देवरिया
देवरिया Deoria | |
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देवरिया का श्याम मंदिर | |
देवरिया उत्तर प्रदेश में स्थिति | |
निर्देशांक: 26°30′07″N 83°46′44″E / 26.502°N 83.779°Eनिर्देशांक: 26°30′07″N 83°46′44″E / 26.502°N 83.779°E | |
ज़िला | देवरिया ज़िला |
राज्य | उत्तर प्रदेश |
देश | भारत |
जनसंख्या (2023) | |
• कुल | 3,540,000 |
भाषाएँ | |
• प्रचलित | हिन्दी |
समय मण्डल | भारतीय मानक समय (यूटीसी+5:30) |
देवरिया (Deoria) भारत के उत्तर प्रदेश राज्य के देवरिया ज़िले में स्थित एक नगर है। यह ज़िले का मुख्यालय भी है।[1]
[2]देवरिया भारत के उत्तर प्रदेश प्रान्त का एक शहर एवं जिला मुख्यालय है। देवरिया जनपद में मुख्य रूप से हिन्दी भाषा बोली जाती है। देवरिया जनपद की कुल जनसंख्या की लगभग ९६ प्रतिशत जनता हिन्दी, लगभग ३ प्रतिशत जनता उर्दू और एक प्रतिशत जनता के बातचीत का माध्यम अन्य भाषाएँ हैं। बोली की बात करें तो ग्रामीण जनता के साथ-साथ अधिकांश शहरी जनता भी प्रेम की बोली भोजपुरी बोलती है। कुल जनसंख्या की दृष्टि से इस जनपद में लगभग चौरासी प्रतिशत हिन्दू, लगभग पंद्रह प्रतिशत मुस्लिम और एक प्रतिशत अन्य धर्म को मानने वाले हैं। इस जनपद की जनता आपस में प्रेम-भाव से रहते हुए सबके दुख-सुख में सहभागी बनती है। या यूँ कहें "देवरिया जनपद रूपी उपवन को हिंदू, मुस्लिम, सिख, इसाई, बौद्ध आदि पुष्प अपनी सुगंध से महकाते हैं और ये सुगंध आपस में मिलकर पूरे भारत को गमकाती है।"
बरांव से पकड़ी देवरिया होते हुए चकरवां गांव प्राचीनतम काल से आल्हा गाने मे प्रसिद्ध है । तीर्थराज तिवारी के आल्हा की गुंज अभी सबके कानो मे गुंजती है।4
विवरण
देवरिया गोरखपुर से क़रीब 50 किमी दक्षिण-पूर्व में स्थित है। देवरिया के पास ही कुशीनगर स्थित है जो महात्मा बुद्ध के निर्वाण स्थल के रूप में एक प्रसिद्ध बौद्ध तीर्थस्थल है। महात्मा बुद्ध को महापरिनिर्वाण की प्राप्ति कुशीनगर (पहले देवरिया जिला का भाग) में हुआ था जिसके कारण यात्री विदेशो से भी बुद्ध जी का दर्शन करने आते है।
देवरिया को देवनगरी या देवस्थान भी कहा जाता है देवराहा बाबा की जन्म भूमि देवरिया शहीद पंडित रामप्रसाद बिस्मिल की समाधि के लिए भी विख्यात है जो बरहज के आश्रम विद्यालय में है| कुछ विद्वान 'देवरिया' की उत्पत्ति 'देवारण्य' या 'देवपुरिया' से मानते हैं। माना जाता है कि इस क्षेत्र में कभी बहुत घने वन हुआ करते थे जिसमें देवताओं का वास था।वस्तुत: यह क्षेत्र अत्यन्त प्राचीन काल से देवों और आर्यों की सम्मिलित भूमि रही है, उसी कारण इसे 'देवार्य' क्षेत्र या भूमि कहते आयें है, जो कालान्तर में अपभ्रंश रूप 'देवरिया' के रूप में जाना जाने लगा।
इतिहास
इस जिले के वर्तमान क्षेत्र का एक हिस्सा उत्तर में हिमालय से घिरा हुआ है, दक्षिण में Shyandika नदी 'कोशल ancient'arya संस्कृति का एक प्रमुख केंद्र rajya'-' था, में (बिहार) ईस्ट वेस्ट एंड Maghadh राज्य में 'पांचाल राज्य'। कई इस क्षेत्र के साथ संबंधित fictions इसके अलावा, खगोल-ऐतिहासिक जीवाश्म ('मूर्ति', सिक्के, ईंटों, मंदिरों, बुद्ध गणित आदि) इस जिले के कई स्थानों पर पाया जाता है, दिखा रहा है कि वहाँ एक विकसित और संगठित समाज में लंबे समय के बहुत पहले था। जिले के प्राचीन इतिहास रामायण के समय के साथ संबंधित है जब 'कोशल नरेश' भगवान राम ने अपने बड़े बेटे कुश ', Kushawati- के राजा जो आज कुशीनगर है नियुक्त किया था।
