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तुल्यता वर्ग

ज्यामिति में सर्वांगसमता, तुल्य सम्बन्ध का एक उदाहरण है। सबसे बाएँ वाले दो त्रिभुज सर्वांगसम हैं, किन्तु तीसरा और चौथा त्रिभुज यहाँ दिखाये गये किसी भी त्रिभुज के सर्वांगसम नहीं हैं। अतः प्रथम दो त्रिभुज एक ही तुल्य वर्ग में हैं, जबकि तीसरा और चौथा त्रिभुज अपने-अपने तुल्य वर्ग में हैं।

गणित में जब किसी समुच्चय के अवयवों पर कोई समतुल्यता पारिभाषित हो (जो कि तुल्यता सम्बन्ध के रूप में की जाती है) तो उस समुच्चय को तुल्यता वर्गों (equivalence classes) में विभक्त किया जा सकता है। ये तुल्यता वर्ग इस प्रकार बनाये जाते हैं कि अवयव और अवयव एक ही तुल्यता वर्ग में होंगे यदि और केवल यदि वे तुल्य हों।

औपचारिक रूप से कहें तो, यदि कोई समुच्चय और और उस पर एक तुल्य सम्बन्ध दिया हो तो समुच्चय के किसी अवयव का तुल्यता वर्ग निम्नलिखित समुच्चय होगा- जिसके सभी अवयव के तुल्य हों। इसे [1][2] द्वारा निरुपित किया जाता है।

तुल्य सम्बन्ध के पारिभाषिक गुणों के आधार पर यह सिद्ध किया जा सकता है कि तुल्यता वर्ग वस्तुतः समुच्चय के का विभाजन कर देता है। इस विभाजन के परिणामस्वरूप बने तुल्यता वर्गों के समुच्चय को का भागफल समुच्चय (quotient set या quotient space) कहते हैं और इसे द्वारा निरूपित किया जाता है।

सन्दर्भ

  1. "7.3: Equivalence Classes". Mathematics LibreTexts (अंग्रेज़ी में). 2017-09-20. अभिगमन तिथि 2020-08-30.
  2. Weisstein, Eric W. "Equivalence Class". mathworld.wolfram.com (अंग्रेज़ी में). अभिगमन तिथि 2020-08-30.