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दर्शनशास्त्र की रूपरेखा

दर्शनशास्त्र अस्तित्व, ज्ञान, मूल्य, तर्कबुद्धि, मन और भाषा जैसे मामलों से संबंधित सामान्य और मूलभूत समस्याओं का अध्ययन है।[1][2] यह मौलिक प्रश्नों को संबोधित करने के अन्य तरीकों (जैसेकि रहस्यवाद , मिथक , या धर्म) से समालोचनात्मक और आम तौर पर सुव्यवस्थित होने और तर्कसंगत युक्ति पर निर्भर होने से अलग है।[3] इसमें भाषा का तार्किक विश्लेषण और शब्दों और अवधारणाओं के अर्थ का स्पष्टीकरण शामिल है।

शब्द "फिलॉसफी" यूनानी फिलोसोफिया (φιλοσοφία) से आया है,[4][5]जिसका शाब्दिक अर्थ है "प्रज्ञान से प्रेम"।

दर्शनशास्त्र की शाखाएं

समकालीन दर्शन में प्रयुक्त दर्शन की शाखाएँ एवं उनकी उप-शाखाएँ इस प्रकार हैं।

सौंदर्यशास्र

सौंदर्यशास्त्र सौंदर्य, कला और सौंदर्यबोध (taste) के स्वभाव और व्यक्तिगत प्रकार की सत्य के निर्माण का अध्ययन है।

ज्ञानमीमांसा

ज्ञानमीमांसा, दर्शनशास्त्र की वह शाखा है जो ज्ञान के स्रोत, स्वभाव और वैधता का अध्ययन करती है।

  • सामाजिक ज्ञानमीमांसा - ज्ञान के सामाजिक पहलुओं की जांच।
  • औपचारिक ज्ञानमीमांसा - ज्ञान का अध्ययन करने के लिए औपचारिक प्रतिदर्श का अनुप्रयोग।
  • मेटा(अधि)ज्ञानमीमांसा - स्वयं ज्ञानमीमांसा की नींव का अध्ययन करना।

नीतिशास्त्र

नीतिशास्त्र – मूल्य और नैतिकता का अध्ययन।

  • अनुप्रयुक्त नीतिशास्त्र – नैतिक दृष्टिकोण से, निजी और सार्वजनिक जीवन में विशेष मुद्दों की दार्शनिक परीक्षा, जो नैतिक प्रसमीक्षा के मामले हैं। इस प्रकार यह मानव जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में कार्रवाई के नैतिक रूप से सही पाठ्यक्रम की पहचान करने के लिए दार्शनिक विधियों का उपयोग करने का प्रयास है।
    • जैवनीतिशास्त्र – चिकित्सा में प्रगति से उभरने वाले विवादास्पद नैतिक मुद्दों का विश्लेषण।
    • पर्यावरण नीतिशास्त्र – गैर-मानवीय दुनिया से संबंधित नैतिक मुद्दों का अध्ययन करता है। यह पर्यावरण कानून, पर्यावरण समाजशास्त्र, पारिस्थितिक धर्ममीमांसा, पारिस्थितिक अर्थशास्त्र, पारिस्थितिकी और पर्यावरण भूगोल सहित विषयों की एक बड़ी श्रृंखला पर प्रभाव डालता है।
    • चिकित्सा नीतिशास्त्र – आयुर्विज्ञान और चिकित्सा अनुसंधान से संबंधित नैतिक मुद्दों का अध्ययन करता है
    • वृत्तिक नीतिशास्त्र – व्यावसायिकता में सुधार के लिए नैतिकता
  • प्रोक्ति नीतिशास्त्र - भाषा के अध्ययन के माध्यम से नैतिक सिद्धांतों की खोज
  • मानदण्डक नीतिशास्त्र – नैतिक सिद्धांतों का अध्ययन जो बताता है कि लोगों को कैसे कार्य करना चाहिए
  • अधिनीतिशास्त्र – नीतिशास्त्र की वह शाखा जो नैतिक गुणों, कथनों, दृष्टिकोणों और निर्णयों की प्रकृति को समझने का प्रयास करती है

तर्कशास्त्र

तर्कशास्त्र – वैध अनुमानों और तर्कणा के रूप का व्यवस्थित अध्ययन।

इसे अलग रूपबद्ध विज्ञान भी माना जाता है

तत्त्वमीमांसा

तत्वमीमांसा – सत्त्व की मौलिक प्रकृति और उसे घेरने वाली दुनिया की व्याख्या करने से संबंधित है।

