दु:ख
दु:ख मनुष्य में पाए जाने वाली एक भावना है। प्रसन्नता के विपरीत यह एक नकारात्मक और विलोम भावना है। इस कई कारण हो सकते हैं:
- किसी आंतरिक तकलीफ़ से यह भावना का उत्पन्न होना, जैसे कि रोग से तकलीफ़।
- किसी प्रकार के नुक़सान के कारण यह भावना का उत्पन्न होना, जैसे कि किसी बहुमूल्य वस्तु का चुराया जाना।
- किसी परिजन के कारण ऐसी भावना का उत्पन्न होना, जैसे कि वृद्ध पिता का देहान्त।
- किसी लक्ष्य को प्राप्त करने में नाकाम होना, जैसे कि परीक्षा में असफल होना।
दु:ख विभिन्न प्रकार से प्रकट हो सकता है। इसमें रोना, उदास चहरे का दिखाई देना, चेहरे का लाल-लाल होना, चुप्पी साधना, दुनिया से अलग रहना हो सकते हैं। कुछ लोग दु:खी तो होते हैं पर अपनी भावना को छिपा लेते हैं।
दुख, जिंदगी में कभी - कभी उस राह पे लाके खड़ी कर देती है , जहां से लौटना नामुमकिन और आगे बढ़ना मुश्किल हो जाता है । जिंदगी में उस पल को जीना और उससे पार पा लेना व्यक्ति के व्यक्तित्व की परीक्षा होती है।
रचना
दु:ख-दर्शन (रचनाकार-गोलेन्द्र पटेल)