दशाश्वमेध घाट


दशाश्वमेध, वाराणसी में गंगातटवर्ती सुप्रसिद्ध स्थान है जिसका धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व है। काशीखंड के अनुसार शिवप्रेषित ब्रह्मा ने काशी में आकर यहीं दस अश्वमेध यज्ञ किए। शिवरहस्य के अनुसार यहाँ पहले रुद्रसरोवर था परंतु गंगागमन के बाद पूर्व गंगापार, दक्षिण दशहरेश्वर, पश्चिम अगस्त्यकुंड और उत्तर सोमनाथ इसकी चौहद्दी बनी। यहाँ प्रयागेश्वर का मंदिर है। काशीप्रसाद जायसवाल के मत से भारशिव राजभर राजाओं ने इस स्थान पर दस अश्वमेघ किए वह यही भूमि है। सन् 1929 में यहाँ रानी पुटिया के मंदिर के नीचे खोदाई में अनेक यज्ञकुंड निकले थे। त्रितीर्थी में यहाँ स्नान करना अनिवार्य है।