  • सत्तामीमांसा – सत्, संभवन्, अस्तित्व या वास्तविकता की प्रकृति के साथ-साथ सत् की मूल श्रेणियों और उनके संबंधों का दार्शनिक अध्ययन।
    • मेटा- सत्तामीमांसा – सत्तामीमांसा की स्वयं तात्विक नींव का अध्ययन।
  • अंतरिक्ष और समय का दर्शन – दर्शनशास्त्र की वह शाखा जो सत्तामीमांसा, ज्ञानमीमांसा और अंतरिक्ष और समय के चरित्र से जुड़े मुद्दों से संबंधित है।

अन्य

दर्शन का इतिहास

समय और स्थान के विशिष्ट संदर्भों में दर्शन का इतिहास।

प्राचीन एवं शास्त्रीय दर्शन

प्राचीन इतिहास के दौरान दर्शन.

प्राचीन यूनानी और रोमन दर्शन

शास्त्रीय चीनी दर्शन

  • शत विचार-सम्प्रदाय
    • कन्फ्यूशीवाद
    • विधिपरायणतावाद
    • ताओवाद/धर्म
    • मोवाद
    • प्रकृतिवादियों का सम्प्रदाय
    • नामों का स्कूल
    • कूटनीति का स्कूल
    • कृषिवाद
    • समन्वयतावाद
    • यांगवाद

शास्त्रीय भारतीय दर्शन

मध्यकालीन और शास्त्रीयोत्तर दर्शन

शास्त्रीयोत्तर इतिहास के दौरान दर्शन।

ईसाई दर्शन

इस्लामी दर्शन

यहूदी दर्शन

शास्त्रीयोत्तर चीनी दर्शन

आधुनिक और समकालीन दर्शन

आधुनिक युग के दौरान दर्शन.

पुनर्जागरण दर्शन

आधुनिक दर्शन की समयरेखा

प्रारंभिक आधुनिक दर्शन

समकालीन दर्शन

क्षेत्रानुसार दार्शनिक परंपराएँ

दर्शन की क्षेत्रीय विविधताएँ.

अफ़्रीकाना दर्शन

  • इथियोपियाई दर्शन
  • उबंटू दर्शन

पूर्वी दर्शन

मध्य पूर्वी दर्शन

मूल अमेरिकी दर्शन

  • एज़्टेक दर्शन

पश्चिमी दर्शन

दर्शन के विचार सम्प्रदाय

दर्शन के वे विचार सम्प्रदाय जो विशेष ऐतिहासिक संदर्भों से बंधे नहीं हैं।

सौन्दर्यशास्त्रीय आंदोलन

ज्ञानमीमांसक मत

नैतिक सिद्धांत

तार्किक प्रणालियाँ

तत्त्वमीमांसक मत

राजनीतिक दर्शन

भाषा दर्शन सिद्धांत और मत

मन के दर्शनशास्त्र के सिद्धांत और मत

धर्म दर्शन के मत

विज्ञान के दर्शन के सिद्धांत और मत

सन्दर्भ

  1. Jenny Teichmann and Katherine C. Evans, Philosophy: A Beginner's Guide (Blackwell Publishing, 1999), p. 1: "Philosophy is a study of problems which are ultimate, abstract and very general. These problems are concerned with the nature of existence, knowledge, morality, reason and human purpose."
  2. A.C. Grayling, Philosophy 1: A Guide through the Subject (Oxford University Press, 1998), p. 1: "The aim of philosophical inquiry is to gain insight into questions about knowledge, truth, reason, reality, meaning, mind, and value."
  3. Anthony Quinton, in T. Honderich (ed.), The Oxford Companion to Philosophy (Oxford University Press, 1995), p. 666: "Philosophy is rationally critical thinking, of a more or less systematic kind about the general nature of the world (metaphysics or theory of existence), the justification of belief (epistemology or theory of knowledge), and the conduct of life (ethics or theory of value). Each of the three elements in this list has a non-philosophical counterpart, from which it is distinguished by its explicitly rational and critical way of proceeding and by its systematic nature. Everyone has some general conception of the nature of the world in which they live and of their place in it. Metaphysics replaces the unargued assumptions embodied in such a conception with a rational and organized body of beliefs about the world as a whole. Everyone has occasion to doubt and question beliefs, their own or those of others, with more or less success and without any theory of what they are doing. Epistemology seeks by argument to make explicit the rules of correct belief formation. Everyone governs their conduct by directing it to desired or valued ends. Ethics, or moral philosophy, in its most inclusive sense, seeks to articulate, in rationally systematic form, the rules or principles involved."
  4. Philosophia, Henry George Liddell, Robert Scott, A Greek-English Lexicon, at Perseus
  5. Online Etymology Dictionary