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दुर्धरा

दुर्धरा (350 ईसा पूर्व - 320 ईसा पूर्व) 12वीं सदी के जैन ग्रंथ परिशिष्टपर्व के अनुसार प्राचीन भारत के मौर्य साम्राज्य के संस्थापक चंद्रगुप्त मौर्य की पत्नी थीं।[1] इस ग्रंथ में उन्हें दूसरे मौर्य साम्राज्य के सम्राट बिंदुसार की माँ भी बताया गया है, जिन्हें अमित्रघात भी कहा जाता है।[2] चंद्रगुप्त के उत्तराधिकारी के रूप में उन्हे ग्रीक इतिहासकार अमित्रोचाटेस कहते है, जबकि हिन्दू विद्वान पतंजलि ने उसे अमित्रघात (अर्थ "शत्रुओं का विनाश करने वाला") कहा।[3]

बौद्ध ग्रंथ दुर्धरा के स्थान पर नंदिनी का विवरण देते है। सिंहली बौद्ध वृत्तांत राजवंशपुस्तक में दिए गए विवरण में चंद्रगुप्त के बारे में कहा गया है कि उन्हें धनानंद की बेटी नंदिनी से एक बेटा हुआ था, जिनसे उन्होंने तब प्रेम किया था। नंदिनी से उत्पन्न राजकुमार युवावस्था में ही मर गया। मगध का सिंहासन चंद्रगुप्त मौर्य के बाद, वह सुवर्णनाक्षी (सेल्युकस की पुत्री) से उत्पन्न बेटे को मिला। महावंश की टीका वंसत्थप्पकासिनी में चंद्रगुप्त की रानी, जो बिन्दुसार की माँ थी, उसको "पुष्करराक्षी" कहा गया है; यह बौद्ध भिक्षुओं की "सुवर्णनाक्षी" लिखने में एक त्रुटि हो सकती है।[4]

लोकप्रिय संस्करण में

स्रोत

  • Mookerji, Radha Kumud (1988) [first published in 1966], Chandragupta Maurya and His Times (4th संस्करण), Motilal Banarsidass, OCLC 426322281, आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 81-208-0433-3

सन्दर्भ

  1. KAN Sastri (1988). Age of the Nandas and Mauryas. Motilal Banarsidass. पपृ॰ 159, 165. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-81-208-0466-1.
  2. Etienne Lamotte (1988). History of Indian Buddhism: From the Origins to the Saka Era. Université catholique de Louvain, Institut orientaliste. पृ॰ 222. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-90-6831-100-6.
  3. Mookerji 1988, पृ॰ 234.
  4. Paranavitana, Senarat. The Greeks and the Mauryas (अंग्रेज़ी में). Stamford Lake. पृ॰ 62. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-955-658-204-8. Candragupta is said, in the account given in the Rajavamśapustaka, to ha had a son from Nandini, the daughter of Dhanananda, whom he had espouse when he was the Commander-in-Chief of the Magadha kingdom. This princ it is said, died young. The throne of Magadha and of the empire that Candr gupta founded, passed to his son from Suvarnņākşi, the daughter of Seleuc Nicator.....In the commentary of the Mahavamsa, the queen of Candragupta who was the mother of Bindusara is called "Puşkarākşi"; this must be an error for the reading 'Suvarnnäkşi