दिल्ली दरवाजा (जिसे दिल्ली गेट भी कहा जाता है) दिल्ली शहर के दक्षिणी ओर का नगर रक्षक द्वार था। यह द्वार पुरानी दिल्ली क्षेत्र (शाहजहानाबाद) और नई दिल्ली क्षेत्र के बीच स्थित है। पुरानी दिल्ली क्षेत्र के नेताजी सुभाष मार्ग एवं नई दिल्ली क्षेत्र के बहादुर शाह ज़फ़र मार्ग के बीच यह दरयागंज के छोर पर स्थित है। इस दरवाजे का निर्माण मुगल बादशाह शाहजहां ने १६३८ में दिल्ली के सातवे शहर तथा तत्कालीन राजधानी शहर शाहजहानाबाद की घेराबन्दी करती रक्षक दीवार के प्रवेशद्वार के रूप में करवाया था। बादशाह इस द्वार का उपयोग नमाज करने हेतु जामा मस्जिद जाने के ल्लिये किया करता था। यह द्वार नगर के तत्कालीन उत्तरी द्वार कश्मीरी दरवाजे (१८३८) से मिलता जुलता था एवं इसे हाथी-पोल भी कहा जाता थाआ। यह लाल बलुआ पत्थर एवं अन्य पत्थरों से बड़े आकार का करवाया गया था। द्वार के निकट ही दो बड़े बड़े हाथी की मूर्तियां भी बनी थीं। इसे पहले हाथी पोल भी कहा जाता था।[1]
इस दरवाजे से निकलती सड़क उत्तरी ओर मुख्य शहर से गुजरती हुई उत्तरी द्वार, कश्मीरी दरवाजे तक जाती थी, एवं दरियागंज से निकलती है। वहाम की दीवार का कुछ भाग दिल्ली जंक्शन रेलवे स्टेशन के निर्माण हेतु ध्वस्त कर दिया गया था। वर्तमान में इस इमारत को ऐतिहासिक स्मारक रूप में संरक्षित किया गया है, तथा इसका रखरखाव भारतीय पुरातात्त्विक सर्वेक्षण विभाग द्वारा किया जा रहा है। [2][3][4][5]
↑महताब जहान (२००४). "दिल्ली'ज़ गेट्स एण्ड विण्डोज़". एमजी द मिनि गैज़ेट इण्डियन मुस्लिम्स लीडिंग न्यूज़पेपर. मूल से 19 जून 2017 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि १७ मई, २००९. |accessdate= में तिथि प्राचल का मान जाँचें (मदद)
↑Patrick Horton; Richard Plunkett; Hugh Fnlay (२००२). देल्ही. वॉल्स एण्ड गेट्स. लोनली प्लानेट. पपृ॰ ९२-९४. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰978-1-86450-297-8. अभिगमन तिथि १३ जून, २००९. |accessdate= में तिथि प्राचल का मान जाँचें (मदद)
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