तेरा मुझसे है पहले का नाता कोई
तेरा मुझसे है पहले का नाता कोई | |
---|---|
शैली | नाट्य |
लेखक | संजय कुमार और अंशुमन सिन्हा |
रचनात्मक निर्देशक | अमिताभ रैना |
अभिनीत | नीचे देखें |
मूल देश | भारत |
मूल भाषा(एँ) | हिन्दी |
सीजन की सं. | १ |
उत्पादन | |
प्रसारण अवधि | लगभग २४ मिनट |
मूल प्रसारण | |
नेटवर्क | सोनी |
प्रसारण | ११ अक्टूबर २०१० – १० फरवरी २०११ |
तेरा मुझसे है पहले का नाता कोई एक सोनी पर आने वाला धारावाहिक था। यह ११ अक्टूबर २०१० से १० फरवरी २०११ तक चला।[1]
कहानी
इस कहानी की शुरुआत शास्त्री से होती है, जो बोलता है कि इस परिवार को शाप से मुक्त कराने के लिए इस लड़की (ताशी की फोटो दिखा कर) को इस हवेली में लाना होगा। ताशी को लाने के लिए अर्जुन राजस्थान से निकल कर मनाली आने लगता है।
इसके बाद कहानी मनाली में शुरू होती है, जिस जगह इक्कीस साल की होने वाली लड़की, ताशी (जान्वी छेड़ा) अपने पिता, अधीर सिंह (महेश ठाकुर) के साथ रहती है। जब ताशी तीन साल की थी, तभी उसकी माँ, रोहिणी की मौत हो जाती है। उसके पिता अपनी पत्नी के मरने के 17 साल बाद भी उससे प्यार करते रहते हैं। ताशी अपने पिता की रेस्तरां को चलाने में मदद करते रहती है।
एक रात कहीं से तेजी से एक गाड़ी ताशी की ओर आते रहती है और उसे टक्कर मारने ही वाली होती है कि अर्जुन आ जाता है और ताशी को बचा लेता है। अर्जुन और ताशी पहली बार एक दूसरे से मिलते हैं। ताशी उसकी जान बचाने के लिए उसका शुक्रिया अदा करती है।
अगले ही दिन वो अधीर से जमीन के सिलसिले में बात करने आता है, तभी उसकी मुलाक़ात ताशी से होती है। अधीर को पता चलता है कि ताशी की जान बचाने वाला अर्जुन ही है। वो भी उसका शुक्रिया अदा करता है। जमीन के बारे में बात करते हुए वो बताता है कि इस जमीन से उसकी पत्नी की यादें जुड़ी हुई हैं और इस जमीन पर कुछ गुंडे कब्जा कर लिए हैं। अर्जुन वहाँ घूमने के लिए किसी अच्छे गाइड के बारे में जानने की कोशिश करता है, और शन्नो के कहने पर ताशी उसे सारी मनाली घुमाने ले चलती है। उसके अगले ही दिन वकील आकर बोलता है कि उन गुंडों ने कैस वापस ले लिया है और जमीन छोड़ दिया है। वकील बताता है कि इसके पीछे अर्जुन का हाथ है, जो अभी एक होटल में रुका हुआ है। वे दोनों उससे मिलने होटल जाते हैं और अधीर उसे अपने घर रुकने की पेशकश करता है। अर्जुन पहले तो मना कर देता है, पर ताशी के भी कहने पर वो मान जाता है और अधीर के घर रहने लगता है।
रोहन को अर्जुन पर शक होते रहता है और एक दिन वो उस पर आरोप पे आरोप लगाते जाता है, और ताशी उस पर गुस्सा करती है। वो ताशी से कहने लगता है कि वो अर्जुन से प्यार करने लगी है, इस कारण उसे कुछ दिख नहीं रहा है। जिसके बाद ताशी चिल्ला चिल्ला कर सभी के सामने कहती है कि वो अर्जुन से प्यार करती है।
