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दृढ़ पिण्ड गतिकी

चिरसम्मत यांत्रिकी

न्यूटन का गति का द्वितीय नियम
इतिहास · समयरेखा

दृढ़ पिण्ड गतिकी बाह्य बलों की उपस्थिति में परस्पर पिण्डो के मध्य गति का अध्ययन है। यहाँ यह माना जाता है कि किसी भी बल के प्रभाव में पिण्ड में किसी प्रकार की विकृति उत्पन्न नहीं होगी। अतः इसका अध्ययन इस आधार पर सरल हो जाता है कि गति के दौरान पिण्ड के विन्यास का ज्ञान होना आवश्यक नहीं है। पिण्ड में किसी भी तरह की स्थानांतरण अथवा घूर्णन गति, पिण्ड में समाहित सभी कणों में समान होगी।

दृढ़ पिण्ड गतिकी को गति के समीकरणों में परिभाषित किया जाता है जिन्हें न्यूटन के गति नियमों तथा लाग्रांजीय यांत्रिकी की सहायता से व्युत्पित किया जाता है। इन गति की समीकरणों के हल की सहायता से दृढ़ पिण्ड निकाय के विन्यास का समय के फलन के रूप में परिवर्तन को समझा जाता है। दृढ़ पिण्ड गतिकी का हल एवं सूत्रीकरण, यांत्रिक निकायों के संगणक अनुकरण में महत्वपूर्ण उपकरण है।

समतलीय दृढ़ पिण्ड गतिकी

सन्दर्भ