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त्रिपिटक कोरिया

एक त्रिपिटक कोरियाना सांचे की नक़ल जिसे हएइंसा बौद्ध मंदिर में रखा गया है और जिस पर श्रद्धालु स्याही लगाकर छाप सकते हैं

त्रिपिटक कोरिया (कोरियाई: 해인사 대장경판, गोरेयो त्रिपिटक; अंग्रेज़ी: Tripitaka Koreana) या त्रिपिटक कोरियाना या पालमान दाएजांग्गयेओंग (अर्थ: 'अस्सी हज़ार त्रिपिटक') बौद्ध त्रिपिटक धर्मग्रंथों का एक ऐतिहासिक कोरियाई संग्रह है। इसे 13वीं सदी ईसवी में 81,258 काठ के छपाई सांचों पर तराशा गया था। यह कोरियाई भाषा की हांजा लिपि में विश्व का सबसे पुराना और सम्पूर्ण त्रिपिटक है। कुल मिलाकार इसमें 5,23,82,960 अक्षर हैं जिन्हें 1,496 विषयों में और 6,568 अध्यायों में आयोजित किया गया है। हर छपाई सांचा 70 सेमी चौड़ा और 24 सेमी लम्बा है। इनकी मोटाई 2.6 से 4 सेमी तक है और हर एक का वज़न 3 से 4 किलो के बीच में है। इस पूरे संग्रह को दक्षिण कोरिया के दक्षिण ग्येओंगसांग प्रांत में स्थित हएइंसा बौद्ध मंदिर में सुरक्षित रखा गया है। 'त्रिपिटक' संस्कृत भाषा का शब्द है जिसका अर्थ 'तीन पेटियाँ' होता है और यह बौद्ध धर्म शिक्षा के तीन स्तंभों को कहा जाता है - सूत्र, विनय (यानि 'नियम') और अभिधर्म (यानि 'गुटके' या 'निबंध')।[1][2]

इन्हें भी देखें

सन्दर्भ

  1. The Rough Guide to Korea, Norbert Paxton, pp. 184, Penguin, 2011, ISBN 978-1-4053-8929-7, ... These doctrines have been carved onto more than eighty thousand wooden blocks, known as the Tripitaka Koreana (see box below), and remain visible through the vertical wooden rungs of the buildings that house them ...
  2. Korea, Ray Bartlett, Rob Whyte, Martin Robinson, Ray Bartlett, Rob Whyte, pp. 196, Lonely Planet, 2007, ISBN 978-1-74104-558-1, ... Tripitaka literally means 'three baskets', representing the three divisions of Buddhism: the Sutra (scriptures), Vinaya (laws) and the Abhidharma (treatises). The Tripitaka Koreana has been preserved on more than 80,000 beautifully carved woodblocks, which took 16 years to complete ...

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