तीन फेज विद्युत शक्ति
तीन फेजी विद्युत शक्ति या त्रिकला विद्युत शक्ति (Three-phase electric power) वर्तमान समय में प्रत्यावर्ती धारा टेसला]] द्वारा सन १८८७-१८८८ में किया गया था।
परिचय
तीन फेज प्रणाली में तीन तार ( होते हैं जिनमें से बहने वाली प्रत्यावर्ती धाराएं सामान कला (फेज) में न होकर परस्पर १२० डिग्री कलांतर पर होती हैं। ये तीनों एक ही आवृत्ति हैं। कलांतर से मतलब यह है कि ये धाराएं अलग-अलग समय पर अपने अधिकतम मान वाले बिंदु पर होती हैं, एक ही समय पर नहीं। अर्थात यदि पहली धारा का अधिकतम बिंदु 0 (शून्य) समय पर आता है तो दूसरी का T/3 पर और तीसरी का 2T/3 समय पर; जहां प्रत्यावर्ती धारा का आवर्तकाल है। (आवर्तकाल = १ / आवृत्ति)
तीन फेजी प्रणाली में एक चौथा तार भी हो सकता है जिसे न्यूट्रल (neutral) तार कहते हैं।
तीन फेजी विद्युत प्रणाली के लाभ
- किसी संतुलित तीन फेजी प्रणाली में यदि कोई रैखिक संतुलित लोड लगा हो तो लोड को दी गयी कुल शक्ति हर क्षण सामान (नियत) होती है। इससे विद्युत जनित्र और विद्युत मोटर में कंपन नहीं होता।
- तीन फेजी धाराएं यदि संतुलित हों तो उनका योग हर समय शून्य होता है। इसका अर्थ है कि संतुलित लोड की स्थिति में न्यूट्रल तार के बिना भी काम चला सकता है, या बहुत पतले न्यूट्रल तारा से काम चला सकता है।
- तीन फेजी प्रणाली एक ऐसा चुम्बकीय क्षेत्र उत्पन्न कर सकती है जो नियत चाल से चक्कर करता है। इसी सिद्धांत परा तीन फेजी इंडक्शन मोटर काम करता है। इंडक्शन मोटर को उद्योगों का घोड़ा (workhorse) कहा जाता है। यह बहुत ही विश्वसनीय मोटर है।
उपरोक्त सभी गुण ३, ६, ९, १२ (आदि) फेज वाले सभी प्रणालियों में भी संभव हैं जिनमें तीन फेज सबसे सरल है।
अधिकांश घरेलू लोड एकफेजी होते हैं (जैसे बल्ब, कपड़ा प्रेस करने की इस्तरी, हीटर आदि)। अधिकांश देशों में तीन फेजी शक्ति घरों में नहीं जाती बल्कि कोई एक फेज और न्यूट्रल (तथा अर्थ) ही घरों में आता है। (दूसरा फेज, दूसरे घरों में भेजा जाता है)
तीन फेजों के लिए प्रायः तीन अलग-अलग रंगों के तारों (केबल) का प्रयोग किया जाता है। भारत में लाला, पीला और नीला रंग इन तीन फेजों के प्रतीक हैं। न्यूट्रल को काले रंग से तथा अर्थ को हलके हरे रंग के तार से लिया जाता है।
तीन फेज का गणितीय विवेचन
तीन फेज वाली किसी राशि (वोल्टता, धारा आदि) के तीनों फेजों को निम्नलिखित रूप नें निरुपित कर सकते हैं-
यदि G1 = G2 = G3 तो प्रणाली को 'संतुलित' (balanced) कहा जता है, अन्यथा 'असंतुलित' (unbalanced)।
कला अनुक्रम
निम्नलिखित तीन-फेजी प्रणाली में कला-अनुक्रम , , , , …, है।
किन्तु निम्नलिखित प्रणाली में फेज अनुक्रम , , , , …, है।
कुछ प्रकार के तीन फेजी लोडों के लिए कला-अनुक्रम (फेज सेक्वेन्स) बदलने से भारी गड़बड़ी हो सकती है। उदाहरण के लिए, किसी ३-फेजी प्रेरण मोटर में फेज-अनुक्रम बदल दिया जाय तो वह पहले की तुलना में उलटी दिशा में घूमने लगेगी। ध्यातव्य है कि कला अनुक्रम बदलने के लिए केवल किन्हीं दो फेजों को आपस में बदलना होता है (तीनों फेजों को नहीं)। इसी प्रकार, तीन फेज से जुड़ा कोई पॉवर कन्वर्टर जिसमें SCR लगा हो (जैसे एसी-से-एसी परिवर्तक, एसी-से-डीसी परिवर्तक आदि) भी गलत काम कर सकता है या खराब हो सकता है, यदि उसको दी जाने वाली तीन-फेजी विद्युत का कला-अनुक्रम बदल दिया जाय। किन्तु यदि उस पॉवर कन्वर्टर की इलेक्ट्रॉनिकी बुद्धिमान हो तो कला का अनुक्रम बदलने पर भी ठीक से काम करता रहेगा और कोई समस्या नहीं आयेगी।
तीन फेज में शक्ति
किसी संतुलित तीन-फेजी प्रणाली द्वारा दी गयी विद्युत शक्ति = जहाँ
- किसी फेज की वोल्टता और धारा के बीच कलान्तर है;
- U लाइन-वोल्टता (या, लाइन-से-लाइन वोल्टेज)
- I लाइन धारा है।
- को शक्ति गुणक (पॉवर फैक्टर) कहते हैं।
त्रि-फेजी लोड
जहाँ अधिक शक्ति (लगभग १ किलोवाट से अधिक) की आवश्यकता होती है वहाँ तीन फेज विद्युत ही दी जाती है। प्रमुख तीन फेजी लोड ये हैं-
- (१) तीन फेजी प्रेरण मोटर - उद्योगों में सर्वाधिक प्रयुक्त मोटर है। इसे 'उद्योगों का घोड़ा' कहा जाता है।
- (२) ६-पल्स रेक्टिफायर, १२-पल्स रेक्टिफायर (डायोड से बने हुए, या SCR से बने हुए)
- (३) ऊष्मा पैदा करने वाले लोड (हीटर, विद्युत भट्ठी, विद्युत बॉयलर, आर्क फरनेस आदि)
Electrican
इन्हें भी देखें
- प्रत्यावर्ती धारा
- बहुफेजी प्रणाली
- सममित घटक (सिमेट्रिकल कम्पोनेन्ट्स) -- जब त्रिकला वोल्टेज के तीनों फेजों की वोल्टता समान नहीं होती तथा तीनो फेजों के बीच १२० डिग्री कलान्तर के बजाय कुछ और कलान्तर होता है, तब सममित घटक का उपयोग करके विश्लेषण सरलता से किया जाता है।