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थ़

अघोष दन्त्य संघर्षी
θ
ध्वनि
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थ़ देवनागरी लिपि का एक वर्ण है जिसके उच्चारण को अन्तर्राष्ट्रीय ध्वन्यात्मक वर्णमाला में [θ] के चिह्न से लिखा जाता है। मानक हिन्दी और मानक उर्दू में इसका प्रयोग नहीं होता है, किन्तु हिन्दी की कुछ पश्चिमी उपभाषाओं में इसका 'थ' के साथ सहस्वानिकी सम्बन्ध है। मुख्य रूप से इसका प्रयोग पहाड़ी भाषों को देवनागरी में लिखने के लिये होता है। अंग्रेजी के कई शब्दों में इसका प्रयोग होता है, जैसे की ‘थ़िन’ (thin)।

अघोष दन्त्य संघर्षी

'थ़' को भाषाविज्ञान के नज़रिए से 'अघोष दन्त्य संघर्षी वर्ण' कहा जाता है।

थ़ और थ में गलतियाँ

हिन्दी-भाषी लोग बहुधा 'थ़' को 'थ' बोलते है और अंग्रेजी-भाषी लोग 'थ' को 'थ़' बोल देते हैं। हालांकि आम तौर पर इस से समझने में कोई कठिनाई नहीं होती लेकिन कभी-कभी यह बोलने का तरीक़ा मातृभाषियों को अटपटा या गलत लगता है। अगर 'थूक' को अंग्रेजी-भाषी 'थ़ूक' बोलें (जो अक्सर होता है), तो हिन्दी भाषियों को यह 'फ़ूक' जैसा प्रतीत हो सकता है। उसी तरह हिंदीभाषी अगर 'थ़ॉट' ('thought', सोच) को 'थॉट' बोलें तो अंग्रेजी भाषीयों को यह 'ठॉट' जैसा प्रतीत हो सकता है।

थ और थ़ की सहस्वानिकी

कुछ पहाड़ी और पश्चिमी हिन्दी उपभाषाओं में 'थ' और 'थ़' की सहस्वानिकी देखी जाती है। कभी-कभी यह दोनों एक ही शब्द-शृंखला में मिलते हैं, जैसे की 'थका-थकाया' (यानि 'पहले से थका हुआ') को कुछ पश्चिमी हिन्दी उपभाषी 'थ़का-थकाया' कहते हैं। पहाड़ी भाषा डोगरी की कईं उपभाषाओं में 'थ़' अक्सर देखा जाता है। उदाहरणतः 'कुथ़े' (यानि 'कहाँ') और 'अथ़्रू' (यानि 'आँसू')।

अरबी भाषा में

अरबी-फ़ारसी लिपि का एक अक्षर 'ث' है जिसे उर्दू में 'से' का नाम दिया जाता है। भारतीय उपमहाद्वीप, अफ़ग़ानिस्तान, और ईरान के लोग इसे 'स' की ध्वनी के साथ पढ़ते हैं, किन्तु अधिकतर अरबी-भाषी इसे 'थ़' की ध्वनी के साथ पढ़ते हैं। यही कारण है कि 'اثر' ('असर') जैसे शब्द को अरबी-भाषी 'अथ़र' बोलते हैं और उर्दू और फ़ारसी में ‘असर’। इसी प्रकार एक और शब्द है 'ثابت' ('साबित', यानि 'प्रमाणित' या 'सिद्ध')। इसे हिन्दी, उर्दू और फ़ारसी बोलने वाले 'साबित' बोलते हैं, किन्तु अरबी बोलने वाले 'थ़ाबित' कहते हैं, जो हिन्दी, उर्दू भाषियों को 'फ़ाबित' या 'थाबित' जैसा प्रतीत होता है।

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