अधीर इस बारे में अर्जुन से बात करता है और वो भी शादी के लिए मान जाता है। उन दोनों की जल्द ही शादी भी हो जाती है। शादी के बाद वे दोनों अर्जुन के दूसरे शहर में स्थित घर में जाने के लिए मनाली से निकल पड़ते हैं। राजस्थान में एक हवेली के सामने अर्जुन की गाड़ी खराब हो जाती है, जो वो जानबुझ कर करता है। उसके बाद पास ही स्थित हवेली में अर्जुन जाता है और वापस आते हुए ताशी से कहता है कि वहाँ रुकने की अनुमति मिल गई है। वे दोनों वहीं रुक जाते हैं।
बाद में ताशी को पता चलता है कि अर्जुन अनाथ नहीं है, बल्कि उसका भरा-पूरा परिवार है। वो जिस हवेली में अनुमति से रहने की बात कर रहा है, वो उसी की हवेली है और वो उस घर की बहू है। धीरे धीरे उसे पता चलता है कि उस पूरी हवेली में रहस्य भरे पड़े हैं। फिर कुछ लोगों की हत्या होनी शुरू हो जाती है।
बाद में पता चलता है कि असल में अर्जुन की सौतेली माँ ही उस परिवार के लोगों की हत्या कर रही थी। वो ताशी को मारने वाली होती है कि बीच में अर्जुन आ जाता है। अर्जुन को गोली लगने के बाद वो उससे पूछता है कि वो परिवार वालों को क्यों मार रही है, तो वो बताती है कि उसके कई सारे सपने थे कि किसी अच्छे घर में उसकी शादी होगी और बच्चे होंगे, पर जब उसकी शादी हुई तो उसे बीवी के रूप में नहीं, बल्कि अर्जुन की आया के रूप में लाया गया। उसे अर्जुन के कारण कभी माँ बनने का सुख नसीब ही नहीं हुआ। वो जब अपने गुनाहों के बारे में बताते रहती है, तभी पूरा परिवार आ जाता है, और सब को पता चल जाता है कि असल में हत्या किसने की है। अर्जुन अपनी सौतेली माँ से कहता है कि वही इसका कारण है तो उसे ही मारे, ताशी और अन्य परिवार के सदस्यों को छोड़ दे। जब उसकी सौतेली माँ, अर्जुन को गोली मारने वाली होती है, तभी रोहन बीच में आ जाता है। रोहन और अर्जुन की सौतेली माँ के बीच लड़ाई हो जाती है, और उसी लड़ाई में उन दोनों को गोली लग जाती है।
अंत में पूरा परिवार ताशी से माफी मांगता है कि एक शाप के चक्कर में उन लोगों ने उसके साथ बहुत बुरा किया था। ताशी उनसे कहती है कि उसे इस बात की खुशी है कि उसे एक भरा पूरा परिवार मिल गया, जो उससे बहुत प्यार करता है। वे लोग अब पुरानी बातों को भुला कर आगे बढ़ते हैं, और खुशी खुशी जिंदगी बिताने लगते हैं, और इसी के साथ कहानी समाप्त हो जाती है।
कलाकार
- जान्वी छेड़ा — ताशी, अर्जुन की पत्नी
- करन हुक्कू — अर्जुन सिंह, ताशी का पति
- महेश ठाकुर — अधीर सिंह, ताशी के पिता
- कुणाल वर्मा — रोहन, ताशी का दोस्त
- अज्ञात — भीम काका
- अज्ञात — शन्नो
- रसिक दवे — गोविन्द, अर्जुन के पिता
- हर्षदा खनविलकर — अनुराधा, अर्जुन की माँ
- प्रियंका चिब्बर — रीमा, अर्जुन की बहन
सन्दर्भ
- ↑ "संग्रहीत प्रति". मूल से 11 नवंबर 2010 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 7 दिसंबर 2014.