दरिद्रता चक्र
आर्थिक चिन्तन में दरिद्रता चक्र (cycle of poverty) उस स्थिति को कहते हैं जिसमें एक बार गरीबी (दरिद्रता) की स्थिति आने के बाद वह सदा के लिये बनी रहे, यदि कोई बाहरी हस्तक्षेप न किया जाय।
व्याख्या
कोई व्यक्ति या कोई क्षेत्र जब कभी गरीबी से पीड़ित हो जाता है तो उसकी इस स्थिति के कारण उसे (दूसरों की तुलना में) कुछ हानियाँ झेलनी पड़तीं है; इन हानियों के कारण वे गरीबी की दशा से बाहर नहींं निकल पाते। गरीब देशों की इस स्थिति को विकास जाल (development trap) कहा जाता है।
दरिद्रता चक्र एक प्रकार का दुष्चक्र है जिसमें धनात्मक फीडबैक काम करता है। उदाहरण के लिये, जो गरीब है उसके अशिक्षित रहने की अधिक सम्भावना है; फिर जो अशिक्षित है उसको अच्छी जीविका (रोजगार) नहीं मिल सकता - अत: गरीबी बनी रहेगी।
इन्हें भी देखें
- दरिद्रता की संस्कृति (Culture of poverty)
- गरीबी
- दरिद्रताकी देहली (Poverty threshold)
- दरिद्रताजन्य रोग (Diseases of poverty)
- कल्याण (Welfare)