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दत्तात्रेय रामचंद्र बेन्द्रे

दत्तात्रेय रामचन्द्र बेन्द्रे
राष्ट्रीयताभारतीय

दत्तात्रेय रामचंद्र बेन्द्रे (31 जनवरी 1896 – 26 अक्टूबर 1981) कन्नड साहित्यकार थे। इनके द्वारा रचित एक कविता–संग्रह अरलु–मरलु के लिये उन्हें सन् १९५८ में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया।[1] इन्हें १९७३ में ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।

प्रकाशित साहित्य

साहित्यकृतिसाहित्य का प्रकारप्रकाशनवर्ष (इ.स.)भाषा
अरळू मरळूकाव्यसंग्रहइ.स. १९५७कन्नड
उय्यालेकाव्यसंग्रहइ.स. १९३८कन्नड
कृष्णकुमारीकाव्यसंग्रहइ.स. १९२२कन्नड
गंगावतरणकाव्यसंग्रहइ.स. १९५१कन्नड
गरीकाव्यसंग्रहइ.स. १९३२कन्नड
चैत्यालयकाव्यसंग्रहइ.स. १९५७कन्नड
जीवलहरीकाव्यसंग्रहइ.स. १९५७कन्नड
नादलीलेकाव्यसंग्रहइ.स. १९४०कन्नड
पूर्ती मत्तु कामकस्तुरीकाव्यसंग्रहकन्नड
मेघदूतकाव्यसंग्रहइ.स. १९४३कन्नड
सखीगीतेकाव्यसंग्रहकन्नड
सूर्यपानकाव्यसंग्रहइ.स. १९५६कन्नड
हाडू पाडूकाव्यसंग्रहइ.स. १९४६कन्नड
हृदयसमुद्रकाव्यसंग्रहइ.स. १९५६कन्नड

मराठी पुस्तकें

  • के.व्ही. अय्यर द्वारा रचित ’शांतता’ का मराठी अनुवाद (१९६५)
  • गीता जागरण (व्याख्यान, १९७६)
  • विठ्ठल पांडुरंग (कविता संग्रह, १९८४)
  • विठ्ठल संप्रदाय (व्याख्यान, १९६०)
  • संत महंतांचा पूर्ण शंभू विठ्ठल (तीन व्याख्यान, १९८०)
  • संवाद (कविता संग्रह, १९६५)
चित्र:BendreMemorial.jpg
बेन्द्रे स्मारक, धारवाड

सम्मान

सन्दर्भ

  1. "अकादमी पुरस्कार". साहित्य अकादमी. मूल से 15 सितंबर 2016 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 11 सितंबर 2016.

बाहरी कड़ियाँ