महाभारत के समय से पहले, इस क्षेत्र चक्रवर्ती सम्राट 'Mahasudtsan' और उसके राज्य 'कुशीनगर' के साथ संबंधित था अच्छी तरह से विकसित किया गया था और prosperous. Nearby अपने राज्य की सीमा के लिए मोटी क्षेत्र वुड्स 'महा-वैन' था। यह क्षेत्र मौर्य शासकों, गुप्त शासकों और राजभर शासकों के नियंत्रण में था, और फिर Gharwal शासक 'गोविंद चंद्र' वर्ष -1114 से के नियंत्रण के अधीन 1154. साल के लिए इस क्षेत्र मध्यकालीन दौरान अवध शासकों का या बिहार मुस्लिम शासकों के नियंत्रण में था कई बार, बहुत स्पष्ट नहीं है।
सुल्तान, निजाम या इस क्षेत्र पर खिलजी की - सबसे पुराना दिल्ली शासकों के थोड़ा नियंत्रण नहीं था। इस क्षेत्र के पूर्व में युद्ध / हमले / मुस्लिम इतिहासकारों meaningby मुस्लिम आक्रमणकारियों ने आक्रमण लिपियों शायद ही कभी का दौरा किया है। मोटी लकड़ी क्षेत्र में इस क्षेत्र का कोई विवरण नहीं है। इस जिले के कई स्थानों रहे हैं- Paina, Baikuntpur, Berhaj, Lar, रुद्रपुर, हठ, कसया, गौरीबाजार, कप्तानगंज, Udhopur, Tamkuhi, बसंतपुर Dhoosi आदि इस district.Important लोगों के आधुनिक इतिहास में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई
गांधीजी संबोधित देवरिया व पडरौना 1920.Baba राघव दास में जनसभाओं NamakMovement के बारे में 1930 अप्रैल में आंदोलन शुरू किया था। 1931 में, वहाँ इस जिले में सरकार और जमींदारों के खिलाफ व्यापक आंदोलन कर रहे थे। बहुत से अधिक लोगों स्वयंसेवकों के रूप में कांग्रेस में शामिल हुए और 1935 में 1931 और रफी अहमद किदवई में district.Sh.Purushottam दास Tondon के कई स्थानों पर मार्च किया इस जिले के विभिन्न स्थानों का दौरा किया। के दौरान भारत आंदोलन, छोड़ो के रूप में ज्यादा के रूप में 580 लोगों को अलग अलग अवधि के लिए बार के पीछे भेज दिया गया। देवरिया जिला गोरखपुर जिले से 16 मार्च '1946 में अस्तित्व में आया।
नाम देवरिया 'Devaranya' या शायद के रूप में माना जाता है कि 'Devpuria' से ली गई है। आधिकारिक gazzettes के अनुसार, जिले का नाम 'देवरिया' अपने मुख्यालय के नाम 'देवरिया' द्वारा लिया जाता है और शब्द देवरिया आम तौर पर एक ऐसी जगह है जहां मंदिरों देखते हैं इसका मतलब है। एक जीवाश्म (टूट) द्वारा विकसित देवरिया नाम शिव मंदिर अपनी NORTHSIDE में 'इस्तांबुल नदी' की ओर से। कुशीनगर (पडरौना) जिला देवरिया जिले के उत्तर-पूर्वी हिस्से को अलग करके 'मई 1994 में अस्तित्व में आया।
ऐतिहासिक दृष्टि से देवरिया कोसल राज्य का भाग था।
स्वतंत्रता संग्राम में भी देवरिया पीछे नहीं रहा और अंग्रेजों के विरुद्ध बिगुल फूँक दिया। शहीद रामचंद्र इण्टरमिडिएट कालेज बसंतपुर धूसी (तरकुलवा) के कक्षा आठ का एक छात्र बालक रामचंद्र ने देवरिया में भारतीय तिरंगे को लहराकर शहीद रामचंद्र हो गया और सदा के लिए अमर हो गया।
