सामग्री पर जाएँ

दूसरा फ्रांसीसी साम्राज्य

फ्रांसीसी साम्राज्य
Empire Français

 

 

1852–1870
 

ध्वजशाही चिन्ह
राष्ट्रिय ध्येय
Liberté, égalité, fraternité
"स्वतंत्रता, समानता, बिरादरी"
राष्ट्रगान
Partant pour la Syrie
"सीरिया के लिए प्रस्थान"
फ्रांस का मानचित्र में स्थान
1867 में फ्रांसीसी साम्राज्य।
राजधानीपेरिस
भाषाएँफ्रांसीसी
धार्मिक समूहरोमन कैथोलिक
केल्विनवाद
लूथरवाद
यहूदी धर्म 642156
शासनएकात्मक राज्य संवैधानिक राजतंत्र
सम्राट
 -  1852–1870 नैपोलियन तृतीय
कैबिनेट प्रमुख
 - 1869–1870 एमली ओलीवर
 - 1870 चार्ल्स दे पेलीकाओ
विधायिकासंसद
 - उच्च सदन सीनेट
 - निम्न सदन विधायिका
ऐतिहासिक युगनया साम्राज्यवाद
 - 1851 का तख्तापलट 2 दिसम्बर 1851
 - संविधान अपनाया 14 जनवरी 1852
 - फ्रांसीसी जर्मन युद्ध19 जुलाई 1870
 - सेडान युद्ध1 सितम्बर 1870
 - गणतंत्र की घोषणा4 सितम्बर 1870
मुद्राफ्रांसीसी फ्रेंक
Warning: Value specified for "continent" does not comply

द्वितीय फ्रांसीसी साम्राज्य (French: Second Empire)[1] फ्रांस में, दूसरे गणराज्य और तीसरें गणराज्य के बीच, 1852 से 1870 तक नैपोलियन तृतीय का शाही बोनापार्टिस्ट शासन था।[2]

स्थापना

2 दिसंबर 1851 को लुइस-नैपोलियन बोनापार्ट, जिसे गणराज्य का राष्ट्रपति चुना गया था, ने तख्तापलट कर नेशनल असेंबली को भंग कर दिया और फ्रांस का एकमात्र शासक बन गया, उसने सार्वभौमिक मताधिकार को फिर से स्थापित किया, जिसे पहले विधानसभा द्वारा समाप्त कर दिया गया। उनके फैसले और 10 साल के लिए अपने जनादेश को लोगों का समर्थन प्राप्त था, जिसे महीने भर बाद में कराये गये एक जनमत-संग्रह से पुष्टि होती थी, जिसमें 92 प्रतिशत लोग उनके समर्थन में थे।

एक नया संविधान जनवरी 1852 में अधिनियमित किया गया, जिसमें लुइस-नेपोलियन को राष्ट्रपति के रूप में 10 साल का कार्यकाल और उसके हाथों में लगभग सभी शक्तियाँ केंद्रित कर दी गई। हालांकि, वह केवल एक सत्तावादी राष्ट्रपति होने के साथ संतुष्ट नहीं थे, जैसे ही उन्होंने कानून के नए दस्तावेज पर हस्ताक्षर किए, उन्होंने साम्राज्य को बहाल करने की बात कही। साम्राज्य के पुनःस्थापन के आधिकारिक तौर पर प्रेरित अनुरोधों के जवाब में, सीनेट ने नवंबर में एक दूसरा जनमत संग्रह कराया गया, जिसे 97 प्रतिशत समर्थन प्राप्त हुआ। दिसंबर 1851 के जनमत संग्रह जीत के बाद, साम्राज्य को औपचारिक रूप से 2 दिसंबर 1852 को फिर से स्थापित किया गया, और राजकुमार-राष्ट्रपति, "नैपोलियन तृतीय, फ्रांसीसी सम्राट" बन गए थे। हालांकि संविधान के द्वारा उन्होंने पहले ही सारी शक्ति अपने हाथों में ले ली थी। मात्र "राष्ट्रपति" शब्द "सम्राट" शब्द से बदल दिया गया, और यह पद अब आनुवंशिक बन गया। लोकप्रिय जनमत संग्रह बोनापार्टिज़्म का एक विशिष्ट लक्षण बन गया, जिसे आगे चल कर चार्ल्स डी गॉल ने अपने लिये उपयोग किया था।

साम्राज्य का पतन

1860 के दशक के दौरान, पड़ोसी प्रशिया के उदय ने फ्रांस की नेशनल असेंबली के भीतर काफी असहजता पैदा हुई। 15 जुलाई को, स्पेन के सिंहासन पर होनज़ोलर्न के उम्मीदवारी को लेकर फ्रांस ने प्रशिया के खिलाफ युद्ध की घोषणा कर दी, हालांकि फ़्रांस ने इसके बहाने, फ्रांस में बढ़ती अस्थिरता और मध्य यूरोप में प्रशिया के विस्तार को रोकने के लिए युद्ध की घोषणा की थी। जुलाई और अगस्त 1870 के दौरान, इंपीरियल फ्रांसीसी सेना को कई पराजय का सामना करना पड़ा, जो जाकर सेडान के युद्ध में समाप्त हुआ। सेडान में, बची हुई फ्रांसीसी सेना और नैपोलियन तृतीय ने २ सितंबर को प्रशिया के समक्ष आत्मसमर्पण कर दिया। 4 सितंबर को जब यह समाचार पेरिस पहुंची, उसी दिन उपद्रवकारी भीड़ ने पेरिस के नेशनल असेंबली पर हमला बोल दिया। अगले दिन रिपब्लिकन डिप्टी लेओन जुबेटा ने साम्राज्य के पतन और तीसरे गणराज्य की स्थापना की घोषणा कर दी। महारानी इगुने फ्रांस छोड़ कर ग्रेट ब्रिटेन चली गई, इसके साथ ही साम्राज्य आधिकारिक रूप से समाप्त हो गया।[3]

इन्हें भी देखें

सन्दर्भ

  1. "1851-1870 - Le Second Empire et la France épanouie - Herodote.net". www.herodote.net (फ़्रेंच में). मूल से 21 जून 2018 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 2017-11-29.
  2. "द्वितीय फ्रांसीसी साम्राज्य". एनसाइक्लोपीडिया ब्रिटानिका. मूल से 15 मई 2018 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 15 मई 2018.
  3. miller, Stuart T. (1988). दूसरा फ्रांसीसी साम्राज्य 1852–70. पालग्रेव, लंदन. पपृ॰ 175–188. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-1-349-19580-0. मूल से 15 मई 2018 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 15 मई 2018.