दहिया
दहिया एक जाट और अहीर[1] गोत्र है जो भारतीय राज्य राजस्थान, हरियाणा, पंजाब और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में पाया जाता है।[2] स्वामी ओमानंद सरस्वती के अनुसार, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के अहीर और जाट विशेष रूप से गुड़गांव जिले के ताजपुर, दयालपुर गांवों और मेरठ जिले के ततारपुर गांव के निवासी दहिया थे।[3]
व्युत्पत्ति
दहिया शब्द प्राचीन शब्द यौधेय का अपभ्रंश माना जाता है, जिनका संबंध यदुओं/यादवों से था।
संस्कृत शिलालेख में इस वंश कि नाम दधीचिक, दहियक या दधीच मिलता है। जोधपुर शहर से चार मील उत्तर किनसररिया गांव की पहाड़ी पर केवाय माता के मंदिर के सभामंडप में लगे हुए दहिया वंशी सामंत चच्च के 1058 (V.S.) के शिलालेख मे उक्त वंश की उत्पत्ति के विषय मे लिखा है। मुनहरोत नैणसी ने पर्वतसर मे रहकर दहियो का वृत्तांत अपनी ख्यात के लिए संग्रहीत किया। उसने लिखा है कि दहियो का मूल निवास स्थान नासिक त्र्यंबक के पास होकर बहने वाली गोदावरी नदी के निकट थालरेनगढ़ था। दहियो के स्थान देरावर, पर्वतसर, सांवरा,घंटियाली, हरसोर एवं मारोठ थे। जालोर का गढ भी दहियो का बनाया हुआ माना जाता है।
सन्दर्भ
- ↑ Ibbetson, Sir Denzil; Maclagan (1990). Glossary of the Tribes and Castes of the Punjab and North West Frontier Province (अंग्रेज़ी में). Asian Educational Services. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-81-206-0505-3.
- ↑ Gupta, Parmanand (1989). Geography from Ancient Indian Coins & Seals (अंग्रेज़ी में). Concept Publishing Company. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-81-7022-248-4.
Swami Omanand points out that the Ahirs and Jats of Haryana and Western U.P., specially the residents of the Tajupur, Dayalpur villages of Gurgaon district and of the Tatarpur village of Meerut district, belong to the Dehiya, Dheyu or Dheya family which according to him is a currupt from of the ancient word Yaudheya.
- ↑ Gupta, Parmanand (1989). Geography from Ancient Indian Coins & Seals (अंग्रेज़ी में). Concept Publishing Company. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-81-7022-248-4.