देवरिया ब्रह्मर्षि देवरहा बाबा,भगवान दास गोंड़ बाबा राघव दास, आचार्य नरेन्द्र देव जैसे महापुरुषों की कर्मभूमि रहा है। देवरिया जिला मुख्य कस्बो में बरहज, भलुअनी, रुद्रपुर, सलेमपुर, भागलपुर, भटनी, गौरीबाजार में बटा हुआ है। इस जिला मुख्यालय से 15 कि0मी0 की दूरी पर खुखुन्दू है । यहॉ पर यक जैन मंदिर है जो प्राचीन है खुखुन्दू चौराहे से 2कि0मी0 पश्चिम मे एक गॉव छोटी रार है, यहॉ पर उद्देश्य सेवा समिति के प्रेसिड़ेंट का जन्म स्थल है ।इसी खुखुन्दू से लगभग 2 कि0मी0 दक्षिण में एक गाँव मरहवाँ है जो शमचौरासी घराना के प्रसिद्ध शास्त्रीय गयक डॉ प्रेमचंद्र कुशवाहा का जन्म स्थान है। डॉ कुशवाहा विश्वप्रसिद्ध शास्त्रीय गायक उस्ताद सलामत अली खान साहब के बहुत ही प्रतिभाशाली शिष्य हैं,तथा भारत मद शमचौरासी घराने के प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। ख्याल, ठुमरी, दादरा, गीत, भजन, काफिया, सूफ़ियाना कलाम, एवं लोकसंगीत के अनेकों प्रकार को गाने में दक्ष हैं। वर्तमान में डॉ कुशवाहा ,एसोसिएट प्रोफेसर ,संगीत गायन श्रीचित्रगुप्त पी जी कालेज मैपुरी में अपनी सेवाएं प्रदान कर रहे हैं।
शिक्षा
इस शहर में तीन महाविद्यालय (बाबा राघवदास स्नातकोत्तर महाविद्यालय, संत बिनोवा स्नातकोत्तर महाविद्यालय एवं राजकीय महिला महाविद्यालय), ६-७ इंटरमीडिएट (राजकीय इण्टर कालेज, बाबा राघवदास इंटरमीडिएट कालेज, चनद्रशेखर आजाद इण्टर कालेज) कालेज, २-३ तकनीकी विद्यालय और बहुत सारे माध्यमिक एवं प्राथमिक विद्यालय हैं जो इसकी ज्ञान गरिमा को मंडित कर रहे हैं। इस शहर में कई धार्मिक एवं ऐतिहासिक स्थान हैं । देवरिया शहर गोरखपुर से ५२ किलोमीटर पूर्व में स्थित है। देवरिया शहर बहुत कम समय में तेजी से विकास किया है। देवरिया रेल द्वारा सीधे गोरखपुर और वाराणसी से जुड़ा हुआ है। देवरिया सदर (रेलवे स्टेशन) से प्रतिदिन दिल्ली, मुम्बई जाने के लिए कई रेलगाड़ियाँ है तथा देश के कुछ अन्य प्रांतों में जाने के लिए भी। देवरिया पूरी तरह से सड़क मार्ग से भी भारत के अन्य भागों से जुड़ा हुआ है। देवरिया बस स्टेशन से 10-15 मिनट पर गोरखपुर के लिए बसें जाती हैं तथा इसके अलावा बहुत सारी निजी (प्राइवेट) सवारियाँ भी मिल जाएँगी। देवरिया से दिल्ली, बनारस, कानपुर, लखनऊ, अयोध्या आदि के लिए भी प्रतिदिन कई बसें चलती हैं।
पुलिस स्टेशन
जिला देवरिया में 18 पुलिस स्टेशन हैं:
लोकल न्यूज़ वेब साईट
देवरिया जनपद की लोकल खबर देख ने के लिए बी न्यूज़ ऑनलाइन वेब साईट है जो देवरिया की सारी खबरों पर नजर रखता है www.bnewsup.com है
S. NO. | पुलिस स्टेशन का नाम |
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1 | बघौचघाट |
2 | बनकाटा |
3 | बरहज |
4 | भलुअनी |
5 | भटनी |
6 | भाटपार रानी |
7 | ईकौना |
8 | गौरीबाजार |
9 | खामपार |
10 | खुखुंदू |
11 | कोतवाली देवरिया |
12 | लार |
13 | मदनपुर |
14 | मईल |
15 | रामपुर कारखाना |
16 | रुद्रपुर |
17 | सलेमपुर |
18 | तरकुलवा |
19 | महिला थाना देवरिया |
इन्हें भी देखें
सन्दर्भ
- ↑ "Uttar Pradesh in Statistics," Kripa Shankar, APH Publishing, 1987, ISBN 9788170240716
- ↑ "Political Process in Uttar Pradesh: Identity, Economic Reforms, and Governance Archived 2017-04-23 at the वेबैक मशीन," Sudha Pai (editor), Centre for Political Studies, Jawaharlal Nehru University, Pearson Education India, 2007, ISBN 9788131707975