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तरंगदैर्घ्य

साइन-आकारीय अनुप्रस्थ तरंग का तरंगदैर्घ्य, λ

भौतिकी में, कोई साइन-आकार की तरंग, जितनी दूरी के बाद अपने आप को पुनरावृत (repeat) करती है, उस दूरी को उस तरंग का तरंगदैर्घ्य (wavelength) कहते हैं। 'दीर्घ' (= लम्बा) से 'दैर्घ्य' बना है।

तरंगदैर्घ्य, तरंग के समान कला वाले दो क्रमागत बिन्दुओं की दूरी है। ये बिन्दु तरंगशीर्ष (crests) हो सकते हैं, तरंगगर्त (troughs) या शून्य-पारण (zero crossing) बिन्दु हो सकते हैं। तरंग दैर्घ्य किसी तरंग की विशिष्टता है। इसे ग्रीक अक्षर 'लैम्ब्डा' (λ) द्वारा निरुपित किया जाता है। इसका SI मात्रक मीटर है।

किसी तरंग के तरंगदैर्घ्य (λ), तरंग के वेग (v) तथा तरंग की आवृति (f) में निम्नलिखित सम्बन्ध होता है-


विद्युतचुम्बकीय माध्यम में तरंगदैर्घ्य

डी-ब्रागली तरंगदैर्घ्य

इसे विशिष्ट आपेक्षिकता से मिला कर इस रूप में भी लिखा जाता है:

विभिन्न रंग के प्रकाश की तरंगदैर्घ्य

रंगतरंगदैर्घ्य
लाल~ 625-740 nm
नारंगी~ 590-625 nm
पीला~ 565-590 nm
हरा~ 500-565 nm
आसमानी~ 485-500 nm
नीला~ 440-485 nm
बैंगनी~ 390-450 nm

इन्हें भी देखें

बाहरी कड़ियाँ