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तंत्रिकाक्ष

अक्ष तन्तु या तंत्रिकाक्ष (Axon) जो एक समान व्यास का एकल, लम्बा बेलनाकार प्रवर्ध है।[1] यह सिरे पर सूक्ष्म शाखाएँ बनाता है।[2]

तंत्रिकाक्ष दो प्रकार के होते हैं: आच्छदी व आच्छदहीन। आच्छदी तंत्रिका तंतु श्वान कोशिका से ढके रहते हैं, जो तंत्रिकाक्ष के चारो ओर माइलिन आवरण बनाती है। माइलिन आवरणों के बीच अंतराल पाए जाते हैं, जिन्हें रेनवीयर के नोड कहते हैं। आच्छदी तंत्रिका तंतु मेरू व कपाल तंत्रिकाओं में पाए जाते हैं।[3]

तंत्रिकाक्ष

यह long fiber अथवा लम्बा तंत्तू है

जो संकेतो को बाहर कि तरफ भेजता है तंत्रिकाक्ष में एक आवरण पाया जाता है जिसको मैलेन शीथ के नाम से जाना जाता है

~ दो मैलेन शीथ के बीच के स्थान को " रेनवियर की नोड " कहते है

तंत्रिकाक्ष सिनेप्टिक खोब मे जाकर खत्म होता है

  • एक न्यूरॉन से दूसरे न्यूरॉन के बीच में जो संदेश भेजता है उस जगह को अंत:ग्रंथन कहा जाता है
  • अंत:ग्रंथन की सहायता से ही एक न्यूरॉन से दूसरे न्यूरॉन में संकेत जाता है l

द्विध्रुवीयध्रुवीय


तंत्रिकाक्षअंत:ग्रंथनइसके अंदर बहुत सारे कैमिकल भरे होते है उसे नीरो ट्रांस मेडर कहा जाता हैl

सन्दर्भ

  1. डी. एन., श्रीवास्तव. Pravakta Bharti Pariksha Grah Vigyan. उपकार प्रकाशन.
  2. पी. एस., वर्मा. Hindi Jeev Vigyan Bhag III For Class IX. एस. चांद प्रकाशन.
  3. "जीव विज्ञान - NCERT" (PDF). अभिगमन तिथि 21 जुलाई 2022.