देवी तुलसी
'''देवी तुलसी''' के दो रूप हैं पहला गंडकी नदी का और दूसरा तुलसी पौधे का
भगवान विष्णु शालिग्राम रूप में इनके साथ गंडकी नदी में रहतें हैं । बिहार के गंडकी नदी में ही सबसे अधिक शालिग्राम पाये जाते हैं । यें भगवान विष्णु की पत्नी हैं।
देवी तुलसी | |
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पुण्य, शाकाहार, पतिव्रत धर्म, सुहाग, प्रकृति, ममता, पवित्रता की देवी, पवित्र तुलसी पौधे की दिव्य साकार स्वरूप | |
अन्य नाम | वृंदा, तुलसी, हरिप्रिया, नारायणी, लक्ष्मी, वैष्णवी, कल्याणी, हरिवल्लभा और हरिहृदयवासिनी |
निवासस्थान | बैकुंठ, तुलसी पौधा और गंडकी नदी |
मंत्र | ॐ त्रिपुराय विद्महे तुलसीपत्राय धीमही तन्नो तुलसी प्रचोद्यात । |
अस्त्र | कमल, जापमाला, दंड और कमंडल |
प्रतीक | तुलसी का पौधा और तुलसी की माला |
वर्ण | हरा और श्याम |
जीवनसाथी | विष्णु |
सवारी | कमल |
शास्त्र | विष्णु पुराण, देवी भागवत पुराण, वेद |
तुलसी भगवान विष्णु को लक्ष्मी से भी अधिक प्रिय हैं और साथ ही यें रोगों से भी लड़ती है । खांसी , बुखार और जुकाम में भी तुलसी का प्रयोग होता है । तुलसी और भगवान विष्णु का विवाह देव उठनी एकादशी के दिन होता है । जो भी तुलसी और विष्णु का विवाह करता या कराता है उसके पिछले जन्म और जो उसका वर्तमान जन्म है उसके भी सारे पाप मिट जाते हैं। शालिग्राम के साथ साथ भगवान विष्णु या उनके २२वें अवतार श्रीकृष्ण अथवा उनके बाल रूप लडडू गोपाल के साथ भी तुलसी विवाह करातें हैं । तुलसी दो प्रकार की हैं रामा तुलसी और श्यामा तुलसी । श्यामा तुलसी के थोड़े काले पत्ते होते हैं और रामा तुलसी के हरे पत्ते होते हैं।