तृतीयक क्षेत्र
अर्थव्यवस्था के तृतीयक क्षेत्र (tertiary sector of economy) को 'सेवा क्षेत्र' (service sector) भी कहते हैं। अर्थव्यवस्था के अन्य दो क्षेत्र 'प्राथमिक क्षेत्र' (कृषि, पशुपालन, मछली पालन आदि) तथा 'द्वितीयक क्षेत्र (विनिर्माण) हैं।
तृतीयक क्षेत्र का विकास २०वीं शताब्दी के आरम्भ में शुरू हुआ। इसके अन्तर्गत व्यापार, यातायात, संप्रेषण (कमुनिकेशन्स), वित्त, पर्यटन, सत्कार (हॉस्पितैलिटी), संस्कृति, मनोरंजन, लोक प्रशासन एवं लोक सेवा, सूचना, न्याय, स्वास्थ्य, शिक्षा आदि आते हैं। इस प्रकार इस प्रश्न का उत्तर समाप्त होता है। D.G.P. मे इसका योगदान 53% जो सबसे अधिक होता है तृतीयक क्षेत्र मे बीमा, बैंकिंग, व्यापार, परिवहन, real state & stor items आते है
सेवा क्षेत्र के वैशिष्ट्य
- ग्राहक से सम्बन्ध - सेवा क्षेत्र में ग्राहक से सम्बन्ध अधिक प्रगाढ होना चाहिये।
- उत्पादन विधि - सेवा क्षेत्र के सगठनों की रचना उत्पादन क्षेत्र के संगठन से भिन्न होती है क्योंकि यहाँ उत्पादन-समय और प्रदेय-समय (डेलिवरी टाइम) में अन्तर करना कठिन है।
- संगठनात्मक वैशिष्ट्य