ. सी ई जीनी)